बापु का विनय:कृपया गुरुपूर्णिमा पर तलगाजरडा में उत्सव समजकर न आइयेगा।।
गुरुपूर्णिमा उत्सव सोलों से हमने बंध किया है।।
छप्पन भोग जरूर आरोगो मगर भिक्षा भाव से आरोगो।।
मेरे पात्र में जो भी आया वह अन्न ब्रह्म है।।
भिक्षा भाव से खाएगा वह उपवास ही है।।
मौन सगर्भ होता है तब मंत्र रूपी संतान का जन्म होता है।।
मीडनाइट सूर्य,आह्लादक खुशनुमा वातावरण के बीच ट्रोम्सो से प्रवाहित रामकथा के सांतवे दिन आरंभ में बापू ने बताया रामकृष्ण देव एक ही आशीर्वाद देते थे:चैतन्य बनो।। बाबा फरीद के पास कोई जाता तो आशीर्वाद देते तुम्हें किसी से इश्क हो जाए!
यहां किसी ने सहज जिज्ञासा की:की बापू विदेश की धरती पर आप जाते हैं तब भिक्षा यात्रा के लिए निकलते हैं या नहीं? बापू ने बताया कि नहीं जाता, क्योंकि जो आपके पात्र में आए वह आपको लेना पड़े यह भिक्षा का नियम है,और यहां देशकाल के अनुसार अपना अपना आहार सब लेते हैं।।फिर भी गत मंगलवार को एक युवक लारी चलाता है और खाने की वस्तु बेचता है वह कहे बापू आप आए हैं तो जाने का मत, और यदि जाए तो बार–बार आना! और वह भी बताया कि आपकी कथा स्थल से २ मिनट की दूरी पर सप्ताह में दो बार तीन चार मिनट दूर ढोसां बनाता हूं तो आप मेरी लारी पर भिक्षा के लिए आइयें! बापू ने कहा कि निमंत्रण मिला है तो हम जाएंगे।।
बापू ने कहा कि मनोरथी नटूभाई का परिवार मेरे लिए पकाते हैं भिक्षा ही तो है।। बापू ने जापान की क्योटों कथा में भिक्षा में जो अनुभव हुआ था वह भी बताया।।
बापू ने कहा छप्पन भोग जरूर आरोगो मगर भिक्षा भाव से आरोगो।। मेरे पात्र में जो भी आया वह अन्न ब्रह्म है।।भिक्षा भाव से खाएगा वह उपवास ही है।। आज का मंत्र छठा मंत्र बीज मंत्र है, सबीज मंत्र है।। और फिर हम शंभूमंत्र और राममंत्र यह सब मिलाकर मंत्र अष्टक पूरा करेंगे।।
बापू ने कहा की साधुओं के साथ बैठकर अनुभव से और मेरे गुरु से जो कुछ जाना प्रत्येक मंत्र कुछ न कुछ आधार रखता है।। कुछ मंत्र के लिए विश्वास की भूमिका चाहिए। कुछ मित्रों के लिए भरोसा चाहिए। यद्यपि यह सब पर्याय शब्द लगते हैं लेकिन विलग है।।किसी मंत्र में श्रद्धा से जप होना चाहिए यह बीज मंत्र की भूमिका श्रद्धा है।। भूमि ना हो तो बीज क्या काम का?बीज मंत्र के लिए भूमिका श्रद्धा है।।
बापू ने कहा श्रद्धा तीन प्रकार की होती है गीता में कहा है: राजसी, तामसी और सात्विक श्रद्धा है। बीज मंत्र के लिए बहुत जरूरी है, भूमि हो लेकिन फलदाई भूमि हो,बीज भी अच्छे हो लेकिन भूमि भीगी ना हो तो? बीज अंकुरित नहीं होगा।। श्रद्धा भी भीगी होनी चाहिए। ऋग्वेद में श्रद्धा सूक्त है जो श्रद्धा सूक्त बीज मंत्र की भूमिका के लिए आवश्यक है।। बापू ने दो–तीन मंत्र गाए और फिर व्याख्या भी बताई।। वहां लिखा है मैं श्रद्धा के साथ अग्नि के पास जा रहा हूं।।राम मंत्र एक बीजक अग्नि है। न्यूटन को पूछा गया कि आपको यह सब विचार कैसे आते हैं? न्यूटन ने कहा मौन रहता हूं।। मौन सगर्भ होता है तब मंत्र रूपी संतान का जन्म होता है बापू ने कहा कि चुप रह जाना वह मौन नहीं है। क्योंकि आदमी गुस्से के बाद भी चुप हो जाता है। बापू ने मौन का महत्व बताते हुए कहा कि मैं अधिकारी हूं क्योंकि मौन ही मेरा स्वभाव है, और अब तो मैं सन्यासियों की तरह चातुर मास का मौन भी रखता हूं, और गुरु पूर्णिमा से वह शुरू होता है।। बापू ने कहा की कथा तो गाऊंगा क्योंकि कथा तो मेरा परम मौन है।।
