साथ ले जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है,यदि कुछ रख कर जाओ,या किसी को देकर जओ!! दो ही विकल्प है:देवी प्रसाद जी।।
वटवृक्ष मॉं का,नीम सूर्य का,पीपल विष्णु का,चंदन वृक्ष गणेश जी का,बिल्व शिव का वृक्ष है।।
मूल,जल,पल,ज्वाला और कमल उर्ध्व गमन करता है।।
रामचरितमानस में वृद्धो और वृक्षों का भी महिमा है।।
रेसकोर्स मैदान राजकोट से चल रही रामकथा के पांचवे दिन आरंभ विधिविध क्षेत्र के महानुभाव की उपस्थिति थी।।लंदन से आए लॉर्ड डोलर पोपट जो वहां मेंबर ऑफ पार्लियामेंट है, उन्होंने अपने अंग्रेजी में वक्तव्य में कहा कि 22 साल में 35 साल से ज्यादा उम्र की बस्ती में बहुत बढोतरी होगी।।आने वाले दिनों में मेडिकल की सुविधा के कारण मृत्यु दर कम होगा और बुढ़ापे में जीने वाले लोगों की बहुत वस्ती होगी।। उन्होंने बताया कि आने वाले 2050 में 80 साल से ज्यादा आयु की 280% बस्ती बढ़ेगी और उस वक्त बहुत बीमारी जैसे एकलता, डिप्रेशन सब कुछ आएगा।। हॉस्पिटल या घर में भी इलाज उपलब्ध नहीं होगा।। उस वक्त ऐसे वृद्धाश्रम की जरूरत पड़ेगी।। उन्होंने सब कुछ बताया और यह भी कहा कि यह वृद्धाश्रम हो रहे हैं बहुत हमारे लिए जरूरी भी है।।
आज जामनगर आणदाबावा संस्था के देवी प्रसाद महाराज ने मननीय प्रवचन दिया।। उन्होंने कहा की पांच बेटे वाली मां वृद्धाश्रम में देखने मिलती है लेकिन पांच बेटी है उनकी मां कभी वृद्धाश्रम में नहीं देखी है यह दुख की बात भी है।।भारत की संस्कृति के लिए वृद्धाश्रम दुख की बात है फिर भी अच्छी बात है कि ऐसी व्यवस्था होने के कारण सब आराम से रह रहे हैं।। उन्होंने बताया कि हमारे गुजरात में 85 वृद्धाश्रम है और हर साल सरकार 70 करोड रुपए की ग्रान्ट देती है।। एक भी जिला बाकी नहीं जहां वृद्धाश्रम ना हो। क्योंकि भजन,अलग प्रार्थनाएं अलग, हमारे व्यवहार भी अलग हो गए हैं।। और एक ही थाली में पूरा परिवार खाने वाला-मुस्लिम में एक भी वृद्धाश्रम नहीं है।।उन्होंने बताया कि 85 साल की एक मां को पूछा कि आपका पांच बेटे हैं फिर भी क्यों आए तो उन्होंने कहा कि मेरा स्वभाव अच्छा नहीं है! वहां भी उन्हें अपने बेटे के बारे में कोई खराब शब्द नहीं कहा।। यह भी बताया की उम्र बढ़ रही है लेकिन सबसे ज्यादा वृद्धो की संख्या जापान में है। वहां वृद्धाश्रम नहीं वहां भीख मांगने वाले भी नहीं है।। लेकिन हम संगठित नहीं है, एक नहीं है, हमारे प्रेम और लागणी नहीं है।। इसलिए हमें वृद्धाश्रम की जरूरत है।। लेकिन हमारे यहां संस्कृति है मातृ देवो भव।।अच्छा है कि ऐसा वृद्धाश्रम हमें मिल रहा है। एक बात यह भी बताइ कि यहां से जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है यदि कुछ रख कर जाओ, या किसी को देकर जओ!! दो ही विकल्प है।। आपको तय करना है कौन सा विकल्प चुने। एक चेतावनी भी दी की एक बेटा है उन्हें वृद्धाश्रम की तैयारी रखनी क्योंकि कब बेटा रूठे और मां-बाप को घर से बाहर धकेल दे!
