*मन को स्थिर करने के लिए क्या करना चाहिए?*
*संगीत रुचिकर लगता है क्योंकि हमारे अंदर इतना अरुचिकर है वहां संगीत थोड़ा कम अरुचिकर है।।* *जहां भी आघात है अरुचिकर होगा ही नहीं।।*
संतराम मंदिर-नडीआद की कृपा छांव में चल रही रामकथा के सांतवे दिन विशेष महानुभावों में मालसर सत्यनारायण मंदिर से जगन्नाथ जी महाराज और राजकोट सद्भावना कथा के साथ जुड़े आर्ष विद्या मंदिर मुंजका-राजकोट से परमात्मानंद जी, मॉंइ मंदिर अंबा आश्रम से गोपाल दास जी महाराज,डॉक्टर माधव प्रसाद जी और बड़ोदरा कल्याण राय मंदिर के षष्ठम पिठाधिश गोस्वामी 108 डॉकटर श्री द्वारकेश लाल जी महाराज,कबीर आश्रम के महंत की विशेष उपस्थिति रही।।
आज गुरुद्वारा समाज से मनोहर सिंह जी सहित अनेक शिख भाइयों ने व्यास वंदना करी।।
अभी महाराष्ट्र में सितार वादन का गौरव अवार्ड जिन्हें मिला वह भगीरथ भट्ट और अनेक कथाकारो की विशेष उपस्थिति भी रही।।
बापू की कथाओं का सार दोहन कर रहे नीतिन भाई वडगामा द्वारा चित्रकूट धाम तलगाजरडा द्वारा प्रकाशित और निशुल्क हनुमान जी की प्रसाद जी के रूप में सबको बांटी जाती है ऐसी कथाओं का सार दोहन की तीन पुस्तिका: क्रांतिकारी अयोध्या की कथा मानस गणिका,एवं मानस सेवा धर्म (नडियाद कथा )और मानस संगम (प्रयागराज कथा) का व्यास पीठ और ब्रह्मार्पण हुआ।। नीतिन भाई वडगामा ने तीनों कथाओं के बारे में अपना शब्द भाव भी रखा।।
श्री परमात्मा नंद जी महाराज ने अपने शब्द भाव रखे।।।
वक्ताओं की श्रेणी में आज श्री द्वारकेश लाल जी महाराज ने कहा की बापु की जब जब कथा होती है वहां प्रयाग का ही सर्जन होता है।।फ्लावर्स के कर्ण रुपी पुष्प कथा यग्य में समर्पित होते है और हम नित्य कथा कुंभ में स्नान करते है।।
सौराष्ट्र-गुजरात के बहूत से संत-महंतो की उपस्थिति और विशेष रुप में भगवद कथा के गायकों की बडी तादात में उपस्थिति में बापु ने इन प्रकल्पों पर अपनी प्रसन्नता जताते हुए कथा आरंभ में
बताया सबर एक जाती है।।सबर का अर्थ भील है। सबरी भील कन्या है।। हमारे यहां महर्षि जैमीनी ने पूर्व मिमांसा भाष्य लिखा वह साबर भाष्य है।। मुनि का नाम सबर है।लेकिन वह भील नहीं है।।हमारे यहां शाबर मंत्र भी है।।
शंकर भगवान जब सुंदरकांड की कथा कहते हैं। और हनुमान जी सीता खोज के बाद राम से मिलते हैं।राम गले लगाते हैं और सर पर हाथ रखते हैं कथा कैलाश में चल रही है और बात है किष्किंधा की! प्रवर्षण पर्वत की। शिव को याद आता है और शिव समाधिष्ट होते हैं। खुद का अनुभव है। हनुमान 11वें रूद्र नहीं स्वयं शिव है।।वानरकार विग्रह पुरारी है।। कथा बंद होती है।।लेकिन शिव बहिर्मुख होते हैं। समर्थ स्वामी रामदास जी ने कहा सभी कथाओं में राम कथा श्रेष्ठ है।।लीला कृष्ण की और चरित्र तो शिव का ही है।। शंकर ने मन को स्थिर किया। मन को स्थिर करने के लिए क्या करना चाहिए? शंकराचार्य ने चार उपाय बताएं:
प्राण स्पंदनिरोधात, वासनात्यागत, सत्संगात, हरिचरणक्ति योगात।।इससे मन स्थिर होता है।।
संगीत रुचिकर लगता है क्योंकि हमारे अंदर इतना अरुचिकर है।वहां संगीत थोड़ा कम अरुचिकर है जहां भी आघात है अरुचिकर होगा ही नहीं।। स्थूल जगत हो या अस्थूल हो, मानसिक हो या शारीरिक आघात रुचिकर नहीं होता।।
रामदास जी योगीराज मानस में लिखते हैं:
*कलम दास बनी रहे,जय महाराज के हाथ।*
*सेवा करावे चरित की रखें अपने पास।।*
*नित नौमी योगीराज भजू कामादी खल दल गंजनं*
*गोविंद गुरु अवगुण हरत कामादी खल दल गंजनं*
*जे शांति मंत्र जपंत संत अनंत जन मनरंजनं*
*योगेश्वर अवधूत संतराम सुख दुख भंजनं*
लक्ष्मण जती भी योगी है।।जागृत योगी है। गृह को विषाद होता है इस वक्त लक्ष्मण गीता का सृजन होता है। राम को वन में नीचे सोते हुए देखकर लक्ष्मण की आंख भर जाती है उसी वक्त वह कहते हैं:
*यह जग जामीनी जागही सोई।*
*परमारथी प्रपंच बिलोई।।*
यह जगत में रात्रि में योगी जागते हैं इनका प्रमाण है उनके विषयों के विलास में वैराग्य आता है।।लक्ष्मण हमारे मनुष्य के साथ है इसलिए विषयों में नहीं लेकिन विषयों के विलास में वैराग्य की बात करते हैं