मौन के बारे में बापू ने बताया कि जब हम मौन रहते हैं तो शुरू–शुरू में बाहर की आवाज बहुत आती है। थोड़ा मौन पकता है तो भीतरी आवाज ज्यादा महसूस होती है। फिर जब मौन एक ऐसी स्थिति पर पहुंचा देता तब दोनों आवाज बंद हो जाती है। एक सन्नाटा, सह नहीं पाए इतना सन्नाटा आता है।तब समर्थ बुद्धपुरुष की जरूरत होती है। वरना आदमी पागल हो जाता है।।
आज बापू ने अगली गुरु पूर्णिमा के बारे में विनय करते हुए बताया की तलगाजरडा में कोई गुरु पूर्णिमा का उत्सव नहीं होता।। विनय से कहता हूं कृपया उत्सव जानकर वहां मत आइएगा। बापू ने कहा कि पहले हम गुरुपूर्णिमा का उत्सव मनाते थे बहुत लोग इकट्ठा होते थे। लेकिन लोग मानने लगे की बापू गुरु है, फिर मैंने यह बंद कर दिया।। मैं तो मेरे त्रिभुवन दादा की पादुका का पूजन करता हूं। रूटिन दिन ही होता है। सुबह सब आते हैं कोई कार्यक्रम नहीं होता। बापू ने कहा कि मैं अपनी पहचान मिटा देना चाहता हूं। मिट जाना चाहता हूं और मुझे भूल जाना,क्योंकि मैं आपके जैसा सामान्य आदमी हूं। बस आओ मिलो और खुश रहो! बापू ने यह भी कहा कि पहले परखों फिर प्रणाम करो।।
बापू ने अपनी बात करते हुए बताया कि दो–तीन कथा के पहले विनय से किसी ने मुझे एक १.४३ करोड़ की कार देने की बात की। मैं बहुत मना किया फिर भी कहे आप रखिए। लेकिन मुझे यह अच्छा नहीं लगता। जब तक कार थी मैं बेचैन था और मैं ग्राहक खोज रहा था और ग्राहक खोज के १.२६ करोड़ में कार मैं बेच दी और एक करोड़ की राशि हमारे गुजरात के लोक भारती में दान कर दिया। यह मेरे लिए गुरु पूर्णिमा है।।
बापू ने साधु के गुण शील शालीनता सरलता स्नेह और कृपावंत यह पांच गुण जो भारत जी ने बताए हैं वह बात भी बताई।।
यह वेद मंत्र में लिखा है श्रद्धा से अग्नि में आहुति दे श्रद्धा से अग्नि में से प्रसाद प्राप्त करें।। हम प्रातः काल श्रद्धा के पास जाते हैं, मध्यान को श्रद्धा के पास जाता हूं और शाम को में श्रद्धा के पास जाता हूं।।
बापू ने कहा कि बीज तीन प्रकार के होते हैं एक स्त्री और पुरुष के रूप में। दूसरा पृथ्वी धरा के साथ जुड़ा हुआ। तीसरा बी बुद्धपुरुष अपने आश्रित को ऐसा मंत्र दे की तुरंत होश में आ जाए। बापू ने कहा यह समझना सरल है लेकिन किसी को समझाना इतना ही कठिन है।। बीज मंत्र विनय पत्रिका में भी लिखा है।।
फिर राम जन्म के हेतु के बारे में बापू ने बातें बताई और पांच कारण, जो शिवजी उमा को बताते हैं। पांचो कारण की संवादी चर्चा करते हुए बापू ने कहा कि यह पांचो कारण शब्द,स्पर्श,रूप,रस और गंध से भी इतने ही जुड़े हुए हैं। और नारद का प्रसंग कहकर राम का जन्म होता है और राम जन्म की स्तुति का गान करते हुए नॉर्वे की व्यास पीठ से त्रिभुवन को राम जन्म की बधाई देते हुए आज की कथा को विराम दिया गया।।