Homeगुजरातसाधन करने से चित् शुद्ध होगा,चित् शुद्ध होने से अंदर बैठा ईश्वर...

साधन करने से चित् शुद्ध होगा,चित् शुद्ध होने से अंदर बैठा ईश्वर पहचाना जाएगा।।

बस बादल हटाने है।।

पांच रीत से चित्त शुध्धि होती है।।

चित् की तीन दशा:घोर,घनघोर और अघोर।।

चित्त स्वयं इश्वर है।।

सत चित्त आनंद इश्वर है।।

सत और आनंद का मध्यबिंदु चित्त है।।

इश्वर वो है जिनके बचन मिथ्या न हो।।

इश्वर वो है जिनके बचनमूधानहि सुधा हो।।

कच्छ धरा में कोटेश्वर स्थित झूलेलाल जी मंदिर की संनिधि में चल रही रामकथा के आठवें दिन आरंभ में पूछे गए प्रश्नों से शुरू करते हुए कहा:चौपाई में कोई जगह ब्याज शब्द लिखा है।साहित्य में ब्याज स्तुति अलंकार है।।ऐसा व्यक्ति जिसे पूरा व्यक्त न कर पाए केवल ब्याज शुद ही चुका सकते हैं उसे ब्याज से नवाजा है।।परमात्मा ने जन्म दिया लेकिन हम शुद ही चुका सकते हैं।।अतिशयोक्ति के लिए भी ब्याज स्तुति का ब्याज शब्द रखा गया है।।

किसी ने पूछा था हमारे भाव उलट-पुलट हो जाते हैं विचारधारा डामाडाल क्यों होती हैं? बापू ने कहा चित् की निर्मलता ना होने के कारण।।चित् की शुद्धि होनी चाहिए।। हम ईश्वर प्राप्ति के लिए जो भी कुछ साधन करते हैं वह साधन से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होगी।।तो फिर साधन क्यों करें? यह कथा क्यों करें? लेकिन साधन करने से चित् शुद्ध होगा, चित्  शुद्ध होने से अंदर बैठा ईश्वर पहचाना जाएगा।।बस बादल हटाने है।।

चित् शुद्धि पांच रीत से होती है:एक- इष्ट ग्रंथ का गायन करने से।।रामचरितमानस,भगवत गीता, महाभारत शिव पुराण जो भी हो।। दो-परमात्मा के अनेक नाम में किसी एक नाम का पारायण करने से।। तीन-चित्र को समझ कर सज्जनों के संग में ले जाने से।।चार-निरंतर जिसे मानते हो वह परम तत्व का ध्यान करने से।।और पांच- क्षमता हो तो जरूरतमंदों को कुछ देने से चित् की शुद्धि होती है।। जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा है।।

गुरु और शंकर दोनों बैठे हैं लेकिन दोनों ईश्वर है। एक अव्यक्त है,एक व्यक्त है। ईश्वर अव्यक्त मूर्ति है।। दिखाई नहीं देता लेकिन बैठा है।। गीता का गान करो पठन नहीं।। कृष्ण ने श्लोक गाए होंगे। गीता की व्याख्या रामकृष्ण परमहंस ने बहुत सरल कहीं गीता का उल्टा त्याग होता है जो घर धर्म ग्रंथ त्याग करना हमें सिखाएं वह गीता है।।निरंतर विष्णु सहस्त्रनाम का जाप चित् शुद्ध करता है लेकिन कैसे करें! रामनामसहस्त्रनाम समतुल्य है।। पैसे देने से वित्त और चित दोनों की शुद्धि होती है।।

चित् की तीन दशा है:एक घोर-भयंकर।। वज्रेश्वरी के मुक्तानंदगणेश्वरी ने चिद विलास ग्रंथ में लिखा है। जिनके चित् में अत्यंत रजो गुण हो वह घोर दशा है मोर का चित्र रजो गुनी है।।

तन बिचित्र कायर बचन अहि आहार चित् घोर।

मोर के लिए यह लिखा है। अत्यंत रजो गुनी चित् वाले का शरीर विकृत होने लगता है।। जिस समय न होने चाहिए उस समय शरीर बेडौल हो तो समझना चित् की स्थिति रजोगुणी होगी।। वचन में कायरता मोर के बोल अच्छे लगते हैं लेकिन मेघ को देखकर कायर वचन बोलता हैं।।रजो गुनी चित्विवेक विहिन है हमें क्या खाना क्या ना खाना।। जिनके चित् में तमोगुण है उनका चित्र घनघोर है। घन का मतलब बादल भी है और घन का मतलब तीन गुना क्युब भी है।।एक शब्द घोर है उनका गलत अर्थ कहा गया है। असल में किसी भी प्रकार की भीषणता भयंकरता ना हो उसे घोर कहते हैं।। उनके चित् में सत्व गुण की प्रधानता हो वह अघोर चित है। वह तीनों से बाहर आ जाए ऐसा चित् ईश्वर का अनुभव कर सकता है।। लेकिन भज गोविंद में सब कुछ आ जाता है।।

बापू ने कहा मुझे भी कविता सूजी है:

शियाळे समाधि भली,उनाळेआहलाद।

वर्षा में श्रावण भलो,कथा बारे मास!

जो चित् समझ में आ जाए वो इश्वर का अंग है।।चित्त स्वयं इश्वरहै।।सत चित्त आनंद इश्वरहै।।सत और आनंद का मध्यबिंदु चित्त है।।इश्वर वो है जिनके बचन मिथ्या न हो।।इश्वर वो है जिनके बचनमूधानहि सुधा हो।।

भूसुंडी एक दोहे में अयोध्या कांड का गायन करते हैं अयोध्या ऐसी भूमि है जहां कोई युद्ध नहीं है।वध नहीं इसलिए अवध है। राम राज्य के सूत्र वेद में भी दिखाते हैं यहां भी मिलते हैं।। ऋग्वेद में सात वस्तु दिखाई: जिनके घर में रामराज्य चाहिए:जीन को अच्छा खाना मिले,आंगन वाला घर हो,लज्जा बनी रहे ऐसे कपड़े हो,अच्छा आरोग्य हो,अच्छी शिक्षण पद्धति हो,अच्छे औजार हो और सात्विक मनोरंजन के साधन ये सात वस्तु है वह रामराज्य है।। पादुका भी ईश्वर है वहां भी छह ऐश्वर्य है।।

और अरण्य कांड में अत्री के आश्रम में आगमन विराट का वध,शरभंगसुतीक्ष्ण और कुंभज से मार्गदर्शन पा कर गोदावरी के तट पर पंचवटी पर निवास।। फिर मारिच द्वारा योजना बनी सीता हरण हुआ राम की विरही नर लीला।कबंध का उद्धार शबरी के आश्रम में नवधा भक्ति का गायन। अहंकार के बदले अहम् भाव रखना। किष्किंधा कांड में सुग्रीव से मैत्री वाली निर्वाण और सुंदरकांड में हनुमान द्वारा लंका दहन और सेतुबंध रामेश्वर की कथा कही गई।।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read