भारत का लोकतंत्र एक तट है और वेद मंत्र दूसरा तट है।।
दोनों तटों के बीच परमार्थ निकेतन आश्रम का प्रवाह बह रहा है।।
दृष्टि का वक्रपना खत्म हो जाते ही समानुभूति होती है।।
नहीं हूं वह जगत को दिखाने की कोशिश ना करूं ऐसी प्रार्थना करो!
संगम में संकल्प करें हम जैसे हैं वैसे ही पेश आए,तभी समानुभूति होगी।।
गंगा सत्य है,यमुना जी प्रेम है और सरस्वती करुणा है।।
यह महाकुंभ दिव्य,भव्य और साथ-साथ सेव्य भी है।।
कथा बीज पंक्ति:
माघ मकरगतरबि जब होइ।
तीरथपतिहिंआव सब कोइ।।
देव दनुज किंनर नर श्रेनी।
सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी।।
-बालकॉंड दोहा-४४
इन बीज पंक्तियों के साथ कथा को विराम की ओर लेते हुए उपसंहारक बातें करते हुए बापू ने कहा कि यहां कुंभ में कहीं कथा चल रही है कहीं यज्ञ और बहुत सत्कर्म हो रहे हैं।।
आज बागेश्वर धाम से धीरेंद्र शास्त्री जी भी विशेष उपस्थित रहे।
गणतंत्र दिनों में कई बातों का संगम हुआ। संविधान दिन,राष्ट्रीय ध्वज दिन और गणतंत्र दिन के संगम पर दुनिया और देशवासियों को बधाई देते हुए बापु ने कहा कि भारत का लोकतंत्र एक तट है और वेद मंत्र दूसरा तट है।। दोनों तटों के बीच परमार्थ निकेतन आश्रम का प्रवाह बह रहा है।।तब एक विनय भी किया कि यह आश्रम बहुत अच्छा है। सुंदर है यहां वटवृक्ष तो है ही।उसे विश्वास वट नाम भी रखेंगे दूसरा विनय किया कि अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति यहां बनाई है तो दाएं और वाल्मीकि और बाई और तुलसीदास जी मूर्ति भी हो सके तो रखना।। विशेष प्रसन्नता लेकर जा रहा हूं!
बापू ने कहा संस्कृत ग्रंथ में लिखा है समंदर जिसका पद प्रक्षालन करता है,हिमालय जिसका किरीट मुकुट है और समस्त चेतनां जिसमें निवास करती है ऐसे भारत मातरम को हम प्रणाम करते हैं।। अथर्ववेद में लिखा है पृथ्वी गाय हैं। पृथ्वी सबको पोषक दूध पिलाती है। सबका संगम मिलन स्वीकार है ऐसी भूमि में प्रणाम करते हैं।। पंडित रामकिंकर महाराज ने भी अपने भाव रखे हैं।।सीताराम के विवाह में जनक और दशरथ का संगम हुआ है। अयोध्या कांड में बढ़ती समृद्धि का अतिरेक वनवास का संकेत देती है।।मंथरा को त्रिभंग कहा है पैर वक्र है गरदन वक्र है। लेकिन दृष्टि भी वक्र है वह वनवास का कारण बनती है।।वक्र दृष्टि को सम्यक करने की यह कथा है।। दृष्टि का वक्रपना खत्म हो जाते ही समानुभूति होती है।।
बापू ने कहा कि मैं जो नहीं हूं वह जगत को दिखाने की कोशिश ना करूं ऐसी प्रार्थना करो! संगम में संकल्प करें हम जैसे हैं वैसे ही पेश आए,तभी समानुभूति होगी।।
राम का वनवास हुआ।चित्रकूट में स्थिर हुए।दशरथ ने प्राण त्याग किया। सब ने मिलकर भरत को राजगादी लेने के लिए कहा। लंबा संवाद चला।तब भरत ने कहा मैं पद का नहीं पादुका का आदमी हूं मैं सत्ता का नहीं सत का आदमी हूं।।और चित्रकूट मिलन का प्रसंग हुआ। चित्रकूट में मिथिला और अयोध्या ऐसे मिले की प्रेम नगरी बसा दी।
