दिल्ली, 10 अगस्त 2024: वैश्विक स्तर पर निरंतरता के चैंपियन के रूप में, टोयोटा 2050 तक कार्बन तटस्थता के लिए प्रतिबद्ध है और इसका लक्ष्य 2035 तक विनिर्माण कार्यों में शुद्ध शून्य कार्बन प्राप्त करना है। यह टोयोटा पर्यावरण चुनौतियों 2050 (टीईसी 2050) से निर्देशित होगा। आज, विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) ससटेनेबल मोबिलिटी (जारी रहने योग्य गतिशीलता) के प्रति अपनी कटिबद्धता को दोहराता है। कंपनी करंट एनर्जी मिक्स (चालू ऊर्जा मिश्रण), अनूठी उपभोक्ता आवश्यकताओं, बुनियादी ढांचे की तत्परता और 2047 तक ऊर्जा में ‘आत्मनिर्भर’ बनने की दिशा में सरकार के विविध प्रयासों जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करते हुए कई स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को पेश करके और उनका समर्थन करके अधिक तत्परता के साथ हरित गतिशीलता समाधानों को आगे बढ़ा रही है।
भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। आयात के साथ-साथ देश में जीवाश्म ईंधन की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। इससे अप्रैल 2024 के दौरान कच्चे तेल का आयात तीसरे सबसे ऊंचे स्तर के रिकार्ड पर पहुंच गया। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता भारत ने अप्रैल ’24 में 21.4 मिलियन टन (एमटी) कच्चे तेल का आयात किया और वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 232.5 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया (स्रोत: अप्रैल 2024 पीपीएसी डेटा) । गतिशीलता की जरूरतों में बड़ी वृद्धि के कारण, परिवहन क्षेत्र, जो वर्तमान में तेल की मांग का लगभग 50% हिस्सा है (स्रोत: आईईए 2021) ,इसमें सबसे महत्वपूर्ण योगदान जीवाश्म ईंधन का होगा। जीवाश्म ईंधन की अधिक खपत से कार्बन उत्सर्जन भी अधिक होगा। इसलिए, जीवाश्म ईंधन से तत्काल दूर जाना जरूरी है।
स्थायी और हरित भविष्य की दिशा में, बिजली और वैकल्पिक ईंधन (जैव ईंधन) जैसी स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने वाली प्रौद्योगिकियों में बदलाव महत्वपूर्ण है। जैव ईंधन किफायती और टिकाऊ ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भारत को ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं से निपटने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।
भारत में अक्षय ऊर्जा, अधिशेष चीनी, खाद्यान्न और बायोमास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जो स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर संक्रमण के लिए बहुत सारे अवसर प्रदान करता है, जो स्वदेशी भी है। प्रचुर मात्रा में उपलब्ध गन्ना, अतिरिक्त खाद्यान्न, साथ ही विशाल बायोमास अपशिष्ट का उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है जो न्यूनतम संभव समय में वाहनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले जीवाश्म ईंधन की एक महत्वपूर्ण मात्रा का विकल्प बन सकता है।
इसके अलावा, भारत में इथेनॉल उत्पादन की बड़ी संभावना है, जो इसे जीवाश्म ईंधन के लिए आर्थिक रूप से आकर्षक विकल्प बनाता है और 2जी तकनीक के माध्यम से पौधों के अपशिष्ट या पराली जैसे अवशेषों का उपयोग करके हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। अन्यथा, इसे भारत के उत्तरी भागों में जला दिया जाता है। इससे व्यापक प्रदूषण होता है। यह पहले ही शुरू हो चुका है और कचरे से आर्थिक मूल्य प्राप्त करने तथा किसानों की आय बढ़ाकर और नए रोजगार सृजित करके कृषि अर्थव्यवस्था के लिए अधिक धन उत्पन्न करने में मदद मिल सकती है। अनुसंधान और विकास, अनुकूल नीति ढांचा आदि जैसे आगे के समर्थन से परिवहन क्षेत्र के लिए इथेनॉल की निर्बाध आपूर्ति सक्षम होगी।
उल्लेखनीय है कि जून 2024 में पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण 15.90% तक पहुंच गया और नवंबर 2023-जून 2024 के दौरान संचयी इथेनॉल मिश्रण 13.0% तक पहुंच गया। जून ’24 तक ‘14,611’ PSU (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) आउटलेट्स पर ई20उपलब्ध है और 2025 तक 20% मिश्रण हासिल करने की राह पर है। 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के कार्यान्वयन से 86 मिलियन बैरल गैसोलीन का विकल्प बनने की उम्मीद है, जिससे भारत को 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत होगी, साथ ही 20 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन में कमी आने की संभावना है। ई20 ईंधन पेट्रोल की तुलना में पीएम 2.5 उत्सर्जन को भी 14% तक कम करेगा (स्रोत: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय) । ई20 तक और उससे आगे मौजूद इथेनॉल उत्पादन की विशाल क्षमता को देखते हुए, फ्लेक्सी फ्यूल व्हीकल (एफएफवी) तकनीक की शुरुआत के साथ ये लाभ कई गुना बढ़ सकते हैं।
