श्रेष्ठतम भजन हरि नाम है।।
भजन के चार मुख्य केंद्र:नाम,रूप,लीला और धाम है।
नव दिवस का,जिंदगी भर का,जन्म जन्म का सार है:नाम।।
कल्याण की स्थापना के बिना कल्याण राज्य नहीं होगा।।
हमारी जिंदगी में भी कुछ बेला,कुछ पल खाली रखो,जहां राम आएंगे और विश्राम करेंगे।।
राम राज्य तिलक और राम का प्रागट्य मध्यान में हुआ था।।
फलावर्स को ये कथा का सुफल और मनोरथी अभ्युदय को रामेश्वरम् की कथा आशीर्वाद के रुप में मिली।।
कथा बीज पंक्तियॉं:
उमा कहउं मैं अनुभव अपना।
सत हरि भजन जगत सब सपना।।
-अरण्य कॉंड दोहा-३९
निज अनुभव अब कहउं खगेसा।
बिनु हरि भजन न जाहिं कलेसा।।
-उत्तर कॉंड दोहा-८९
इन्हीं बीज पंक्तियों के साथ कथा को समापन की ओर लेते हुए उपसंहारक बातें करते हुए बापू ने कहा रामकथा शिव की पद्धति से,याज्ञवल्क्य की, गोस्वामी जी और काग भूसुंडी की पद्धति से गाई जाती है।।बहुधा वक्ता सभी पद्धतियों का आश्रय लेते हैं।।शिव पद्धति से ज्ञान,तत्व,सत्व प्रधान कथा होती है।।याज्ञवल्क्य विवेक पूर्वक कर्म से रत रहे इस सूर से कथा चलती है।।तुलसी कथा मन प्रमोद के लिए,शरणागति,दीनता भाव से चलती है।।भुसुंडी के कथा के आयाम विशिष्ट है।वह रामकथा संक्षेप में भी कहते हैं।।बहुधा वक्ता सभी पद्धति अपनाते हैं।।भूसुंडी का आत्म अनुभव,जीवन अनुभव भी बताया।।जन्म जन्मांतर की कथा भी भूसुंडी ने सुनाई।।प्रश्न कर्ताओं के उत्तर भी दिए। रुद्राष्टक गाकर शिवजी को प्रसन्न किया वह भी सुनाया।आखिर में सात प्रश्न के विज्ञान प्रेरक उत्तर दिए।।भुसुंडी को विज्ञानी भी कहते हैं।। सांप्रत काल में जरूरी है इस शाखा पर बैठकर भूसुंडी कथा गान करते हैं।।
मेरी व्यास पीठ करीब करीब भूसुंडी की चाल से चलती है।।पहले सात दिन में दो कांड होते थे बाकी पांच कांड दो दिनों में पूरा करते थे।।मेरे दादा की शैली ऐसी ही थी यही शैली प्रवाही परंपरा में उतरी है।।यह विहंगावलोकन पद्धति से विराम की तरफ लेते हुए सेतुबंध रामेश्वर की स्थापना हुई।।कल्याण की स्थापना के बिना कल्याण राज्य नहीं होगा।। पूरी सेना के साथ भगवान ने सागर पार किया।।सुबेर पर्वत पर डेरा डाला।लंका त्रिकूट पर बसी है। वहां सुबेर,सु बेला- कुछ पल खाली रखी।। हमारी जिंदगी में भी कुछ पल खाली रखो।जहां राम आएंगे और विश्राम करेंगे ।।अशोक वन रावण ने सीता के लिए रखा।सुबेर राम के लिए रखा।।बीस बाहु और मस्त के रूपी विचार और अचार को बीस बानों से खत्म करते हुए इकत्तीवां बान नाभि के अमृत कुंभ खोलने के लिए चलाए।।रावण को निर्वाण देकर, पुष्पक आरूढ़ होकर अयोध्या में अमित रूप लेकर सबको व्यक्तिगत रूप से मिले।।राज्य सिंहासन पर सीताराम जी आरुढ हुए।।वशिष्ठ जी ने राजतिलक किया।वेदों और शिव ने स्तुति का गान किया।।शास्त्रों में स्तुति के विभाग है।पहले संबोधन होता है किसी का जय जयकार होता है।शील और स्वभाव का सुंदरता का वर्णन होता है।याचना भी होती है। आत्म रंजन के लिए यह होता है।शास्त्रीय सभी लक्षण यही स्तुति में दिखते हैं।। दुनिया भर के राम मंदिरों में मध्यान्ह की आरती ऐसी स्तुति गान के साथ होनी चाहिए क्योंकि राम राज्य तिलक और राम का प्रागाट्य मध्यान में हुआ था।। राम राज्य का बहुत अद्भुत वर्णन हुआ।वंश का नाम देकर रघुवंश की कथा को विराम दिया गया।।
