Homeगुजरातमंगलमूरति गजानन गणपति के पावन दिन से इलोरा गुफा, औरंगाबाद(महाराष्ट्र) से रामकथा...

मंगलमूरति गजानन गणपति के पावन दिन से इलोरा गुफा, औरंगाबाद(महाराष्ट्र) से रामकथा का मंगल आरंभ हुआ।।

मानस कंदरा।। कथा क्रमांक-९४२ दिन-१ दिनांक-७ सितंबर

यह भूमि कलाकृति नहीं,ध्यान कृति है।।

गुफाएं रहस्य पूर्ण है।।

सब कुछ छोड़ना लेकिन कभी कथा नहीं छोड़ना।।

कथा चमत्कार नहीं है साक्षात्कार है।।

एहि बिधि कथा कहहि बहुं भांति।

गिरि कंदरॉं सुनी संपाती।।

तुरत गयउ गिरिबर कंदरॉं।

करौं अजय मखअस मन  धरा।।

जनार्दन स्वामी संस्थान और वर्ल्ड हेरिटेज साइट इलोरा गुफा,वेरूल-छत्रपति संभाजीनगर-औरंगाबाद के सांनिध्य में रामकथा के आरंभ पूर्व बापू ने बताया की परमात्मा की असीम और अहेतु कृपा से इस पावन भूमि पर नव दिवसीय कथा के आरंभ पर समस्त प्रकट-अप्रगट चेतनाओं को प्रणाम।।

बापू ने मनोरथी राजेश भैया और परिवार के प्रति अपनी प्रसन्नता का भाव व्यक्त किया और कहा कि यह 1200 1300 साल पुरानी कंदरा में आने का योग बना।सामने यह सब गुफाएं हैं और दर्शन करते हुए संवाद करेंगे।।

इस कथा में बहुत चीजों का समन्वय हो रहा है: यह भूमि कलाकृति नहीं ध्यान कृति है।। क्योंकि कला तो आज के टेक्नोलॉजी से भी हो सकती है।बापू ने कहा कि यह नीचे से ऊपर नहीं बनी लेकिन आसमान से उतारा गया है! यहां एक कैलाश भी है यहां शिवजी का,महाभारत का,रामायण का इतिहास है। बौधकालीन, महावीर की गुफा भी है। दूसरा आज गणेश चतुर्थी है। गणेश का उत्सव महाराष्ट्र की आत्मा है। तीसरा संवत्सरी पर्यूषण पर्व है और इन दोनों ऋषि पंचमी भी आ रही है।।

बापू ने बताया विषय पहले से तय किया हुआ था गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कंदरा,,गुहा,गुफा,कोह, बीबर कंदर आदि शब्द प्रयोग किए हैं।। सबके अपने बिलक अर्थ है। मानस में कंदर कंदरा शब्द नव बार आया है।।

 बुद्ध और महावीर को 2500 साल हुए बाद में 1500 साल में यह गुफा बनी है। ओशो ने ऐसा कहा यह कंदरा कारीगरों ने नहीं साधकों ने ध्यान करते हुए बनाई है।। हमारे यहां गुफाओं में यज्ञ ध्यान समाधि की जाती है। कंदराओं में साधना भी होती है योग भी होता है।। एलोरा का एक अर्थ प्रकाश है, ईश्वर यह प्रकाश।। यहां चार गुफा को केंद्र में रखते हुए हम संवाद करेंगे।

हिमगिरी गुहा एक अति पावनि।

बहत समीप सुरसरि सुहावनी।।

वहां हिमगिरी गुहा है और व्यास गुफा भी है। बद्रीनाथ में नारद जाते हैं नारद को शाप है कहीं एक जगह स्थिर नहीं रह सकते।लेकिन

सुमिरत हरिहि साप गति बाधि।

सहज बिमल मन लागी समाधि।।

श्राप की गति वहां अटक गई। यहां नारद को ध्यान और समाधि लगी है।। यहां मन शब्द आया है। मन की एक गुफा है। एक गुफा राम और लक्ष्मण चातुर्मास करते हैं और एक गुफा में बाली और सुग्रीव मायावी को मारने के लिए जाते हैं। एक गुफा हनुमान जी स्वयं प्रभा के पास जाते हैं।एक संपात्ति वाली भी गुफा है।।तो ऐसे मन की, बुद्धि की, चित की और अहंकार की गुफा है और एक गुफा सबसे पार करने वाली गुफा है।। गुफा से निर्वाण, समाधि, ध्यान, योग सिद्धि यज्ञ निकलते हैं।।

