अहमदाबाद 22 अक्टूबर 2024: सेरेलैक, नेस्ले के सीरियल-बेस्ड कॉम्प्लीमेंटरी फूड, ने भारत में 50वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। नेस्ले इंडिया की पंजाब के मोगा में स्थित मशहूर फैक्ट्री में 15 सितंबर 1975 को सेरेलैक का पहला बैच बनाया गया था। आज पंजाब के मोगा और हरियाणा की समलखा फैक्ट्री में सैकड़ों कर्मचारी लगातार अच्छी गुणवत्ता के पौष्टिक उत्पाद उसी सावधानी एवं लगन के साथ बना रहे हैं।
पिछले पाँच दशकों से सेरेलैक ने उच्च गुणवत्ता की सामग्रियों का इस्तेमाल करने की अपनी प्रतिबद्धता को बरकरार रखा है। इनमें स्थानीय रूप से प्राप्त किये जाने वाले अनाज और दूध शामिल हैं। सेरेलैक का हर बैच कठोर गुणवत्ता जाँचों से होकर गुजरता है, इसके 40 से ज्यादा क्वॉलिटी टेस्ट किये जाते हैं ताकि हर पैक खाने के लिये पूरी तरह सुरक्षित हो।
सूक्ष्म पोषकतत्वों की कमी को दूर करने में विटामिन तथा खनिजों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इन सूक्ष्म पोषकतत्वों को सही मात्रा में लेने पर तंदुरुस्ती में सहयोग मिल सकता है। भारत में आने के बाद से ही सेरेलैक ने 6 महीने से बड़े नवजात शिशुओं के लिये कॉम्प्लीमेंटरी फूड (पूरक आहार) की पेशकश कर रहा है। सेरेलैक में 15 पोषकतत्व होते हैं*, जिनमें विटामिन और मिनरल शामिल हैं। इसे डॉक्टर की सलाह के अनुसार घर के खाने के साथ दिया जा सकता है।
सेरेलैक की न्यूट्रीशन प्रोडक्ट रेसिपीज नेस्ले के ग्लोबल आर एण्ड डी नेटवर्क के साथ मिलकर विकसित की जाती हैं। इनमें स्थानीय विशेषज्ञता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय नवाचार भी होता है।
सेरेलैक में नई-नई खोजें करने की इसकी यात्रा के तहत, पिछले 5 वर्षों से अतिरिक्त शुगर को 30% तक कम किया गया है। नेस्ले ने बिना रिफाइंड शुगर के ‘सेरेलैक’ वैरिएंट्स पेश करने की महत्वाकांक्षा भी पूरी की है। इसकी शुरूआत तीन साल पहले हुई थी और बिना रिफाइंड शुगर वाले नये सेरेलैक वैरिएंट्स की पेशकश के साथ इसी वर्ष काम पूरा हुआ है। भारत में सेरेलैक की विस्तारित श्रृंखला के पास अब 21 वैरिएंट्स होंगे, जिनमें से 14 वैरिएंट्स में रिफाइंड शुगर नहीं होगी। इन 14 वैरिएंट्स में से 7 वैरिएंट्स नवंबर 2024 के अंत तक उपलब्ध होंगे और बाकी आने वाले महीनों में उपलब्ध हो जाएंगे।
सेरेलैक केवल सुरक्षित पोषण ही प्रदान नहीं करता है, बल्कि नेस्ले कंपनी सामुदायिक एवं जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ाना चाहती है। नेस्ले इंडिया स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करती है, किसानों के कौशल में वृद्धि करती है और उन्हें प्रशिक्षण देती है, ताकि सामग्रियों की प्राप्ति स्थायी तथा जिम्मेदार तरीके से हो सके। कंपनी इस तरह अपना कार्बन फुटप्रिंट कम कर रही है और भावी पीढि़यों के लिए धरती को बचाने की कोशिशों में जुटी है। मोगा और समलखा के कारखानों में ज़ेर’ एयू टेक्नोलॉजी पर सफल कार्यान्वयन करते हुए, दूध से निकलने वाले पानी को रिसाइकल किया जाता है। इससे हर साल भूमिगत जल की खपत में कमी आती है और उस पर निर्भरता भी कम हो जाती है।
भारत में सेरेलैक की यात्रा उस भरोसे, सहयोग तथा साझेदारियों के कारण संभव हुई है, जिसे नेस्ले ने किसानों, सप्लायर्स और वितरकों के साथ दशकों में हासिल किया है। नेस्ले इंडिया अपने उत्पादों में नयापन लाने और अपने ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा विकल्प देने के लिए नेस्ले के ग्लोबल आर एण्ड डी नेटवर्क का लाभ उठाना जारी रखेगी।
कंपनी द्वारा बनाए जाने वाले उत्पाद आधुनिक और पौष्टिक होने के साथ ही स्थानीय स्वाद एवं पसंद के अनुसार होते हैं।