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कच्छ की पूण्य धरा से कथा का हुआ विराम, अगली ९५३वीं रामकथा ८ मार्च से सोनगढ-व्यारा(गुजरात)से प्रवाहित होगी।।

साहित्य का अर्थ सत्य के साथ जो चलता हो।

परम पवित्र,परमधाम,शाश्वत पुरुष,दिव्य पुरुष,आदि पुरुष,व्यापक पुरुष-वही ईश्वर है।।

प्रसिद्ध की टॉच पर जाने के बाद भी सत्य,रज और तम से दूर रह सके वह ईश्वर है।।

बुद्धिमानों को रामायण साहित्य दृष्टि से भी सुनना चाहिए।।

“मैं रामकथा की तरफ रामकथा के लिए ही गया हूं,आप भी कथा के लिए ही कथा में आना”

जौं सब के रह ग्यान एकरस।

इस्वर जीवहि भेद कहहुं कस।।

-उत्तरकॉंड दोहा ७८

इस्वर अंस जीव अबिनासी।

चेतन अमल सहज सुखरासी।।

-उत्तरकॉंड दोहा-११७

इन बीज पंक्तियों के साथ कथा के विराम के आखिरी दिन उपसंहारक बात करते हुए बापू ने कच्छ के सभी धर्म स्थान और कला विद्या को प्रणाम नमन करते हुए समग्र आयोजन सुचारू रूप से हुआ और निमित्त मात्र मनोरथी तन्ना परिवार की तरफ प्रसन्नता का भाव रखते हुए कहा: रामचरितमानस में एक ईश्वर दूसरे ईश्वर का परिचय देते हैं।।लेकिन सबसे पहले वही स्पष्टता ईश्वर एक ही है,दो नहीं है।।भारत का पूरा अध्यात्म एकेश्वरवाद में मानता है।देवता दो हो सकते हैं।यह सनातन धर्म का सिद्ध किया हुआ शुद्ध मत है।। सत्य एक है,सत्य ही ईश्वर है।। एक ही ईश्वर को हम अपनी रुचि,भावना,श्रद्धा के मुताबिक दर्शन करते हैं लीला में दो दिखते हैं लेकिन ईश्वर एक है।।

ईश्वर शब्द ज्यादा से ज्यादा भगवान शंकर की ओर संकेत करते हैं।। फिर भी राम,कृष्ण,जगदंबा भी ईश्वर है।।

एक लाख घट में पानी भरा है, सुबह सूरज निकलते ही एक लाख घट में सभी में सूरज दिखता है लेकिन सूरज एक ही है।।एक ईश्वर दूसरे ईश्वर के लिए शब्द प्रयोग करें वह ईश्वर का ईश्वरत्व है।। शिव रूपी ईश्वर राम रूपी ईश्वर के लिए कहते हैं:।

पुरुष प्रसिद्ध प्रकाश निधि प्रगट परावर नाथ।

रघुकुल मनी सोई स्वामी मम कहीं सिव नायउ माथ।

शिव-ईश्वर की दृष्टि से ईश्वर कैसा दिखता है?जैसे घायल की गत घायल जाने।। हम जीव ईश्वर का प्रतिपादन नहीं कर सकते,केवल भजन कर सकते हैं।।ईश्वर की आंख से यहां लिखा है-पुरुष।। पुरुष अर्थ वेद में पांच दिखते हैं: एक है परब्रह्म परमात्मा। दूसरा अर्थ है- विराट पुरुष।।तीसरा अर्थ विश्वेश्वर, विश्वनाथ,विश्वरूप।। चौथा अर्थ जहां स्त्री भी समाहित है।।नर के सामने नारी शब्द रख सकते हैं लेकिन वेद की दृष्टि से पुरुष शब्द है वहां स्त्री अलग नहीं है।।इसलिए भगवान शंकर अर्धनारीश्वर भी माने जाते हैं।।अर्थ पुरुषवाचक शब्द है, वाणी स्त्री वाचक शब्द है।वाणी है तो अर्थ है।। ऋग्वेद के 16वें श्लोक में पुरुष सूक्त है,जहां नौ बार पुरुष शब्द का प्रयोग हुआ है।। जिनका अर्थ मेैं पुर्ण(पूर्णांक) की वंदना है ऐसा कह सकता हूं।।