फिर भूसुंडी चरित्र अद्भुत है।।सभी घाटों पर कथा विराम हुई।।
उपसंहार सूत्र बताते हुए संबल-भाता के रूप में बापू ने कहा कि हमारे जीवन में एक सारथि होता है। उपनिषदों में सारथी और रथि का वर्णन किया है।। दूसरा सारथी ईश्वर भी है।।स्थूल सारथी के पांच कर्तव्य: एक-घोड़े को इधर-उधर ना जाने देना।। दो- लगाम पर काबू रखना। कब ढीली करें कब सख्त करना।तीन-रथिकहे वहां ले जाना।चार-रथ को इस तरह संचालित करना और रथि को बानों से बचाना। पांच-युद्ध समाप्त होने पर नीचे उतर कर रथि को उतारना।।
दूसरा सारथी ईश्वर यह पांच तो निभाएगा ही लेकिन भक्त का नाश नहीं होने देगा और यश ईश्वर रथि को देता है।।और ईश्वर का भजन सारथि है तो वहां और दो लक्षण जूड़ते हैं।। मन के घोड़े को और मन की इंद्रियां पर भजन काबू करता हैं।। हरि भजन सत्य है ऐसा स्थापित हो जाए फिर अपने आप जगत प्रपंच और सपना हो जाता है।। सब मिलकर नव बातें होती है।।भजन में रुचि है तो क्लेश की चिंता भी मत करना, वह अपने आप भाग जाएंगे।।
हमारे पास ईश्वर सारथी नहीं एकमात्र उपाय है ईश्वर भजन।।
बापू ने कहा कि यह आखिरी अनुभव बताउं। भजन में सबसे श्रेष्ठ कौन विद्या? एक ही है, एक नंबर का नाम।।सबसे प्रथम भजन है-नाम। यज्ञ करो, ध्यान करो, जो भी करो लेकिन श्रेष्ठतम भजन है प्रभु का नाम।।बेरखा,माला, उंगली पर,सांसों पर ऐसे भी रटन करो।। दूसरा है:रूप- जिसका नाम लेते हैं उसी का रूप।। तीसरा है:चरित्र का कथन, श्रवण यानी की लीला।।और चार-विश्राम धाम है।। रामचरितमानस के अंतिम छंद में यह संकेत है श्रेष्ठतम भजन हरि नाम है।।भजन के चार मुख्य केंद्र नाम,रूप,लीला और धाम बताएं।।
नव दिवस का,जिंदगी भर का,जन्म जन्म का सार नाम है।।
इस कथा का शुभ फल सभी श्रोताओं फ्लावर्स को अर्पण करते हुए बापू ने कहा कि आप जिन्हें अच्छा लगे उन्हें अर्पण कर सकते हैं, समर्पित कर सकते हैं और सभी को आशीर्वाद देते हुए मनोरथी परिवार के सबसे छोटे मनोरथी अभ्युदय को रामेश्वर की नई कथा रूपी आशीर्वाद पेश किया और आने वाले नए साल में सब का भजन बढे ऐसी बधाई के साथ नव दिवसीय कथा का समापन हुआ।।
अगली-९४९वीं रामकथा सुप्रसिध्ध कबीर धाम,कबीर वड,भरुच के पास मॉं नर्मदा के पावन तट पर,गुजरात से शुरु होगी।।
ये कथा ४ जनवरी पहले दिन शाम ४ बजे से और बाकी सभी दिनों में सुबह १० बजे से आस्था टीवी चेनल तथा चित्रकूटधाम तलगाजरडा यु-ट्युब चेनल और संगीतनी दुनिया परिवार यु-ट्युब चेनल से जीवंत रूप से नियत और नियमित समय पर देखी जा सकेगी।।