नोर्वे की कथा हमारे लिये नोळवेल है।।
रामचरितमानस स्वयं महामंत्र है।।
जब तक हमारी वाणी काली को,परम तत्व को अर्पण ना करें तब तक सरस्वती का वरदान नहीं मिलता।।
महामंत्र जोइ जपत महेसू।
कासीं मुकुति हेतु उपदेसू।।
मंत्र महामनि बिषय ब्याल के।
मेटत कठिन कुअंक भाल के।।
-बालकॉंडं
विदेश की धरती पर बहुत अरसे के बाद बापू का आगमन हुआ।। मिडनाइट सन-मध्य रात्रि के सूर्य की भूमि से पहचाने जाने वाली यूरोप से भी उत्तर ध्रुव तक फैली हुई,हीमाच्छादित खुशनुमा मौसम की भूमि नॉर्वे के ट्रोम्सो नगर से रामकथा पहले दिन का इन बीज पंक्तियों के साथ आगाज हुआ।।
बापू ने पहली बात यह बताई की कच्छ रवेची की कथा से कहा था ऐसी यात्रा शुरू करें जिसे हम क्षमायात्रा कहे।क्योंकि हमने अपनी जीवन यात्रा में बुद्धपुरुष और महापुरुष के अपराध किए हैं।। केवल धर्म क्षेत्र नहीं लेकिन सभी क्षेत्र के जाने अनजाने में बुद्धपुरुष के अपराध हो गए हैं। इसलिए सात कथा की यात्रा क्षमायात्रा के रूप में करनी थी और यह सातवां कदम नॉर्वे की भूमि में आ गया है।। बापू ने बताया बालक से लेकर ब्रह्मा तक हमने अपराध किए हैं। क्योंकि हम जीव है।वह अपराध भाव से मुक्त होने के लिए यह कदम रख रहे हैं।। किसी ने पूछा था नॉर्वे का अर्थ क्या होता है? बापू ने कहा कि मैं इतना अंग्रेजी नहीं जानता लेकिन तुलसीदास जी ने लिखा है: संसार भुजंग है, प्रतिपल दंश दे रहा है। तुलसी नकुल है सांप विष से बड़ा डंस देता है तब नकुल हार की कगार पर आ जाता है और एक वनस्पति नॉळवेल को सुंघ लेता है और फिर शक्ति पा कार सांप से लड़ाई करता है।। बापू ने कहा कि यह नॉर्वे की कथा हमारे लिए नॉळवेल है।संसार हमारी समझ को छीन रहा है। केवल धर्म और अध्यात्म नहीं हर क्षेत्र विश्व मंगल के लिए जिसने काम किया इसके अपराध की क्षमा के लिए हम फिर सचेत हो जाएं। सावधान हो जाए। जागृत हो जाए, इसीलिए यह कथा है।।
बापू ने यह भी बताया कि अपने घर में गुजराती बोलो, हिंदी बोलो।। क्योंकि हमारी भाषा हमारी नोळवेल है।। तुलसी जी ने कहा:
भव भुजंग तुलसी नकुल।डसत ज्ञान हर लेत, चित्रकूट एक औषधि….
यह कथा इसी रूप में भी लेना है।।
बापू ने दूसरी बात बताई आज आषाढ़ का प्रथम दिन है।।महाकवि कालिदास का स्मरण करेंगे और कल रथ यात्रा अषाढ़ी बीज का दिन है।। बापू ने कहा आषाढ अपने आप में बड़ा महत्वपूर्ण है। क्योंकि श्लोक का स्वामी कालिदास और लोक का स्वामी लोककवि दोनों आषाढ़ का स्मरण करते हैं। कालिदास का स्मरण करते हुए बापू ने कहा कि उनके जीवन के बारे में दो-तीन बातें मिलती है। शुरू के जीवन में वह महा मूर्ख माने जाते थे।क्योंकि जिस वृक्ष की डाली पर बैठे थे उसी डाली को काट रहा था! हम भी वही काम करते हैं जिसके आश्रय में हम पनपे हैं उसी को हम काटते हैं। इसलिए एक क्षमायात्रा है। फिर कालिदास महाकाली की शरण में जाता है।।अपनी जीभ काली के चरण में अर्पण करता है मां प्रकट होती है और सरस्वती का वरदान देती है।। बापू ने बताया हमारे लिए यह मतलब है कि जब तक हमारी वाणी काली को, परम तत्व को अर्पण ना करें तब तक सरस्वती का वरदान नहीं मिलता।। हम काली को जीह्वा नहीं देते काली हमें जीभ प्रदान करती है। और परम के गुण गाने के लिए प्रेरित करती है।। फिर कालिदास ने तीन महान ग्रंथ- शाकुंतलम, रघुवंश और कुमार संभव लिखे जिसे लघुत्रयि कहते हैं।।आषाढ़ प्रगाढ़ मास है।।सगर्भ मास है,बीज मंत्र का मास है।।
और फिर बापू ने बताया कि गुरु कृपा से निर्णय यह मिला कि मानस मंत्राष्टक पर हम कथा गान करें।। संस्कृत वांग्माई में अष्टक का बड़ा महिमा है। रामचरितमानस में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष आठ प्रकार के सात्विक मंत्र भी है।।हमारे यहां यंत्र विज्ञान है। तंत्र विज्ञान भी आजकल है और सबसे बड़ा यंत्र श्री यंत्र है और यह मंत्र मार्ग है।।एक राममंत्र है। शिव मंत्र है द्वादश मंत्र है।साबर मंत्र है। एक परम लघु मंत्र है। एक बीज मंत्र है।।रामचरितमानस स्वयं महामंत्र है बापू ने बताया कि बालकांड मंत्रात्मक है। अयोध्या कांड सत्यात्मक है।।अरण्यकांड सूत्रात्मक है। किष्किंधा कांड स्नेहात्मक है। सुंदरकांड सेवात्मक है।।लंका कांड शास्त्रात्मक और उत्तरकॉंड स्मरणात्मक है।।
बापू ने यह भी बताया कि इतने युद्ध हो रहे हैं हमारा बस चले तो इन बच्चों के लिए खाने का प्रबंध करें। प्रसाद के रूप में खाना परोसां जाए लेकिन मंजूरी नहीं मिल रही।। बापू बहुत दुखी दिखे की चारों ओर युद्ध हो रहे हैं और बच्चे मर रहे हैं।।
बापू ने कहा कि हम शांति को हजम नहीं कर पाते हैं।। फिर बापू ने गुरु की बात भी बताई और गुरु वंदना की चौपाइयों का सात्विक और तात्विक अर्थ प्रकट करके बापू ने रामचरितमानस के माहत्म्य को संवाद करते हुए श्लोक से लेकर लोक तक पहुंचे हुए सभी मंत्र और सभी सूत्र के बारे में बताया यह भी बात की की विज्ञान के लिए वाल्मीकि महाविग्यानी कहे और एक कथा मानस विज्ञान पर भी गान करनी है।। क्योंकि भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने कहा की विज्ञान के ऊपर भी एक कथा होनी चाहिए।।
वंदना प्रकरण में हनुमंत वंदना के बाद आज की कथा को विराम दिया गया।।