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किसी को कुछ दे तो विश्वास से दे और ले तो विचार से ले वह विमल चित का लक्षण है।

किसी को कुछ दे तो विश्वास से दे और ले तो विचार से ले वह विमल चित का लक्षण है।
बुध्ध पुरुष में ये सोलह लक्षण दिखे उनका अभिषेक करो।।

इन्डोनेशिया की योग्यकर्ता भूमि से प्रवाहित रामकथा के ठठ्ठे दिन दो छोटे प्रल्प हुए।।दिनुभाइ चुडासमा लिखित दो पुस्तक व्यासपीठ ब्रह्मार्पण हुए और मानस कथा के सारदोहन की शृंखला में नीतिनभाइ वडगामा संपादित दो कथा पुस्तक:मानस मिनाक्षी(मदुराइ कथा) और मानस दशरथ(रोचेस्टर-न्यूयोर्क कथा) व्यास पीठ को अर्पण की गइ।।
यहां के सांध्य कार्यक्रमो में गत शाम रामायण पर नाटिका प्रस्तुत हूइ।। उन पर बापु ने प्रसन्नता व्यक्त करते हूए बताया की ८० प्रतिशत मुस्लिम वसति में भी राम की यह नाटिका में सभी मुस्लिम कलाकार थे।।जगत उपकारक बातें कोइ भी अन्य मझहब भी स्विकारक बने उन पर खुशी जतायी।।
पूछा गया की समुद्र का अभिषेक कैसे किया जाए? बापू ने बताया पंचामृत सामग्री से अभिषेक करो।। यदि यह सुविधा न हो तो दूर्वा,बिलीपत्र,तुलसी पत्र सद्भाव के साथ मंत्र जाप भी करो।।षोडोपचार विधि से भी अभिषेक कर सकते हैं।। श्रीफल पुंगी फल से भी अभिषेक कर सकते हैं।।शिव सागर है गंगाजल से अभिषेक करो तब ध्यान रखो कि मैं सागर में गंगा डाल रहा हूं ऐसा करने से अभिषेक पूर्ण नहीं होगा।। समुद्र ऊपर ऊपर से तरंगीत लेकिन अंदर शांत स्वभाव है।।
बापू ने कहा कि भगवान राम के मुख से विमल वंश शब्द निकला।रघुवंश के नव राजा विमल वंश के अति महान राजा थे।।विमल का अर्थ है प्रसन्नता और पवित्रता।। किसी को कुछ दे तो विश्वास से दे और ले तो विचार से ले वह विमल चित का लक्षण है बापू ने कहा कि किसी भी परिवार में वेद हो। वेद के तीन कांड है:उपासनाकांड,ज्ञानकांड और कर्मकांड कौशल्या ज्ञान कांड है,कैकयी कर्मकॉंड और सुमित्रा ध्यान कांड है। चौथे दशरथ है। दशरथ के वंश में धर्म अर्थ काम और मोक्ष के रूप में चार पुत्र आए। भरत धर्म है, लक्ष्मण काम है, शत्रुघ्न अर्थ और राम मोक्ष है।। सबको मिलाओ तो आठ होते हैं, लेकिन हमारे घर में शांति-राम की बहन का नाम शांता है जब तक ना आए परिवार परिपूर्ण नहीं है।।कोई भी कार्य के बाद शांति और विश्राम न मिले तो यह कार्य केवल श्रम है।।
बापू ने कहा कि भवसागर में संत सुधा शशि और धेनु निकले।।संत रूपी अमृत मिला है।। बुद्ध पुरुष की नाभि सत्य है क्योंकि मूलाधार आधार सत्य है। हृदय प्रेम है और आंखें करुणा है।। समुद्र के पास बैठने से भी बहुत बोध  मिलता है। बुद्ध पुरुष के अभिषेक के लिए शंकराचार्य ने श्लोक दिया। जहां आठ लक्षण लेकिन हर एक लक्षण दो दो है तो सभी को मिलाकर १६ लक्षण होते हैं। यदि ऐसा कोई बुद्ध पुरुष मिल जाए तो अभिषेक करना चाहिए।।उनके पास बैठ जाना चाहिए। वह हमारे नसीब से या किसी की करुणा से या माता-पिता के कारण हमें प्राप्त होते हैं।।
शंकराचार्य जी कृत श्लोक:
चिंता शून्यं अदैन्यं भिक्षमशनं पानं सरितवारिषु स्वातंत्रेणं निरंकुशा: स्थितर्र्भि निद्रा स्मशानेवने
वस्त्रं छालनं शोषणादिरहितं दिगवास्तु शैयामही संचारौ निगमान्त विथिषु विदाम् क्रीडा परब्रह्मेणि
बुध्धपुरुष का अभिषेक ये आठ विशिष्ट लक्षण,स्वभाव,जीन में हरेक में दो-दो लक्षण है वो मिलाकर १६ लक्षण दीखे उनका अभिषेक करना चाहिये।।अभिषेक का मतलब इनके पास जीये।।
इसका मतलब है जो चिंता मुक्त और कायरता मुक्त भिक्षा प्राप्त करता हो। सरिता के जल का पान करता हो,मतलब संग्रह की गई वस्तु नहीं लेता, मटके में पानी संग्रह किया हुआ है।।बहता जल निर्मल है।अपनी स्वतंत्रता निजता में रहने वाला, जिन पर किसी का अंकुश ना हो, वन और स्मशान में सोने वाला, श्मशान का भाव मतलब यह सब कुछ चल जाएगा और वानप्रस्थ का मतलब वानप्रस्थ भाव से घर में सोने वाला। धोने ना पड़े और सूखने ना पड़े ऐसे वस्त्र पहनने वाला।।कोपीन धारी या वलकल धारी या तो दिशा ही वस्त्र है ऐसे दिगंबर हो।। पृथ्वी पर शयन करने वाला।। वेदांत की गलियों में संचार करता हो। शास्त्रों की गलियों में जो घूमता हो हरिनाम,हरिकथा,हरिस्मरण में क्रीड़ा करता हो।। ऐसे बुद्ध पुरुष का अभिषेक करना चाहिए। उसके संग में रहना चाहिए क्योंकि साधु समुद्र है।।कृपा का सिंधु है। करुणा का सिंधु है राम जन्म के बाद अयोध्या में उत्सव हुए और नामकरण संस्कार में चारों भाइयों के नाम रखे गए। बापू ने कहा कि परिवार में जो आराम और विश्राम दे वो राम है।। शोषण न करे लेकिन पोषण करें वह भरत है।।जो संघर्ष की मानसिकता नष्ट करें वह शत्रुघ्न है और उदारता से भरे वह लक्ष्मण है।।

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