Homeअंतरराष्ट्रीयअनकंडीशनल फेइथ- बेशर्त श्रद्धा वह है भरोसा।

अनकंडीशनल फेइथ- बेशर्त श्रद्धा वह है भरोसा।

अनकंडीशनल ट्रस्ट,अनकंडीशनल सरन्डर-बेशर्त शरणागति वह भी भरोसा है।।

माता,पिता,आकाश हमारी औषधि है।।
रामचरित महामंत्र है।
प्रत्येक चौपाई मंत्र है।
गंगाजल औषधि है।
रामकथा भी एक औषधि है।।

मीडनाइट सन की भूमि नोर्वे का रमणीय,खुशनुमा पर्बतों से हरा भरा ट्रोम्सो नगर से प्रवाहित रामकथा का चौथा दिन,कथा प्रेमी भारतीय ,गुजराती फ्लावर्स,गुजराती साहित्य जगत के सर्जकों,कवि,शब्द आराधकों की विशेष उपस्थिति में चौथे दिन की कथा का आरंभ करते हुए बापु बताया की मंत्राष्टक का तीसरा चरण:
मंत्र महामनी बिषय ब्याल के।
मेटत कठिन कुअंक भाल के।।
कल हमने साबर मंत्र की बात की थी। भगवान शंकर ने कलयुग को काटने के लिए यह रचना करी थी।रामनाम बुद्धि से लेने से भी परिणाम महामंत्र का देता है। पूरा रामचरित महामंत्र है। प्रत्येक चौपाई मंत्र है। जैसे वेद की ऋचा सबको वेद मंत्र कहा है। जैसे हम रोज रामकथा में आरंभ में चारों वेद से चुने हुए मंत्र बजाते हैं।। मंत्र का एक अर्थ औषधि है। मंत्र एक थेरेपी है।।
बापू ने बताया कि माता पिता आकाश हमारी औषधि है।।किसी मरमग्य की जानकारी लेकर वह कहे इस तरह सेवन करने से भव भेषज- भव रोग का नाश होता है। गंगाजल औषधि है। रामकथा भी एक औषधि है।।
बच्चा खिलौना तोड़ देता है थोड़े समय उनकी दुनिया खत्म हो जाती है। लेकिन सही मालूम होने के बाद बाहर आने में वक्त लगता है।शास्त्र कहता है अतीत अनुसंधान छोड़! वो छोड़ने के लिए क्या चाहिए? दृढ़ भरोसा।।
बापू ने आज भरोसे के बारे में विस्तार से बातें की बापू ने कहा दार्जिलिंग में भरोसे पर कथा हुई है। भरोसा शब्द का कोई सही अंग्रेजी नहीं मिलता। लेकिन अनकंडीशनल फेइथ- बेशर्त श्रद्धा वह है भरोसा।।अनकंडीशनल ट्रस्ट,अनकंडीशनल सरन्डर- बेशर्त शरणागति वह भी भरोसा है।
 हम दुनिया भर की समस्या घर में लेकर जाते हैं। लेकिन ऐसा करें आंगन में कोई वृक्ष की डाली या एक जगह रखें जहां हमारी समस्या की थैली रखकर घर के अंदर जाओ। क्योंकि परिवार प्रतीक्षा करता है, उन्हें आपकी समस्या से कोई लेना देना नहीं। चिंता लेकर कर में मत जाना।।
बापू ने यह भी कहा कि मैं आपसे प्रार्थना करता हूं पांच पर पूरा भरोसा रखिए: माता-पिता, गुरु, गुरु दत्त ग्रंथ, गुरु दत्त मंत्र, और गुरु दत्त ईष्ट यह पांच पर भरोसा हो तो हमें विपत्ति से निकाल देगा।। आइंस्टीन को पूछा गया कि आपका विज्ञान मंत्र है कि नहीं? आइंस्टीन ने बताया कि मुझे यह तो मालूम नहीं लेकिन मन में एक प्रक्रिया शुरू होती है वही प्रक्रिया धीरे-धीरे गुनगुनाता हूं और शब्दों में डालता हूं। मैं खुद ही सुनता हूं फिर प्रयोग में सिद्ध हो जाए तो सार्वजनिक करता हूं।।