बापू ने अपने पांचवें दिन की कथा में आरंभ में कहा कि मैंने विनय किया था कि हर एक परिवार पांच पांच वृक्ष बोयें। अच्छा प्रतिशत मिला हमारे आंगन में पांच वृक्ष होने चाहिए।।यदि आंगन में जगह नहीं है तो ऐसी संस्थाओं में पैसे देकर पांच वृक्ष बोने चाहिए।।लेकिन एक अच्छा प्रश्न भी पूछा गया है की गणेश,दुर्गा, शिव, विष्णु और सूर्य के नाम के वृक्ष कौन है? बापू ने बताया कि अंत:करण की प्रवृत्ति के आधार पर साधु संतों के अभिप्राय और गुरु कृपा से मैं कहूं तो वट वृक्ष को मातृ रूप है इस भाव से बोना चाहिए। क्योंकि जितनी भी कथा वह वटवृक्ष के नीचे ही गुनगुनायी गई है।। तुलसी का विश्वास का वट,कागभुसुंडि का निलगिरी का वटवृक्ष महादेव का कैलाश का वटवृक्ष और प्रयाग का वटवृक्ष ख्यात है कथा मातृ रूप मां दुर्गा है।। हमने भी चित्रकूट में सावित्री वट रखा है।। दुर्गा पार्वती या अपनी खुद की माता के नाम पर एक वृक्ष बोना चाहिए।। शास्त्र प्रमाण मत खोजो अंतरण प्रवृत्ति ही प्रमाण है। पीपल का वृक्ष विष्णु का वृक्ष है। गीता में कृष्ण कहते हैं वृक्षो में पीपल मेरी विभूति है।। हमारे निंबार्की परंपरा में नीम के वृक्ष में सूर्य का दर्शन हुआ तो नीम सूर्य का वृक्ष है।।और बिल्ली वृक्ष महादेव का है महादेव को त्रिदल बीली पत्र अर्पण होता है।। और चंदन का वृक्ष वो गणेश का वृक्ष है।। आज बापू ने कहा कि दो-चार वस्तु ऐसी है जो गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध में जाती है: जैसे नारियेल में पानी ऊपर जाता है।।अग्नि की ज्वाला भी ऊपर जाती है। संसार भी उर्ध्वमूल है। मूल, जल और पल भी हमें ऊपर भेजती है और कमल भी उर्ध्व गमन करता है।।
बापू ने यह भी याद किया कि 2026 में जबलपुर में ओशो के स्मरण में एक कथा का गान करना है।। रामचरितमानस में कितने वन है।बापू ने कहा बालकांड में तीन वन:आम्रकुंज,विंध्यवन और नैमिषारण्य है।। अयोध्या कांड में कामदवन, चित्रकूट का वन दिखाया।।अरण्यकांड में पंचवटी में दंडक वन भी है।।किष्किंधा कांड में मधुबन है।। सुंदरकांड में अशोक वाटिका। लंका कांड में आनंद का आनन और उत्तर कांड में चार-चार वृक्ष के नीचे भूसुंडी कथा का गान करते हैं।।
रामचरितमानस में वृद्धो का भी महिमा है।। बालकांड में सत्य केतु, महाराज मनु वृद्ध है।। अयोध्या कांड में दशरथ भी वृध्ध है।। कालिदास ने युवा न राजा दिलीप को चार प्रकार से वृध्ध बताया वह ज्ञान वृद्ध वैराग्य के वृद्ध धर्म वृद्ध और विद्यावृध्ध है।। दशरथ का सारथी सुमंत वृध्ध है। और अरण्य कांड में कुम्भाज, जटायु और अत्रि एवं सबरी भी वृद्ध है नारद भी है।।किष्किंधा कांड में गवाक्ष आदि राक्षस है।। जामवंत सुंदरकांड में त्रिजटा और लंका कांड में रावण स्वयं वृध्ध है।।वृध्धों और वृक्षों की प्रति सद्भावना रखें कोई कारण बगैर उसे काटे मत।।
कथा प्रवाह में तप की बात करते हुए बापू ने कहा कि सत्य का तप, मौन का तप वैसे ही धीरज का भी तप है।।मेरी व्यासपीठ गानपीठ है,गाओ! पार्वती और शिव का विवाह की सुंदर कथा और शिव की बारात निकलती है और हिमाचल के वहां जाती है वह पूरा प्रसंग बापू ने अपनी संवादी गान में बताया और आज की कथा को विराम दिया।।