बापू ने कहा गुफाएं रहस्य पूर्ण है। यह भी याद करवाया कि सब कुछ छोड़ना लेकिन कभी कथा नहीं छोड़ना।। यहां मेघनाथ और संपाति के बीच में जामवंत मुख्य है। एक पंक्ति किष्किंधा कांड और एक पंक्ति लंका कांड से ली गई है।

कथा चमत्कार नहीं है साक्षात्कार है।।

 फिर मंगलाचरण में सात सोपान में प्रथम सोपान में सात श्लोक में वंदना प्रकरण। सबसे पहले वाणी और विनायक की वंदना और उसी क्रम में भवानी और शंकर की वंदना।। बीच में गुरु की वंदना और फिर हनुमान जी वाल्मीकि और सीताराम जी की वंदना हुई है।। बापू ने कहा गुरु मध्य में होना चाहिए फिर लोक बोली में सोरठा में पंचदेवों की वंदना और गुरु वंदना के बाद बापू ने हनुमंत वंदना का प्रकरण और हनुमान जी की वंदना के बाद आज की कथा को विराम दिया गया।।

ये जनार्दन स्वामी संस्थान एक धार्मिक संगठन है जो भारत के महाराष्ट्र के औरंगाबाद में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल एलोरा गुफाओं के पास स्थित है। यह संगठन 19वीं शताब्दी में रहने वाले संत जनार्दन स्वामी के दर्शन को समर्पित है।

एलोरा गुफाएँ एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जो अपनी प्रभावशाली रॉक-कट वास्तुकला और मूर्तियों के लिए जानी जाती हैं। कुल 34 गुफाएँ हैं, जो बौद्ध, हिंदू और जैन धर्मों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये गुफाएँ 5वीं से 10वीं शताब्दी ई.पू. की हैं और इन्हें प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति का एक उल्लेखनीय उदाहरण माना जाता है।

जनार्दन स्वामी संस्थान एलोरा गुफाओं के करीब स्थित है और गुफाओं में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए आवास और अन्य सुविधाएँ प्रदान करता है। संगठन जनार्दन स्वामी की शिक्षाओं को बढ़ावा देने और समुदाय की सेवा करने के उद्देश्य से विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ, जैसे शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चलाता है।

जनार्दन स्वामी (1770-1835) महाराष्ट्र, भारत के एक संत और आध्यात्मिक नेता थे। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और छोटी उम्र से ही उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। उन्होंने भगवद गीता, उपनिषद और पुराणों सहित विभिन्न शास्त्रों और दार्शनिक ग्रंथों का अध्ययन किया।

जनार्दन स्वामी की शिक्षाओं में निम्नलिखित बातों पर जोर दिया गया:

  1. ईश्वर के प्रति भक्ति
  2. गुरु-शिष्य परम्परा (गुरु-शिष्य संबंध की परंपरा)
  3. मानवता के प्रति निस्वार्थ सेवा
  4. सादा जीवन और भौतिकवाद से अलगाव
  5. आंतरिक शुद्धि और आध्यात्मिक विकास

उन्होंने भगवान विट्ठल (भगवान कृष्ण का एक रूप) की पूजा की वकालत की और अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने के लिए “ओम विट्ठल” मंत्र का जाप करने के लिए प्रोत्साहित किया।

जनार्दन स्वामी की विरासत में शामिल हैं:

  1. एलोरा (औरंगाबाद) में जनार्दन स्वामी संस्थान की स्थापना
  2. महाराष्ट्र में कई मंदिरों और मठों की स्थापना
  3. कई शिष्यों को अपनी आध्यात्मिक परंपरा में शामिल करना
  4. मराठी में भक्ति गीत और साहित्य की रचना

उनकी शिक्षाओं और दर्शन ने कई साधकों और संतों को प्रेरित किया है, जिनमें शेगांव के प्रसिद्ध संत श्री गजानन महाराज भी शामिल हैं।

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