त्रिभुवन को राम जन्म और राम चरित मानस प्रागट्य दिन की बधाइयांं।।
नाथ परंपरा में नव नाथ है और राम नव प्रकार के नाथ है।।
नवमी का अंक पूर्ण है। नव को शून्य भी कहते हैं।
हमारी बुद्धि सूक्ष्म और तिक्ष्ण होनी चाहिए।।
जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं।
तीरथ सकल तहॉंचलिआवहिं।।
नौमी भोम बार मधु मासा।
अवध पुरी यह चरित प्रकासा।।
-बालकॉंड दोहा ३४
इन बीज पंक्तियों का गान करते हुए
आज रामकथा का आखीरी और विराम के दिन
कागभुशुंडी के न्याय से संक्षिप्त में रामकथा के शेष प्रकरणों कहते समापन में उपसंहारक बातें कहने से पहले बापू ने कहा कि सबसे पहले त्रिभुवन महिमा विदित भगवान राम-वशिष्ठ दशरथ से कहते हैं कि जिनकी महिमा त्रिभुवन में होगी वह त्रिभुवानीयमहिमावंत का प्रागट्य दिन-दुनिया और देश में सभी जगह रामनवमी का उत्सव मनाया गया।।ऐसे राम प्रागट्य राम जन्म की बहुत-बहुत बधाई के साथ रामचरितमानस प्रागट्य दिन की भी बधाई दी।। अध्यात्म रामायण में ऐसा लिखा है पांच ग्रह उच्च स्थान पर थे,मधुमास,शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी उसी वक्त जगन्नाथ राम प्रकट हुए।।सनातन परमात्मा प्रकट हुए हैं।।नवमी तिथि शुभ है लेकिन नवमी तिथि पर सत्कर्म वर्ज्यहै!शुभ कर्म नहीं किया जाता क्योंकि नवमी तिथि इतनी शुभ है कि कोई काम करने की जरूरत नहीं।।
नवमी के कई अर्थ होते हैं।रामचरितमानस का पाठ करना इससे ज्यादा शुभ क्या है!
नवमी का अंक पूर्ण है। नव को शून्य भी कहते हैं। बुद्धकालीन शून्य भी पूर्ण है और शंकराचार्य का नव भी पूर्ण है।।
सीताराम राधेश्याम और नारायण शब्दों को तोड़कर गणित सांख्य गिनते हैं तो आखिर में नव का अंक मिलता है।।
नवमी का अर्थ प्रणाम नमस्कार भी होता है।।
नवमी का अर्थ नव प्रकार की उर्मियां होती है।।धरती के नवखंड है।।
नाथ परंपरा में नव नाथ है और राम नव प्रकार के नाथ है।।
जैसे सीतानाथ,लक्ष्मी नाथ,रमानाथ,जानकी नाथ,अनाथों के नाथ,दीनानाथ,श्रीनाथ,जगन्नाथ, त्रिभुवन के नाथ।।
जो तिथि रोज नई लगे वह नवमी है।।
मनोरथी परिवार के मुख्य युवा रोहित भाई और किशोर भाई परिवार और सभी के आयोजन में बहुत आनंद हुआ बापू ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त की और कहा की वाणी चार प्रकार की होती है::
१-स्वार्थ वाणी-व्यास पीठ स्वांत: सुखाय गाती है यह स्वार्थ वाणी कहीं जाए।।
२-परमार्थ वाणी- जगत के लिए ।।
३-सार्थक वाणी और ४-संतवाणी।।
लंका कांड में राम के दो पुत्र लव और कुश का उल्लेख हुआ।। लव का मतलब सूक्ष्म और कुश का मतलब तिक्ष्ण है।। हमारी बुद्धि सूक्ष्म और तिक्ष्ण होनी चाहिए।यह भक्ति के संतान है।।
उत्तरकॉंड में कागभुसुंडि का चरित्र और फिर सात प्रश्नों के उत्तर के बाद मानस के मनोरोग के बारे में कहा गया और बापू ने अपनी कथा को विराम देते हुए प्रसन्नता से यह कथा का शुभ फल भगवान राम के चरणों में अर्पण किया और राम कथा को विराम दिया गया।।
अगली,क्रम में ९५५वीं रामकथा जो पृथ्वि का स्वर्ग माना जाता है ऐसा चश्मे-शाही जम्मु-कश्मीर के श्रीनगर में १९ से २७ एप्रिल के दरमियान प्रवाहित होगी।।
जो भारतीय समय के अनुसार नियत और नियमित रुप से पहले दिन १९ एप्रिल को शाम ४ बजे और बाकी के दिनों में सुबह १० से आस्था टीवी चैनल और चित्रकूटधामतलगाजरडायु-ट्युब चैनल एवं संगीतनी दुनिया परिवार यु-ट्युब चैनल के माध्यम से लाइव प्रसारित होगी।।