किशारों और युवा व्यस्कों के लिए अखरोट सेवन का महत्व कई अध्ययनों में प्रदर्शित हो चुका है।
नई दिल्ली, सितंबर, 2024 – व्यक्ति के स्वास्थ्य में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 1997 से 2012 के बीच जन्मे बच्चे, जिन्हें जेन ज़ी कहकर पुकारा जाता है, ‘फूडी जनरेशन’ (खाने-पीने के शौकीन) माने जाते हैं। जेन ज़ी विभिन्न कारणों से अपनी पसंद के खाने की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन अध्ययनों में सामने आया है कि वो सेहत एवं स्वास्थ्य बढ़ाने वाले, वजन नियंत्रित रखने वाले और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले आहार को प्राथमिकता देते हैं।1,2 लेकिन जब भी इस तरह के आहार का चयन करना हो, तब जेन ज़ी और मिलेनियल्स एवं अन्य सभी लोगों के दिमाग से एक सुविधाजनक और महत्वपूर्ण आहार – अखरोट अक्सर निकल जाता है।
अखरोट एवं अन्य मेवों में अत्यधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनकी सिफारिश विश्व में हर तरह के आहार के लिए की जाती है। भारत में राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा आहार के नए दिशानिर्देशों में इनके सेवन की सिफारिश की गई है, जिससे स्पष्ट होता है कि अखरोट एवं अन्य मेवे स्वस्थ आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नए अध्ययनों में सुझाव दिया गया है कि खासकर जेन ज़ी एवं मिलेनियल्स के साथ सभी लोगों को अखरोट एवं अन्य मेवों का सेवन करना चाहिए।
नए अध्ययन में जेन ज़ी और मिलेनियल्स का वजन नियंत्रित रखने में मेवों के महत्व का आकलन किया गया है।
कैलिफोर्निया वॉलनट कमीशन द्वारा वित्तपोषित और इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ-ब्लूमिंगटन द्वारा किए गए नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो किशोर एवं युवा व्यस्क अखरोट और अन्य मेवों का सेवन करते हैं, उनमें मेवों का सेवन न करने वाले लोगों के मुकाबले कम मोटापा पाया जाता है।4
शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं पोषण परीक्षण सर्वे (एनएसएएसईएस) के आँकड़ों का विश्लेषण किया, जिसमें 19,000 से ज्यादा किशोरों (12 से 19 साल) और युवा व्यस्कों (20 से 39 साल) का सर्वे किया गया था। इसमें अखरोट एवं अन्य मेवे खाने और शरीर में फैट की मौजूदगी तथा फैट की स्थानीय संरचना का अनुमान लगाने वाले प्रमाणित टूल, रिलेटिव फैट मास (आरएफएम) के साथ मोटापे के बीच संबंध का अध्ययन किया गया।
जो महिलाएं केवल अखरोट का सेवन करती हैं, उनमें मोटापा मेवों का सेवन न करने वाली महिलाओं के मुकाबले काफी कम पाया गया। हालाँकि यह संबंध अखरोट का सेवन करने वाले युवा पुरुषों, किशोर लड़कों या किशोरियों में नहीं देखा गया। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जो किशोरियाँ एवं युवा महिलाएं अखरोट का सेवन करती हैं, या अन्य मेवों का सेवन करती हैं, उनमें इनका सेवन न करने वालों के मुकाबले काफी कम आरएफएम पाया गया। अखरोट एवं अन्य मेवों का सेवन करने वाले युवा पुरुषों में इनका सेवन न करने वाले युवा पुरुषों के मुकाबले आरएफएम के साथ विपरीत संबंध दर्ज हुआ, जबकि किशोर लड़कों में यह संबंध नहीं पाया गया4।