देवी भागवत में तो ठीक हमारी मां के अंदर देखें! हमारे मॉं में समग्र ऐश्वर्य,समग्र धर्म,समग्र ज्ञान,समग्र वैराग्य,समग्र श्री और समग्र यश है।।इसलिए मॉं भी ईश्वर है।।

साहित्य का अर्थ सत्य के साथ जो चलता हो। सबसे श्रेष्ठ साहित्य महाभारत है।।साहित्य का अर्थ मैं साथ-साथ चलता हूं,तुझे जहां पहुंचना है वहां पहुंचाकर फिर में वापस आऊंगा।। लेकिन मूल में भजन ना हो तो साहित्य छिछोरा हो जाता है।। तुलसी लिखते हैं असमय के सखा-साहस,साहित्य और सत्यव्रत है।।व्यास और वाल्मिकी ना होते तो क्या होता! साहित्य ने हमें खड़ा किया है।। महाभारत के प्रसंग का रसिक गान भी हुआ।।

परम पवित्र,परमधाम,शाश्वत पुरुष,दिव्य पुरुष,आदि पुरुष,व्यापक पुरुष-वही ईश्वर है।।

प्रसिद्ध की टॉच पर जाने के बाद भी सत्य,रज और तम से दूर रह सके वह ईश्वर है।। माया जगत और जीव तीनों से बाहर निकल गए हैं उसे परावर कहते हैं।।ऐसा पुरुष तत्व तीन से नापा जा सकता है:वेद ज्ञान विज्ञान और साहित्य।।

इसलिए कहता हूं धर्म की दृष्टि से ना देखो साहित्य की दृष्टि से भी रामचरितमानस को देखो!

बुद्धिमानों को रामायण साहित्य दृष्टि से भी सुनना चाहिए।। मैं राम कथा की तरफ राम कथा के लिए ही गया हूं,आप भी कथा के लिए ही कथा में आना बाकी की कथा में सेतुबंध के बाद पुरुषार्थ का सेतु आकाश गमन और कृपा के सेतु पर से सेना पार करके लंका में भीषण युद्ध हुआ। रावण का तेज राम में विलीन हुआ और सीता जी सहित पुष्पक आरुढ होकर अयोध्या में आगमन हुआ।। वशिष्ठ ने राम के भाल में राज तिलक किया।।

बाद में गरुड़ के सात प्रश्न और भुसुंडी का चरित्र के बाद चारों घाट से कथा को विराम हुआ।।

बापू ने भी कथा के विराम पर सभी आयोजन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि हनुमान जी को प्रार्थना करुं की कुंभ में आखिरी स्नान भी निर्विघ्न हो।। और अभी शिवरात्रि आ रही है महाशिवरात्रि पर सभी को बधाई देते हुए इस कथा का सुकृत सुफल भगवान कोटेश्वर,त्रिकम राय जी,मां कमला,झूलेलाल जी और कच्छ के तमाम तीर्थ स्थान को अर्पण करते हुए कथा को विराम दिया गया।।

अगली क्रम में ९५३वीं रामकथा ८ से १६ मार्च के दरमियान सोनगढ-व्यारा के पास सुरत(गुजरात) से प्रवाहित होगी।।

ये रामकथा का जीवंत प्रसारण आस्था टीवी चेनल एवं चित्रकूटधाम तलगाजरडा यु-ट्युब चैनल और संगीतनी दुनिया परिवार यु-ट्युब चैनल के माध्यम से   नियत नियमित समय पर होगा।।

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