यही मंत्र विज्ञान है।। पहले मंत्र मन में मंत्र का जाप वह मानसी जप है। भीतर धारा चलेगी, एक हद के बाद मंत्र का जाप नहीं करना पड़ता। बाहर से कुछ भी काम करें भीतर धारा चलती रहती है। जिसे अजपा जाप कहते हैं। फिर खुद ही सुने और उर्ध्व बाहू होकर सार्वजनिक होता है। मानसिक जप बाद में उपांशु जप और फिर वाचिक जप।। चैतन्य महाप्रभु ने ऐसे नाम मंत्र की थेरेपी दुनिया को दी है।।
 बच्चे को थोड़े समय के बाद नई दुनिया मिलेगी हमारे पास बुद्धपुरुष है,नाम है, ग्रंथ है।।
 बापू ने कहा मन तुं क्यों चिंता करता है कृष्ण को जो भी करना है वह करें!
 पहले मां-बाप पर भरोसा करो फिर गुरु के वचन पर भरोसा करो।।तुलसी जी कहते हैं मेटत कुअंक कठिन भाल के। मम्मट नामक महाकवि यही कहते हैं की काव्य सुख देता है। यश देता है। साहित्य विपत्तियों को नष्ट कर देता है। पत्नी के रूप में उपदेश देता है। साहित्य यदि विपत्ति को हर लेता है तो रामचरितमानस हमारी विपत्ति क्यों नहीं हटा सकता! पूछो मुरारी बापू को!
एथेंस के सैनिको बहुत लड़ाई करते रहते थे। और एक बार हार गए। जीते हुए सभी ने एक पर्वत की चोटी से नीचे सबको रख दिए और ऊपर से ब्रेड टुकड़े डालते रहते थे। गड्ढे में रहते थे लेकिन इस सेना में एक ग्रीक के महान कवि की पंक्ति याद करने वाला सैनिक कविता गाता रहता था। और सबके पास गवता था और फिर ब्रेड के टुकड़े फेंकते थे और झूमते थे। ऊपर रहने वाले सभी को भी मजा आया वह ब्रेड का टुकड़ा डालकर फरमाइश करते थे। परिणाम यह आया कि सब मुक्त हो गए। मुक्त होते ही वह कवि के पास गए और बताया कि राज सत्ता ने बंधन में डाला, कवि ने हमें मुक्त किया।। यदि एक कविता ऐसा करती है तो यह तो महामंत्र की कविता है!सवाल भरोसे का है।।
 बापू ने कहा कि इष्ट पर मंत्र पर, गुरु ने बताये ग्रंथ पर भरोसा करो।। साथ यह भी कहा कि कोई व्यक्ति पर नहीं लेकिन परम तत्व पर भरोसा करो। व्यक्ति में मत फंसना।।
 बापू ने यह भी कहा संपत्ति अपने पाई है विपत्ति ठाकुर जी देते हैं। क्योंकि प्रसाद कोमल भी होता है कठोर भी होता है।।
रामकथा के प्रवाह में याज्ञवल्क्य पूछते हैं कि मुझे राम के बारे में बताइए। यह वही राम है जो दशरथ के वहां जन्म लिया और रोष आया तो अपनी पत्नी को उठाकर ले जाने वाले रावण का नाश किया। या कोई और राम है? तब बताया गया की रामकथा को सुनने से पहले शिव चरित्र भी सुनो तब राम पर भरोसा होगा।। और शिव चरित्र की कथा भगवान शिव कुंभज के पास कथा सुनने सती के साथ जाते हैं।दोनों कथा में बैठते हैं लेकिन सती के मन में संशय होता है। परीक्षा करती है और फिर लौटते वक्त शिव संकल्प करते हैं कि मेरे इष्ट के बारे में परीक्षा करके सीता का रूप लिया अब सती मेरी पत्नी नहीं हो सकती।।

 

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