सत्य के साथ प्रेम और करुणा के साथ हमारे ब्याह हो जाए ऐसा करना है।।
कश्मीर के लोग शारीरिक केवल रूप से ही नहीं भीतर से भी सुंदर है।।
साहस सहसा नहीं बहुत तप के बाद करना।।
ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस के निर्वाण को व्यासपीठ की तरफ से श्रद्धांजलि दी गइ।।
बुद्धपुरुष का अपना वेकअप होता है।।
व्यास पीठ से उतर कर बापु सब के साथ रास गरबा के ताल में झूमे।।
चश्मे शाही श्रीनगर के विख्यात दल सरोवर के पास पूरी सुरक्षा व्यवस्था एवं नियमो से रक्षित रामकथा का संवाद चौथे दिन में प्रवेश कर रहा है।।
बापुगुरुमुखी राम रहस्यों को सहजता से उजागर करते है तो कथा दिनेदिनेनवंनवं,नीत-नूतन बनी रहती है।।
आरंभ में कहा बहुत प्रकार से संपन्न भूमि पर मोहब्बत भाईचारा से सब को एक और नेक करने के लिए आए हैं।।रामकथा सप्तपदी है।। सत्य के साथ प्रेम और करुणा के साथ हमारे ब्याह हो जाए ऐसा करना है।।
महाभारत कार यक्ष प्रश्न में कहते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? जीव पर मृत्यु मंडरा रहा है फिर भी संसार के रंगों में जीव रंगा जा रहा है यह परम आश्चर्य है।।
गुजरात से कथा श्रवण करने के लिए आए श्रोताओं ने कहा कि श्रीनगर में जहां-जहां घूमें और अवलोकन करके देखा कि यहां के लोग शारीरिक रूप से ही नहीं भीतर से भी सुंदर है।। बापू ने भी कहा कि यहां के महामहिम राज्यपाल,मुख्यमंत्री अब्दुल्ला साहब के सद्भाव सुविधा और सहयोग के प्रति खूब बहुत आदर और स्नेह प्रस्तुत करते हैं।। यहां के सैनिक,आर्मी मेन,सुरक्षा कर्मी,यहां के आयोजकों,सीमा सुरक्षा बल,कश्मीर पुलिस सभी अधिकारियों के प्रति भी बहुत स्नेह और आदर प्रस्तुत करते हैं।।
बुद्धपुरुषनकसीख सुंदर है इसकी भी बहुत लोगों को तकलीफ है! इस मतलब की गुजराती कवि लेखक गज़लकार नितिन वडगामा ने एक बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी वह पूरी ग़ज़ल बापू ने गाकर मतलब भी सुनाया।। कहा बुद्धकालीन समय में भी भगवान बुद्ध के नजदीकी लोगों को भी बुद्ध से बहुत तकलीफ थी। हर काल में ऐसी तकलीफ होती रहती है।। लेकिन बुद्धपुरुष तकलीफों के बीच में भी उत्सव मनाता है उनकी भी सबको तकलीफ होती है!! साधु लोग साहस करते हैं लेकिन साहस का उल्टा सहसा यानी कि जल्दी साहस नहीं करते हैं, बहुत साधना करते हैं। इसलिए साहस सहसा नहीं बहुत तप के बाद करना।।
ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस के निर्वाण को श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए बापू ने उनके साथ जुड़ा एक बहुत सुंदर किस्सा भी सुनाया और यह भी कहा कि पोप फ्रांसिस कहा करते थे कि भय, प्रलोभन और चमत्कार से अपने धर्म का प्रचार मत करना।।
परिघि पर चक्र घूम रहे हो तो केंद्र को मत भूलना।। और केंद्र में कोई व्यक्ति नहीं लेकिन पोथी है।। बुद्ध पुरुष को लोग अपने ढंग से मेकअप करते हैं लेकिन बुद्धपुरुष का अपना वेकअप होता है।। समर्थ स्वामी रामदास कहते हैं की कथा गणपति जी की कार्तिकेय और शंकर जी की, कथा भास्कर सूर्य की है लेकिन राघव की कथा तो राघव की ही कथा है।। रामचरितमानस में 18 बार श्री शब्द कहां कहां आया वह पंक्ति भी बापू ने बताई।।
बापू ने कहा कि परिवार में बेटी नहीं होती तो परिवार अधूरा लगता है।। इस तरह यदि बेटा ना होता तो भी परिवार अधूरा रहता है। दशरथ को शांता नाम की बेटी थी लेकिन कोई बेटा नहीं था और जनक को बेटी नहीं थी इसलिए शास्त्रों ने श्री की बड़ी महिमा का गान किया है।। जनक के जीवन में ग्लानी थी की पुत्री नहीं है।। जानकी जनक की मानस पुत्री है।। कथा है कि जनकपुर में अकाल पड़ा फिर यज्ञ कार्य करने के लिए भूमि शोधन करने की प्रक्रिया चली। और हल को जोंत कर जनक और जनक की पत्नी हल चला कर निकले और भूमि में हल की सीत-हलका अगला भाग जिसे सित कहते हैं-वह टकराया।। वहां खोजा गया तो कलश निकाला उसमें मासूम बालीका श्री, जानकी जी जगदंबा प्रकट हुई।।श्री नहीं तो कुछ नहीं।। शतानंद जी ने सीत से निकली हुई है इसलिए सीता नामकरण किया।।
सीत का एक अर्थ खेत में जो चास होता है वह भी है।।
शिव की समाधि छूटी और सती सम्मुख आकर बैठी रसमयी कथा सुनाने लगे और दक्ष प्रजापति की घटना घटी।।
उसी वक्त बापू ने गुजरात के गरबे रास,दोहा और छंद गाने के लिए आमंत्रित किया और गुजराती रास गरबे में बापू भी फिर एक बार व्यास पीठ से नीचे उतरकर पूरे पंडाल के साथ गुजराती दोहा छंद और रास के बीच में बहुत झूमे और फिर आज की कथा को विराम दिया गया।।