अभय प्रभावना म्युज़ियम, जैन दर्शन और भारतीय विरासत को समर्पित सबसे बड़े ‘म्युज़ियम ऑफ आइडियाज़’ का आधिकारिक उद्घाटन पुणे में हुआ। म्युज़ियम के संस्थापक एवं अमर प्रेरणा ट्रस्ट के चेयरमैन अभय फिरोदिया द्वारा स्थापित यह म्युज़ियम भारत की आध्यात्मिक धरोहर को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस ऐतिहासिक आयोजन में गणमान्य दिग्गज, सांस्कृतिक विद्वान और लीडर्स एकजुट हुए, जिन्होंने म्युजिय़म के मिशन यानि जैन मूल्यों के बारे में समझ बढ़ाना, भारतीय मूल्य प्रणाली पर इनके प्रभाव तथा आज के समाज में इनकी प्रासंगिकता पर रोशनी डाली।
उद्घाटन के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गड़करी तथा ग्वालियर के महाराजा एवं केन्द्रीय मंत्री महामहिम ज्योर्तिदात्यि सिंदिया मौजूद रहे। जस्टिस दलवीर भंडारी, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, द हॉग ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मेवाड़ के महामहिम महाराज कुमार लक्ष्यराज सिंह; पद्मभूषण डी आर मेहता, संस्थापक बीएमवीएसएस; और पद्म भूषण अन्ना हज़ारे, गांधियन नेता माननीय अतिथि के रूप में मौजूद रहे। श्रीमति मेनका गांधी, वन एवं पर्यावरण के लिए राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), भारत सरकार भी उद्घाटन के अवसर पर मौजूद रहीं। कार्यक्रम को पद्म श्री गुरूदेव श्री राकेश जी (धरमपुर), पद्मश्री आचार्य चंदाना जी महाराज (वीरायतन) और परमपूज्य दलाई लामा का प्रतिनिधत्व करने वाले महामहिम सिलिंग टोंगखोर रिनपोछे का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
इन्द्रयानी नदी के किनारे पर स्थित अभय प्रभावना म्युज़ियम 3.5 लाख वर्गफीट में एयर-कंडीशन्ड स्पेस में फैला है। इसे भारतीय मूल्यों और जैन शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। 30 से अधिक गैलेरीज़ में 350 से अधिक कलाकृतियां जैन मूल्यों जैसे सुरक्षा, उत्पादकता, समृद्धि, सहानुभुति, खुले विचारों एवं व्यक्तिगत स्तर पर नैतिक जीवनशैली पर ज़ोर देती हैं। 50 एकड़ (20 हेक्टेयर) में स्थित यह म्युज़िम हाई-टेक ऑडियो-विज़ुअल्स, एनीमेशन्स, वर्चुअल रिएल्टी, 350 से अधिक कलाकृतियों, मूर्तियों और भव्य प्रतिकृतियों के साथ अनूठा अनुभव प्रदान करता है। तथा जटिल आध्यात्मिक एवं दार्शनिक अवधारणाओं को आसान तरीके से समझने में मदद करता है। म्युज़ियम में 35 प्रोजेक्टर्स, 675 ऑडियो स्पीकर, 230 एलईडी टीवी/ कियोस्क, 8000 लाइटिंग फिक्सचर्स, 650 टन का एचवीएसी लोड, 5 किलोमीटर से अधिक एचवीएसी डक्टिंग और तकरीबन 2 एमवीए का इलेक्ट्रिक डिमांड लोड है। म्युज़ियम का आकर्षक माहौल और आधुनिक टेक्नोलॉजी भारत की समृद्ध धरोहर को सम्मान देते प्रतीत होते हैं।
म्युज़ियम के प्रेरणास्रोत अभय फिरोदिया ने कहा, ‘अभय प्रभावना श्रमण और जैन परम्पराओं के मूल्यों के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति है, जो सदियों से भारत के नैतिक एवं सास्कृतिक मूल्यों का आधार रहे हैं। यह म्युज़ियम शिक्षा, उद्यमिता और नैतिकता के सिद्धान्तों को दर्शाता है- ये सिर्फ अवधारणाएं ही नहीं बल्कि वास्तविक सामाजिक मूल्य हैं, जो संतुलित एवं उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए मार्गदर्शन देते हैं। हमें उम्मीद है कि यह केन्द्र लोगों को जैन आदर्शों के माध्यम से भारतीय सभ्यता के दस सिद्धान्तों से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगाः
1. असि : औजार और हथियार
2. मसिः स्याही और संचार
3. कसिः कृषि और पशुपालन
4. वाणिजयः व्यापार और वाणिज्य
5. शिल्पः पेशेवर कौशल
6. विद्याः ज्ञान (गणित, ब्रह्मांड विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान)
7. अहिंसाः अहिंसा, विचार, वाणी और कर्म से किसी को चोट न पहुंचाना
8. अपरिग्रहः अपरिग्रह
9. अनेकांतवादः सत्य की अपरिग्रहता, दूसरों की सोच को समान रूप से मान्यता देना
10. क्षमताः क्षमा करना और मांगना
यह अन्वेषण जैन सिद्धान्त ‘पन्ना समीक्षाये धम्मम’ पर आधारित है जो सत्य को समझने के लिए वस्तुनिष्ठ जांच और व्यक्तिगत दृढ़ विश्वास को बढ़ावा देता है।
पुणे के ऐतिहासिक स्थल पर, 2200 साल पुरानी पीली जैन गुफाओं के नज़दीक स्थित अभय प्रभावना म्युज़ियल विश्वस्तर पर सांस्कृतिक स्थल बन जाएगा और उम्मीद है कि रोज़ाना 2000 से अधिक आगंतुक इसे देखने के लिए पहुंचेगे। प्रेरणा स्रोत के रूप में यह हर वर्ग और हर उम्र के लोगों को जैन सिद्धान्तों का अनुभव पाने के लिए आमंत्रित करेगा। यह संग्रहालय सांस्कृतिक अन्वेषण का केन्द्र बन जाएगा और आध्यात्मिक एवं नैतिक शिक्षा के प्रकाश स्तंभ के रूप में अपनी स्थिति को बेहद मजबूत बना लेगा।
अभय फिरोदिया के नेतृत्व में अमर प्रेरणा ट्रस्ट भारत की समृद्ध धरोहर को संरक्षित रखने तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्यसेवाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध रही है। अभय प्रभावना म्युज़ियम के माध्यम से ट्रस्ट ऐसा मंच उपलब्ध कराती है जो न सिर्फ भारत की नैतिक परम्पराओं को सम्मान देता है बल्कि भावी पीढ़ियों को भी इन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
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