गुजरात, अहमदाबाद 15 मई 2025: अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (इंटरनेशनल म्युज़ियम डे) के अवसरपर जब पूरा विश्र्व म्युज़ियमों के उद्देश्य पर विचार कर रहा है, वहीं भारत का एक म्युज़ियम दुनिया भर में सुर्खियों में आ गया है। डॉ अभय फिरोदिया द्वारा परिकल्पित और अमर प्रेरणा ट्रस्ट द्वारा विकसित अभय प्रभावना म्युज़ियम को ‘म्युज़ियम ऑफ आइडियाज़’ कहा जा सकता है यहएकऐसा स्थान है जहां मूल्यों, दृष्टिकोण एवं सभ्यतागत विचारों को संरक्षित किया जाता है तथा अतीत एवं भविष्य को आकार देने वाले जीवंत आदर्शों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
महाराष्ट्र की पाले गुफाओं के समीप 50 एकड़ में फैला अभय प्रभावना का परिसर पारम्परिक म्युज़ियम के विचार को नया आयाम देता है। यह विश्व के सबसे बड़े निजी म्युज़ियमों में से एक है, हालांकि इसका महत्व इसके आकार में नहीं बल्कि दृष्टिकोण में निहित है। 3.5 लाख वर्गफीट परिसर में स्थित हर अवयव – नैतिक सिद्धान्तों से लेकर शिक्षा, उद्यम, अहिंसा, करूणा एवं आध्यात्मिकउन्नत्ति तक को भारत की सभ्यता का उत्सव मनाने के लिए तैयार किया गया है।
इस अवसर पर डॉ अभय फिरोदिया, उद्योगपति एवं म्युज़ियम के संस्थापक तथा अमर प्रेरणा ट्रस्ट के चेयरमैन ने कहा, ‘‘भारत की सबसे बड़ी धरोहर इसके मूल्यों की क्षमता है। हमारा उद्देश्य ऐसे स्थान का निर्माण करना था जिसके हर कोने में इन्हीं मूल्यों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हो। अभय प्रभावना ऐसा स्थान है जहां ज्ञान, सौंदर्य एवं भावना एक साथ मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं।’
म्युज़ियम में तीस भव्यगैलेरियां हैं। हर गैलेरी अपने आप में एक संवाद हैः जो मूर्तियों, डायोरमा, डिजिटल इंस्टॉलेशन एवं स्टोरीटैलिंग के माध्यम से आगंतुकों को भारत की दार्शनिक विरासत के साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित करती है। यह आत्म-संयम, बहुलता, अनासक्तिऔर आन्तरिक जागृति जैसी अवधारणाओं को रोचक अनुभवों, चिंतन एवं समीक्षा के माध्यम से प्रस्तुत करता है। म्युज़ियम अपनी इंटरैक्टिव टेक्नोलॉजी, एम्बिएन्ट साउंड और सूक्ष्य दृश्यावली के द्वारा दर्शकों को अभूतपूर्व अनुभव प्रदान करता है।
अपनी गैलेरियों की सीमा से आगे बढ़कर अभय प्रभावना का स्थापत्य और प्रतीकात्मक तत्व गहन अनुभव प्रदान करते हैं। 100 फुट ऊँचा- मनस्तंभ, आध्यात्मिक विकास के चरणों को दर्शाता है। वहीं 43 फुट ऊँची ऋषभदेव (24 तीर्थंकरों में पहले तीर्थंकर जिनके व्यवस्था, सभ्यता एवं अनुशासन के दृष्टिकोण ने भारतीय मूल्यों की नींव रखी) की मूर्ति शांति की भावना का प्रतिनिधित्व करती है। सर्वतोभद्र प्रतिमा के चारों ओर स्थित ध्यान एवं मनन स्थान प्लाज़ा ऑफ इक्वैनिमिटी परिसर में स्थिरता और समरूपता स्थापित करता है।
अभय प्रभावना आगंतुकों के लिए एक म्युज़ियम से कहीं बढ़कर है। यह ज्ञान का केन्द्र है, जहां कुंदनमल फिरोदिया ऑडिटोरियम और तक्षशिला पुस्तकालय जैसे स्थान शोध, वार्ता एवं सांस्कृतिक प्रोग्रामों के लिए समर्पित हैं। व्याख्यानों से लेकर अनुसंधान एवं शैक्षणिक गतिविधियों तक, यह म्युज़ियम दर्शकों को भारत की बौद्धिक परम्पराओं के साथ जोड़ता है।
जैसे- जैसेविश्र्व भर में म्यूज़ियमों का महत्व बढ़ रहा है, अभय प्रभावना स्पष्टता से नेतृत्व कर रहा है। यह न सिर्फ कलाकृतियों पर बल्कि ऐसे मूल्यों एवं विचारों पर भी ध्यान केन्द्रित करता है जो उन्हें अर्थ देते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर यह सभ्यतागत ज्ञान के प्रकाश स्तम्भ के रूप में खड़ा है, जो हमारी दुनिया को नई परिकल्पना दे रहा है।