मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की मौजूदगी में शुरू हुए सम्मेलन में देशभर के संगठनों की मौजूदगी
अहमदाबाद 18 अक्टूबर 2024: इंडियन सोसाइटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन (आईएसओटी) का 34वां वार्षिक सम्मेलन शुक्रवार को अहमदाबाद में शुरू हुआ। यह सम्मेलन भारत के लिए एक निर्णायक क्षण है क्योंकि हमारा देश अंग प्रत्यारोपण के वैश्विक प्रयासों में अग्रणी है। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीआर गवई और गुजरात उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल शामिल हुए।
भारत वर्तमान में अंग प्रत्यारोपण में दुनिया में तीसरे स्थान पर और कॉर्निया प्रत्यारोपण में दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2023 में देश में पहली बार 1,000 से अधिक मृतकों के अंगदान दर्ज किये गये, जो एक ऐतिहासिक घटना थी। प्रत्यारोपण की बढ़ती मांग को पूरा करने में यह एक बड़ी सफलता थी।
इंडियन सोसायटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन 2024 के आयोजन चेरमेन डॉ. विवेक कुट्टे ने अपने संबोधन में कहा कि नोन कोम्युनिकेबल और लाइफ स्टाइल संबंधी बीमारियों के कारण लास्ट स्टेज ओर्गन फेल्योर के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसीलिए मृत्यु के समय अंगदान बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
डॉ कूटे ने कहा, ”भारत ने अंग प्रत्यारोपण में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालाँकि, हमारी आबादी में अभी भी 10 लाख लोगों पर मुश्किल से एक व्यक्ति अंगदान करता है। हमें अंगदान के बारे में जागरूकता पैदा करने और गलतफहमियों को दूर करने के प्रयासों को तेज करने की जरूरत है। खासकर ब्रेन-स्टेम-डेड घटनाओं के दौरान समय पर इन्टरवेन्शन अर्थात परिवारजनो को समझाना अनगिनत जिंदगियां बचा सकता है ।”
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि अंगदान के माध्यम से किसी को जीवन दान देना सबसे महान दान है। उन्होंने अंग दान के लिए काम करने वाले लोगों की सराहना करते हुए कहा कि दुखी परिवारजनो को अपने मृत प्रियजनों के अंग दान करने के लिए मनाने में उनकी भूमिका बहुत कठिन और सराहनीय होती है।
नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2013 में देश में अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या 4,990 थी, जो 2023 में बढ़कर 17,168 हो गई।
भारत सरकार ने भी “एक राष्ट्र, एक नीति” अभियान के तहत राज्यों के साथ चर्चा करके विभिन्न सुधार लागू किये हैं। इनमें मरणोपरांत दान किए गए अंगों के प्राप्तकर्ताओं के पंजीकरण के लिए डोमेसाइल सर्टिफिकेट की आवश्यकता को हटाना, रोगियों के लिए ऊपरी आयु सीमा को हटाना और अंग दान के लिए प्रतीक्षा सूची के रोगियों के लिए पंजीकरण शुल्क को हटाना शामिल है। ये परिवर्तन देश के सभी हिस्सों और किसी भी उम्र के रोगियों को अंग प्रत्यारोपण से लाभ उठाने की मंजूरी देते हैं। इससे अंग दान और स्वीकार दोनों की प्रक्रिया आसान और समावेशी हो गई है।
ISOT 2024 के आयोजन सचिव डॉ. जिगर श्रीमाली ने कहा कि सम्मेलन में प्रमुख विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ भारत के ओर्गन डोनेशन इकोसिस्टम को और बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा ट्रांसप्लांट को और अधिक सफल बनाने के लिए एडवान्स टेक्नोलोजी पर भी विचार किया जाएगा।