हालांकि, फ्लेक्सी फ्यूल वाहनों के साथ चुनौती इसकी कम ऊर्जा घनत्व के कारण इथेनॉल की कम ईंधन दक्षता है। वैश्विक स्तर पर इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए, विद्युतीकृत फ्लेक्स फ्यूल वाहन (एफएफवी-एसएचईवी) एक उन्नत हरित तकनीक के रूप में पेश किए जा रहे हैं, जिसमें फ्लेक्स फ्यूल इंजन के साथ-साथ इलेक्ट्रिक पावरट्रेन दोनों हैं। इसलिए, एक मजबूत हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (एसएचईवी) के मामले में, फ्लेक्स फ्यूल इंजन के संयोजन में इलेक्ट्रिक पावरट्रेन का उपयोग बढ़ी हुई ईंधन दक्षता के साथ इस चुनौती को दूर करता है। इस दिशा में, पिछले साल, टीकेएम ने दुनिया के पहले बीएस6 स्टेज II इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल के प्रोटोटाइप का अनावरण किया। इस ग्रीन व्हीकल टेक्नोलॉजी में सबसे कम वेल-टू-व्हील कार्बन उत्सर्जन है, और एक अनुकूल नीति समर्थन उपभोक्ताओं के साथ मजबूत कर्षण स्थापित कर सकता है। इससे गतिशीलता स्थायी बन सकती है।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के कंट्री हेड और एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, कॉर्पोरेट मामले और प्रशासन, श्री विक्रम गुलाटी ने कहा, “जैव ईंधन, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकता है और पर्यावरणीय व आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है। इस संदर्भ में, स्वदेशी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में इथेनॉल, भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय लक्ष्यों के लिए अपार संभावनाएं रखता है। जीवाश्म ईंधन की खपत को महत्वपूर्ण रूप से कम करके और कार्बन उत्सर्जन में कटौती करके, इथेनॉल न केवल कार्बन तटस्थता के हमारे राष्ट्रीय एजेंडे का समर्थन करता है, बल्कि रोजगार पैदा करके और किसानों की आय बढ़ाकर कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है। टीकेएम में, हम एक बहु प्रौद्योगिकी मार्ग दृष्टिकोण को अपनाकर टिकाऊ गतिशीलता के भविष्य की दिशा में अथक प्रयास कर रहे हैं जिसमें जैव ईंधन ऊर्जा चालित वाहन पावरट्रेन यानी फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल (एफएफवी) और फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफएफवी-एसएचईवी) तकनीक शामिल है।
विद्युतीकृत वाहन प्रौद्योगिकी में अग्रणी और सामाजिक रूप से जिम्मेदार कॉर्पोरेट इकाई के रूप में, टीकेएम लगातार अपने प्रयासों को आगे बढ़ाएगा और टिकाऊ तकनीकी प्रगति का प्रसार करके प्रगतिशील नवाचारों में योगदान देगा। इससे ‘सभी के लिए गतिशीलता’ और “किसी को पीछे न छोड़ना” सुनिश्चित होगा।
इसके अलावा, कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में बहु-ऊर्जा मार्ग दृष्टिकोण के महत्व पर जोर देते हुए, आज टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) ने एसआईएएम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया, जिसका विषय था “भारत में जैव ईंधन क्रांति: भविष्य के लिए ईंधन” जिसमें जैव ईंधन की मांग और आपूर्ति प्रबंधन, जैव ईंधन भविष्य के लिए ऑटो उद्योग की तैयारी और जैव ईंधन अपनाने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर कई सत्र शामिल थे। इस कार्यक्रम में सरकार और उद्योग के प्रतिष्ठित वक्ताओं के साथ-साथ वैश्विक विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।
Overview of TKM
Equity participation | Toyota Motor Corporation (Japan) : 89%, Kirloskar Systems Limited (India) : 11% |
Number of employees | Approx. 6,000 |
Land area | Approx. 432 acres (approx.1,700,000 m2) |
Building area | 74,000 m2 |
Total Installed Production capacity | Up to 3,42,000 units |
Overview of TKM 1st Plant:
Established | October 1997 (start of production: December 1999) |
Location | Bidadi |
Products | Innova HyCross, Innova Crysta , Fortuner, Legender manufactured in India. |
Installed Production capacity | Up to 1,32,000 units |
Overview of TKM 2nd Plant:
Start of Production | December 2010 |
Location | On the site of Toyota Kirloskar Motor Private Limited, Bidadi |
Products | Camry Hybrid, Urban Cruiser Hyryder, Hilux |
Installed Production capacity | Up to 2,10,000 units |
*Other Toyota Models: Glanza, Rumion, Urban Cruiser Taisor
**Imported as CBU: Vellfire, LC 300