ये आशाजनक परिणाम हैं, जिनसे प्रदर्शित होता है कि कुछ विशेष आबादियों में अखरोट और मेवा खाने से मोटापे एवं आरएफएम में कमी आ सकती है। हालाँकि इसके कारण और प्रभाव का निर्धारण नहीं किया जा सका है, इसलिए इन परिणामों के समर्थन में और ज्यादा अध्ययन किए जाने की जरूरत है। साथ ही मेवों का सेवन आबादी समूह में काफी कम था, जिसमें 76 प्रतिशत किशोर और 69 प्रतिशत युवा व्यस्क प्रतिदिन मेवों का सेवन नहीं करते थे। इसके अलावा, जब अखरोट का सेवन किया गया, तब किशोरों ने प्रतिदिन केवल 2 ग्राम अखरोट का सेवन किया, जबकि युवा व्यस्कों ने प्रतिदिन 4 ग्राम अखरोट का सेवन किया, जो प्रति सप्ताह 56 से 75 ग्राम या प्रतिदिन 30 ग्राम मेवों के सेवन के अनुशंसित स्तर से काफी कम था3।
डॉ. कार्ला मिलर, पीएचडी, आरडी, प्रोफेसर ऑफ न्यूट्रिशन, इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ-ब्लूमिंगटन ने कहा, ‘‘जहाँ इस विषय में और ज्यादा अनुसंधान किए जाने की जरूरत है, वहीं इन परिणामों से यह तो स्पष्ट हो गया कि आहार का निर्णय केवल उसमें मौजूद कैलोरी के आधार पर नहीं लिया जाना चाहिए। अखरोट एवं मेवों को अपने आहार में शामिल करके मोटापे का जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है।” उन्होंने आगे कहा, ‘‘चाहे अखरोट और मेवों का सेवन मुट्ठीभर स्नैक के रूप में हो या फिर इन्हें थोड़ी सी मात्रा में भोजन में शामिल किया जाए, लेकिन सेहत बनाए रखने के लिए इन्हें पोषणयुक्त आहार का हिस्सा जरूर होना चाहिए।”
अखरोट वजन नियंत्रण के अलावा जेन ज़ी और मिलेनियल्स को अन्य शारीरिक एवं मानसिक लाभ भी प्रदान करता है।
किशोर और युवा व्यस्क ऐसा आहार चाहते हैं, जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखे। उनमें से 30 प्रतिशत भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने वाला आहार चाहते हैं। अध्ययनों में सामने आया है कि अखरोट खाने से इस आबादी के संज्ञानात्मक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य में मदद मिलती है।
- प्रतिदिन अखरोट खाने से किशोरों की एकाग्रता और ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है – विभिन्न स्कूलों में 11 से 16 साल के 771 स्वस्थ किशोर बच्चों पर किए गए एक परीक्षण में अखरोट न खाने वाले बच्चों के मुकाबले, जिन बच्चों ने प्रतिदिन 30 ग्राम अखरोट (एक मुट्ठी) का सेवन किया, उनके न्यूरोसाईकोलॉजिकल प्रदर्शन में सुधार आया और ध्यान लगाने की क्षमता, बुद्धि (जैसे प्रॉब्लम सॉल्विंग, क्विक रीज़निंग) में वृद्धि हुई तथा एडीएचडी लक्षणों में सुधार आया6,*। इस अध्ययन के सकारात्मक परिणाम केवल उन किशोर बच्चों में देखे गए, जिन्होंने प्रति सप्ताह 3 से ज्यादा बार अखरोट का सेवन किया। इस समूह में केवल आधे से कम प्रतिभागियों ने 6 माह तक प्रतिदिन अखरोट सेवन किया, जिससे डेटा की सटीकता में अंतर हो सकता है। इस अध्ययन के प्राथमिक परिणामों में न्यूरोसाईकोलॉजिकल कार्य पर कोई महत्वपूर्ण अवलोकन दर्ज नहीं हुए, जिससे प्रदर्शित होता है कि इस मामले में सकारात्मक परिणाम नहीं मिले। हालाँकि अध्ययन ने किशोरों के मस्तिष्क के विकास में अखरोट के प्रभाव के बारे में क्लिनिकल एवं एपिडेमियोलॉजिकल शोध के लिए महत्वपूर्ण जानकारी एवं आधार प्रदान किया।