बालकांड का आरंभ अयोध्या कांड का मध्य और उत्तरकॉंड का अंत जो ठीक से समझे उसी का नाम संत।।
भरत आधार के लिए पादुका मांगते हैं। पादुका के बारे में संतों ने बहुत प्रकाश डाला है। युवाओं को मानस में रुचि है तो चित्रकूट पीठाधीश रामभद्राचार्य ने एक पुस्तक लिखा है ‘प्रभु करी कृपा पांवरीदिन्ही’ अवकाश पा कर पढ़ना।। धर्म का संबंध रिलिजियस से नहीं सनातन मूल्य से है।।
और फिर भी आंखों से अश्रु के साथ भरत नंदीग्राम में रहने की बात करते हैं वह करुण प्रसंग पेश किया गया।। वैराग्य की जन्मदाता परम प्रेम है।।
अरण्य कांड में अत्री स्तुति, अनुसूया से नारी धर्म के विशेष बात, सरभंग और सुतीक्ष्ण और कुंभज के पास आकर गोदावरी के पास पंचवटी में निवास करते हैं।।गिरिराज जटायु से मिले। लक्ष्मण राम से पांच प्रश्न पूछते हैं उत्तर देने के बाद सूर्पनखा आती है आध्यात्मिक जागरण होता है तब कोई ना कोई सूर्पनखा विक्षेप करती है।वो दंडित हुई। खरदूषण परस्पर राम दर्शन करके मर गए।।हम जब तक परस्पर राम दर्शन नहीं करेंगे तब तक राग द्वेष नहीं मिटेगा।।
अरण्य कांड में शबरी के आश्रम में आए।शबरी योग अग्नि में परमधाम को गई। किष्किंधा कांड में राम सुग्रीव की मैत्री का संगम हुआ। सीता हरण के बाद हनुमान जी द्वारा लंका दहन और सुंदरकांड में हनुमान जी चूड़ामणि लेकर आए।। और रावण निर्वाण का वर्णन हुआ।। लंका कांड के अंत में कल्याण राज्य का स्थापन शिव स्थापन हुआ।। लंका में एक भी शिव मंदिर नहीं था। एक तट पर हरि मंदिर एक तट पर हर मंदिर का संगम बना।। फिर पुष्पक आरूढ होकर अयोध्या आए और तुलसी जी ने रामचरितमानस का सार सत्य प्रेम और करुणा दिखाए।।
बापू ने कहा गंगा सत्य है,यमुना जी प्रेम है और सरस्वती करुणा है।।करुणा गुप्त होती है। एक निषाद और एक परम पावन वशिष्ठ बहुत बड़ा संगम है।। बापू ने खास बताया एक को जानो,एक को ध्यावो-ध्यान करो, एक को सेवो और एक के हो जाओ।।
यह महाकुंभ दिव्य,भव्य और साथ-साथ सेव्य भी है।।
राम कथा का सुकृत पवित्र प्रवाही परोपकारी सतुआ बाबा की पीठ को अर्पण किया।।
और हनुमान जी को प्रार्थना करी की ये कुंभ में जहां तक कुंभ है आप यहां भी एक रूप से ठहरो और कुंभ का रक्षण करो।।
कथा के लिए अपनी प्रसन्नता सबको लेकर राम कथा को विराम दिया गया।।
अगली-क्रम में ९५१वीं रामकथा शनिवार १ फरवरी से ९ फरवरी के दरमियान नडीआद(गुजरात)से गुंजेगी।।
ये रामकथा का जीवंत प्रसारण आस्था टीवी चेनल एवं चित्रकूटधामतलगाजरडा तथा संगीतनी दुनिया परिवार यु-ट्युबचेनल के माध्यम से नियमित समय पर पहले दिन शनिवार शाम ४ बजे से और बाकी के दिनों में सुबह १० बजे से देखा जा सकता है।।