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युनो के मंच से अखिल विश्व के लिये मुखरित हूइ रामकथा का विराम। ९४१वीं रामकथा १७ से २५ अगस्त इंन्डोनेशिया से बहेगी।।

मानस वसुधैव कुटुम्बकम।।  दिन-९ दिनांक-४ अगस्त।। कथा क्रम-९४०

“सुचारू रूप से जैसा होना चाहिए,जैसे भगवत कृपा की योजना रही होगी, ऐसा संवाद हुआ।।”

रामराज्य के वक्त पांच साम्राज्य थे।

एक परम तत्व अवतरित हुआ और पांचो को जोड़ दिया।

कैसा था राम राज्य?

युनाइटेड नेशन्स महामथक-न्यूसोर्क से बहती रामकथा धारा का आज विराम का नवॉं दिन।।

लंबी कथा को कल विहंगावलोकन करवाते बापुने रामराज्याभिषेक तक की कथा का गान संवाद किया।

अखिल बिश्व यह मोर उपाया।

सब पर मोहि बराबरि दाया।।

उत्तरकॉंड दोहा-८७

सब मम प्रिय सब मम उपजाए।

सबते अधिक मनुज मोहि भाए।।

-उत्तरकॉंड दोहा-८६

इन बीज पंक्तियों का गान करके आज रामराज्य को सामने रखते हुए उपसंहारक बातें करते हुए बापू ने कहा:जिस केंद्र बिंदु को छूकर हम संवाद कर रहे थे आज विराम का दिन,बहुत समय से सबकी यह अभिलाषा थी कि यूएनओ के इस भवन में कथा हो। मनोरथी परिवार के आशीष पहले से परमिशन मिल गई थी।पूरी टीम के साथ कार्यरत हुआ। परिणाम स्वरुप हम यहां पर हैं।। यूनो को स्थापित हुए ७९ साल हुए हैं।पूरे इतिहास में इतनी अर्ली मॉर्निंग कोई सभा नहीं हुई यह पहली सभा है! सुचारू रूप से जैसा होना चाहिए,जैसे भगवत कृपा की योजना रही होगी, ऐसा संवाद हुआ।।

बापू ने सबका धन्यवाद और आभार प्रकट किया। रामचरितमानस में राम राज्य कैसा था वह विशेष एक प्रकरण है।गहराई से देखें तो इस राम राज्य की आज के विश्व को बहुत जरूर है।। राम राज्य का जो वर्णन है उसका कोई इनकार नहीं कर सकता।

 रामराज बैठे त्रिलोका।

हरषित भये गए सब सोका।।

उत्तरकॉंड में दोहा २० से आगे की पंक्तियां से राम राज्य का आरंभ होता है।।राम राज्य केवल पृथ्वी पर नहीं त्रिलोक पर था। हम आज पृथ्वी भी नहीं संभाल सकते! स्वर्ग,पृथ्वी और पाताल तीनों लोक में अद्भुत घटना घटी।। यह वर्णन नहीं वास्तविकता है।।केवल पृथ्वी पर भी राम राज्य हो जाए तो भी अच्छा।। सबको हर्ष हुआ। इतने प्रसन्न हुए की त्रिलोक में सब का शोक समाप्त हो गया। कोई ग्लानि, पीड़ा नहीं रही।।

बैर न कर काहु ना कोई।

राम प्रताप विषमता खोई।।

कोई किसी से बैर नहीं करता था।।आज पूरे जगत में यूएनओ के १९३ देश सदस्य हैं।। सबको मिलाने की संस्था कोशिश कर रही है।राम राज्य हुआ तब कितने राष्ट्र होंगे? राम के काल में त्रिलोक तो छोड़िए पृथ्वी पर पांच साम्राज्य थे:अवध,मिथिला, श्रृंगवेरपुर,किष्किंधा,लंका- यह पांच साम्राज्य की बात है।। जहां अवधराज,गुहराज, बाली-वानरराज, जनक राज और असुर राज चल रहा था।। भगवान राम ने यह सब को संयुक्त कर दिया।। यह संस्था भी इसलिए कार्यरत है एक दूसरे से कोई बैर ना करें तो सब जुड़ सकते हैं।।

अयोध्या में सत्य का राज था। मिथिला में ज्ञान और विवेक का राज था।।गुह राज अनुराग का राज था। किष्किंधा राम की शक्ति शांति और भक्ति की खोज कैसे करें वह सेवा राज्य था और लंका में तमसता का अहंकार मुढता का राज था।। यह पांचो को एक करना बड़ा मुश्किल था।।एक परम तत्व अवतरित हुआ और पांचो को जोड़ दिया।

