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अथक भारतः ईडीआईआई और ओएनजीसी की ग्रामीण सशक्तीकरण पहल, ग्रामीण भारत को स्थायी विकास के लिए बना रही सशक्त

भारत, 26 दिसंबर 2024: भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) और ओएनजीसी की पहल अथक भारत प्रोजेक्ट-गुजरात के डांग ज़िले में ग्रामीण एवं आदिवासी समुदायों को उद्यमिता कौशल और अवसर प्रदान कर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आई है। इस परियोजना ने 300 से अधिक लोगों को स्थायी कारोबार करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर आर्थिक विकास में योगदान दिया है।

अथक भारत के माध्यम से 18 स्वयं-सहायता समूह बनाकर समुदायिक विकास की नींव तैयार की गई। 300 से अधिक लाभार्थियों को विभिन्न सेक्टरों जैसे :एग्री प्रेन्योरशिप, हैण्डीक्राफ्ट, ईकोटूरिज़्म, नॉन-टिम्बर फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स और मेडिसिनल प्लांट्स में व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया।

यह परियोजना संस्थागत निर्माण का समग्र दृष्टिकोण है,जो (SHG का गठन और सुदृढ़ीकरण), क्षमता निर्माण (कौशल विकास और उद्यमिता विकास,इसके बाद उद्यम संवर्धन के लिए मार्गदर्शन सहायता),किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) का गठन और उन्हें आत्मनिर्भर संगठनों में परिवर्तित करने पर केंद्रित है।

यह यात्रा आदिवासी महिलाओं की है, जो व्यक्तिगत से संस्थागत रूप में बदलकर सामूहिक शक्ति प्राप्त कर रही हैं, जिससे सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण संभव हो रहा है। यह परियोजना पेशेवर समर्थन और अवसरों के मार्गदर्शन का एक उत्तम उदाहरण है, जो लाभार्थियों की क्षमता को उजागर कर उनके सतत विकास और सामाजिक परिवर्तन को सुनिश्चित करती है।” – डॉ रमन गुजराल, प्रोफेसर एवं डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ प्रोजेक्ट्स- EDII

अथक भारत एक परियोजना से कहीं बढ़कर है; यह ऐसा आंदोलन है जो ग्रामीण समुदायों को बड़े सपने देखने और सकारात्मक बदलाव के लिए सशक्त बनाता है। हमें इस उपलब्धि पर गर्व है और उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में इसका प्रभाव अधिक बेहतर होगा। यह परियोजना लोगों को कारोबार करने और इसमें सफलता हासिल करने के लिए ज़रूरी कौशल प्रदान करेगी- डॉ ए.एल.एन. प्रसाद, प्रोग्राम डायरेक्टर एवं असिस्टेन्ट प्रोफेसर, EDII

बदलाव की एक कहानीः अराध्या एग्रीप्रेन्योरशिप युनिट
जमालपाड़ा गांव, आहवा में स्थित अराध्या एग्रीप्रेन्योरिशप युनिट अथक भारत की उपलब्धियों का प्रमाण है। पहले मौसमी खेतीहर मज़दूरों के रूप में काम करने वाले यह समुदाय अब नागली, भागर और बाजरा आधारित बेकरी प्रोडक्ट्स बनाते हैं। वे हर माह रु 15,000 से 17,000 तक कमा लेते हैं।

ईडीआईआई के प्रशिक्षण और सहयोग से अराध्या युनिट के सदस्य अब आत्मनिर्भर एग्रीप्रेन्योर बन गए हैं। स्थानीय मेलों और बाज़ारों में भागीदारी के चलते उनकी बिक्री बढ़ी है, जिसके चलते वे संसाधन जुटाने, उद्यम स्थापित करने, मार्केट बनाने और आहवा में पर्यटन संबंधी बढ़ती मांगों को पूरा करने में सक्षम हुए हैं।

स्थायी भविष्य के लिए कौशल निर्माण
इस परियोजना की सफलता इसके आधुनिक प्रशिक्षण दृष्टिकोण में निहित है, जिसमें शामिल हैः

मैनुफैक्चरिंग और उत्पादनः प्रतिभागियों को बाज़ार के लिए तैयार प्रोडक्ट्स के निर्माण के बारे में सिखाना

डिजिटल मार्केटिंगः ग्रामीण उद्यमियों को अधिक से अधिक उपभोक्ताओं के साथ जोड़ना

एनटीएफपी और मेडिसिनल प्लांट (औषधि गुणों के पौधे) का उपयोगः स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों की आर्थिक क्षमता का सदुपयोग

कौशल विकास के अलावा ईडीआईआई ने लीडरशिप विकास, मार्केट लिंकेज और निरंतर मॉनिटरिंग के द्वारा स्वयं-सहायता समूहों और उद्यमों के दीर्घकालिक स्थायित्व को सुनिश्चित किया है।

डांग ज़िले के आहवा ब्लॉक में अथक भारत की सफलता के बाद ईडीआईआई ने इस परियोजना को डांग ज़िले के वघाई ब्लॉक में विस्तारित करने की योजना बनाई है, और इन अवसरों को अधिक से अधिक समुदायों तक पहुंचाने तथा ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय किया है।

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