Homeगुजरातअखंड और आकंठ रामकथा के सामने वैकुंठ भी तुच्छ है।।

अखंड और आकंठ रामकथा के सामने वैकुंठ भी तुच्छ है।।

रामकथा का  अखंड पाठ करें और आकंठ पीना है।

बुद्धपुरुष के आचरण को टच करना उसका अभिषेक है।।

मंथन से निकले एक-एक रत्न से एक-एक वस्तु ग्रहण करें वह ह्रदय-समुद्र का अभिषेक है।।

इन्डोनेशिया की योग्यकर्ता की भूमि से बह रही रामकथा धारा आज सांतवें दिन में प्रवेश कर रही है।। राम कथा के आरंभ में पूछा गया ‘चित्त चाउ’ शब्द के बारे में।।बापू ने कहा कि चाउ का मतलब उत्साह है, हर्ष नहीं।। राम जन्म हुआ तब देवताओं को हर्ष हुआ संतो को चाउ उत्साह हुआ है।।

अखंड और आकंठ दो शब्द भी है। दादा ने कथा के वक्त गले पर उंगली रखकर आकंठ रामकथा दी है। अखंड का मतलब चोबीस घंटे निरंतर,बीच में खंडित ना हो ऐसा पाठ।।लेकिन आकंठ का मतलब कंठ से कभी घटे नहीं,भरपूर कंठ।।अखंड और आकंठ रामकथा के सामने वैकुंठ भी तुच्छ है।।रामकथा का  अखंड पाठ करें और आकंठ पीना है। बापू ने बुद्ध की गुफाओं को याद करते हुए अगली कथा अजंता एलोरा में बुद्ध की भूमि पर करने का इशारा भी किया।।

माधुर्य के दस लक्षण दिखाएं,जहां:रूप,लावण्य, सौंदर्य,माधुर्य,सुकोमलता,मासूमियत,यौवन,सुगंध, सुवेश,कौमार्य,स्वच्छता,धवलता आदि है।। राम में यह सब लक्षण है।

बापू ने कहा बुद्धपुरुष के आचरण को टच करना उसका अभिषेक है।। जैसे लिखा है दरस परस मज्जन अरु पाना… बुद्धपुरुष का दर्शन उनकी, वाणी का स्पर्श और उनके आचरण का पान करना उनका अभिषेक है।।

देवता और असुरों ने मिलकर अमृत निकाला, समुद्र का मंथन शुरू किया। पुराणों में कुछ भेद से समुद्र मंथन की कथाएं मिलती है। बापू ने कहा कि चौदह रत्न निकले हैं।। लेकिन रत्न का मतलब केवल घन चीज नहीं है। वहां प्रवाही भी है, वृक्ष भी है, पशु के रूप में भी है,देव और देवी के रूप में भी रत्न निकले हैं। वह १४ रत्नों में:

हलाहल विष,चंद्रमॉं,भगवती लक्ष्मी,कल्पतरु, कामदुर्गा गाय,ऐरावत हाथी,उच्चश्रवा घोड़ा, धनवंतरी,कौस्तुभमणि,पांचजन्य शंख,अप्सरा रंभा, वारुणि-मदिरा,अमृत और पारिजात है।।

जहां तीन पशु: ऐरावत हाथी,उच्च श्रवा घोड़ा और कामदुर्गा गाय हैं।। तीन पेय है:अमृत,झहर और वारुणि-मदिरा।।दो मातृ शरीर है:रंभा और लक्ष्मी। दो देवता चंद्रमा और धनवंतरी है। एक वाद्य शंख है एक मणि है और पारिजात और कल्पवृक्ष दो वृक्ष निकले हैं।।

बापू ने कहा हमारा मन-हृदय समंदर है और मंथन करने से यह बहुत निकलते है। जहां द्वेष का जहर है। कोई रंभा भी है। श्री रूपी लक्ष्मी भी है। मदिरा भी उछलती है। ध्वनि के रूप में पांचजन्य शंख है। अपने कान ऊपर करके कथा श्रवण करने के लिए उत्सुक उच्च श्रवा घोड़ा भी है।विवेक का प्रतीक ऐरावत हाथी भी है। हृदय का दोहन करें तो हमारी औकात के अनुसार मनोकामना पूरी करने वाली कामदुर्गा गाय हैं। कल्पतरु की छांव में मनोरथ पूरे होते हैं। एक खुशबू जो पारिजात है। हृदय में चंद्रमा है।।

बापू ने कहा इनमें से पॉजिटिव तत्व खींचे। इतने का स्वीकार करें।।दो रत्न और भी है: परमात्मा के दो अवतार मत्स्य अवतार और कूर्म अवतार।।एक-एक रत्न से एक-एक वस्तु ग्रहण करें वह समुद्र का अभिषेक है।।

व्यासपीठ पर भेजी गइ शेर-शायरियां:

दुश्मन ऐसे आसानी से कहां मिलता है।

पहले बहुत लोगों का भला करना पड़ता है!

सच का पता हो,तो

झूठ सुनने में मजा आता है!

गजब की धूप है मेरे शहर में।

फिर भी लोग धूप से नहीं,

मुझसे जलते हैं।।

किसी ने पूछा था की मन की चंचलता अनिर्णय शक्ति,बुद्धि का चांचल्य और चित् की अशुद्धि, बुद्धि की कलूसता और अहंकार को मिटाने के लिए क्या करें?

बापू ने कहा इन सब में अहंकार खतरनाक है। इसलिए मन में भी अहंकार ना हो, बुद्धि में भी अहंकार ना रहे चित् में भी अहंकार ना रहे वह ध्यान रखने के लिए योग करो।। योग का प्रथम द्वार है: वाक् निरोध।अपनी वाणी पर कंट्रोल।। मीठा, सत्य और सीमित बोलें।। अपरिग्रह करें। स्विकार सबका, संग्रह किसी का नहीं,दर्पण की तरह।। और आशा और इच्छा कम करें। एवं एकांत शील रहें।।

बापू ने बताया की पूर्णाहुति के दिन रविवार को राम कथा सुबह ७:०० बजे और भारतीय समय अनुसार सुबह ४:३० बजे शुरू होगी।।

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