- अखरोट से यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य एवं सामान्य सेहत में सुधार आ सकता है – यूनिवर्सिटी में 18 से 35 साल के 80 स्वस्थ विद्यार्थियों पर किए गए एक नए अध्ययन में, 16 सप्ताह तक 60 ग्राम अखरोट का सेवन करने पर अखरोट का सेवन न करने वाले विद्यार्थियों के मुकाबले तनावपूर्ण एकेडेमिक सत्र के दौरान स्वनिर्मित मानसिक स्वास्थ्य के स्कोर और तनाव एवं अवसाद के स्कोर में नकारात्मक परिणामों की रोकथाम दर्ज हुई। जिस समूह ने अखरोट का सेवन किया, उनमें तनाव से सुरक्षा प्रदान करने वाले मेटाबोलिक मार्कर्स बढ़े तथा तनाव उत्पन्न करने वाले मार्कर्स में कमी दर्ज हुई। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जिस समूह ने अखरोट का सेवन किया, उनके नींद के स्कोर में सुधार आया और अध्ययन की अवधि के अंत में नींद, नींद की गुणवत्ता, सोकर उठने के बाद ताजगी, और जगने के बाद व्यवहार बेहतर हुए7,*। हालाँकि परिणामों की पुष्टि अभी बाक़ी है।
- अखरोट खाने से युवा व्यस्कों के मेटाबोलिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है – 22 साल से 36 साल के 84 युवा व्यस्कों के बीच किए गए एक अध्ययन में, जिनमें कम से कम एक मेटाबोलिक सिंड्रोम रिस्क फैक्टर मौजूद है, शोधकर्ताओं ने पाया कि कार्बोहाईड्रेट वाले स्नैक खाने की तुलना में 30 ग्राम मिश्रित अनसॉल्टेड मेवे, जैसे अखरोट प्रतिदिन दो बार खाने से मेटाबोलिक स्वास्थ्य में सुधार आ सकता है। शोधकर्ताओं ने कार्बोहाईड्रेट युक्त स्नैक खाने वाली महिलाओं के मुकाबले मेवे खाने वाली महिलाओं की कमर और लिपिड बायोमार्कर में कमी भी दर्ज की। जिन पुरुषों ने मेवों का सेवन किया, उनके खून में कार्बोहाईड्रेट युक्त स्नैक खाने वाले पुरुषों के मुकाबले इंसुलिन के स्तर में कमी आई। मेवों का सेवन करने वाले पुरुषों और महिलाओं, दोनों में ट्राईग्लिसराईड्स और टीजी/एचडीएल अनुपात में सुधार हुआ और टीजी/एचडीएल अनुपात कार्बोहाईड्रेट युक्त स्नैक खाने वालों के मुकाबले 11 प्रतिशत कम हुआ8,*।
इन अध्ययनों की कुछ सीमाएं भी रहीं। यद्यपि कारण-परिणाम के संबंध स्थापित नहीं हो सके, पर इनसे यह स्पष्ट हो गया कि अखरोट सहित अन्य मेवे स्वस्थ आहार में शामिल करने पर मेटाबोलिक स्वास्थ्य एवं सेहत में सुधार हो सकता है। अन्य आबादियों पर इन परिणामों के प्रभाव का निर्धारण करने के लिए और ज्यादा अनुसंधान की जरूरत है।
*इस अनुसंधान का वित्तपोषण कैलिफोर्निया वॉलनट कमीशन ने किया था।
संदर्भ:
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सूचना परिषद। 2024 खाद्य एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण। 20 जून, 2024। https://foodinsight.org/I 2024-food-health-survey/। 22 जुलाई, 2024 को संदर्भ लिया।
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सूचना परिषद। 2022 खाद्य एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण। 18 मई 2022। https://foodinsight.org/2022-food-health-survey/। 22 जुलाई, 2024 को संदर्भ लिया।
- यू. एस. कृषि विभाग एवं यू. एस. स्वास्थ्य व मानव सेवा विभाग। अमेरिकंस के लिए आहार संबंधी दिशानिर्देश, 2020-2025। 9वां संस्करण। दिसंबर 2020। gov पर उपलब्ध।
- ग्लेत्सु-मिलर एन, हेंशेल बी, टेकवे सी, त्यागराजा, के. एनएचएएनईएस (2003-2020) में संयुक्त राज्य अमेरिका के किशोरों और युवा वयस्कों में मोटापे और सापेक्ष फैट मास के साथ अखरोट सेवन के संबंध पर एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन। Curr Dev Nutr. 2024; 8(8): 104407.
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