बापू ने कहा विद्वानों को निमंत्रित करूंगा कि आप यह पांच राज पर संशोधन करें।।

आज यह प्रासंगिक है। सब जगह प्रेम,सेवा,सत्य, विवेक हो,तमसता ना हो।। यहां जो असेंबली है सभी राष्ट्र की मीटिंग होती होगी। लेकिन नव दिन तक नहीं चलती होगी।अखिल विश्व को लेकर भारत की एक व्यास पीठ नव दिवस से बोल रही है! कृष्ण की भुजाएं आजान बाहू नहीं अनंत बाहू है।।

बापु ने कहा यह होना था तो हो रहा है।।

यहां दो शब्द है प्रताप और प्रभाव। प्रताप हमें तपाता है, प्रभाव शीतल करेगा।। आज कितनी विषमता है? कहीं मुल्कों में स्त्रियों को बहुत परेशान किया जा रहे हैं।। यह संस्था बहुत मेहनत कर रही है जितना चाहिए इतना परिणाम नहीं आ रहे।। राजा-प्रजा, उच्च-नीच का भेद यहां राम राज्य में नहि था।राम राज्य में न जाति भेद,न वर्ण भेद कुछ नहीं था व्यवस्था के रूप में आश्रम और वर्णों की व्यवस्था चलती थी।। राम राज्य में भय,शोक, रोग न थे।। तीन प्रकार के ताप-भौतिक,दैहिक, आध्यात्मिक होते हैं एक भी नहीं था।।

सब न करहि परस्पर प्रीति।

चलही स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।

सब अपने स्वधर्म में चलते थे। धर्म रूपी वृषभ के चार चरण-सत्य,शौच,दया और तप।एक भी चरण टूटा तो तीनों को सहन करना पड़ता है। राम राज्य में अपमृत्य नहीं था।पिता से पहले बेटा कभी नहीं मरता था। सब लोग सुंदर थे,सुंदरता का निषेध नहीं राम राज्य का एक अंग था।। पूरे राम राज्य में सब सब शब्द दिखता है। वह अखिलाई की बात करती है।।सब निरोगी थे।कोई दरिद्र,दुखी,दीन नहीं था।। सब पढ़े लिखे थे। निर्दंब थे।गुणवान थे, पंडित और ज्ञानी थे।कहीं कपट नहीं था।। काल,कर्म,स्वभाव, और गुण से मिलने वाले दुख नहीं थे।।सप्तद्वीप में राज्य चलता था।।सब उदार थे। सब एकनारीव्रत धारी थे।। गुनाह नहीं था तो दंड नहीं था! दंड केवल सन्यासी के हाथ में था।। कोई भेद नहीं था।।वन में भी समृद्धि थी शेर और हाथी एक साथ रहते थे।

बापु ने कहा कि विज्ञान के बारे में भाभा एटॉमिक सेंटर में कथा गान में भी यह सूत्र बोलूंगा।।

 सभी वक्ताओं ने विराम दिया। बापू ने भी विराम देते हुए कहा भगवान करे इस बिल्डिंग में कभी सत्य प्रेम और करुणा लिखी जाए! यह भी कहा कि मैं कहूंगा कितनी बेईमानी चल रही है संवाद सब करते हैं लेकिन शस्त्र भी सबको बेचने हैं!!

आखिर में सब पर प्रसन्नता और साधुवाद करते हुए पूरी रामकथा का शुभ फल संयुक्त राष्ट्र को अर्पण करके कथा को विराम दिया।।

आगामी ९४१वीं रामकथा १७ अगस्त से २५ अगस्त तक इन्डोनेशिया के नगर योग्यकार्ता की भूमि से प्रवाहित होगी।।

समय तफावत से ये रामकथा का जीवंत प्रसारण प्रथम दिन १७ अगस्त शनिवार को भारत में दोपहर २:३० से और बाकी के दिनों में सुबह ८:३० बजे से १२ बजे भारतीय समय तक चित्रकूटधाम तलगाजरडा यु-ट्युब चैनल और संगीतनी दुनिया परिवार यु-ट्युब चैनल पर देखा जा सकता है।।

आस्था टीवी पर डी-लाइव समय पहले दिन शाम ४ से ७ बजे और शेष दिनों में सुबह ९:३० से १:०० बजे तक देखा जा सकता है।।

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