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ICMAI-WIRC द्वारा “रीजनल कॉस्ट कन्वेंशन 2025” का आयोजन, आयकर विधेयक में CMAs को शामिल करने की मांग

मुंबई 21 फरवरी 2025: इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (ICMAI-भारतीय लागत लेखाकार संस्थान) की वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल (WIRC-पश्चिमी भारत क्षेत्रीय परिषद) द्वारा मुंबई में रीजनल कॉस्ट कन्वेंशन 2025 का आयोजन किया गया। “विकसित भारत 2047 के लिए परिवर्तन उत्प्रेरक के रूप में CMAs” विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा को आगे बढ़ाने में कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स(लागत और प्रबंधन लेखाकारों-CMAs) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

दो दिवसीय इस सम्मेलन में अग्रणी पेशेवर, नीति-निर्माता और उद्योग विशेषज्ञ बडी संख्या में शामिल हुए थे। उन्होंने कॉस्ट अकाउंटेंट्स(लागत लेखाकार) किस प्रकार कार्यकुशलता बढ़ा सकते हैं, संसाधन आवंटन को अनुकूलतम बना सकते हैं तथा राष्ट्रीय नीतियों को आकार दे सकते हैं..? सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इन सत्रों में देश के सामने आने वाली चुनौतियों और कृषि, विनिर्माण, डिजिटल परिवर्तन, स्थिरता जैसे क्षेत्रों में उभरते अवसरों पर चर्चा की गई। इन चर्चाओं में किस प्रकार रणनीतिक लागत प्रबंधन नवाचार को बढ़ावा दे सकता है, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ा सकता है तथा सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित कर सकता है..? आदि आवश्यक मुद्दों पर भी विस्तृत प्रकाश डाला गया।

ICMAI-WIRC के अध्यक्ष CMA अरिंदम गोस्वामी ने कहा कि, “विकसित भारत 2047 का विजन एक मजबूत अर्थव्यवस्था, वैश्विक प्रतिस्पर्धा, तकनीकी नवाचार, स्थिरता और समावेशी विकास को शामिल करता है। इस विज़न को साकार करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना, रणनीतिक लागत प्रबंधन और कुशल संसाधन उपयोग की आवश्यकता होती है। CMAs विज़न और निष्पादन के बीच के अंतर को कम करने के लिए अद्वितीय रूप से स्थित हैं, जो सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में श्रेष्ठ निर्णय लेने को सुनिश्चित करते हैं। यह सम्मेलन, हमारा व्यवसाय इस मिशन में कैसे सार्थक योगदान दे सकता है, इस बात पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।”

इस सम्मेलन में गुणवत्ता और विकास से समझौता किए बिना प्रभावी लागत नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उद्योगों, नीति निर्माताओं और पेशेवर निकायों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर भी भार व्यक्त किया गया। विशेषज्ञों ने लागत ट्रैकिंग को बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता में सुधार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ब्लॉकचेन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया। चर्चाओं में ग्रीन टेक्नोलॉजी (हरित प्रौद्योगिकियों) और टिकाऊ वित्तीय प्रथाओं को भी शामिल किया गया।

इस सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण आयकर विधेयक, 2025 की धारा 515(3)(b) के तहत “लेखाकार” की परिभाषा में “लागत लेखाकार” को शामिल करने की वकालत करने वाले एक ज्ञापन का विमोचन था। संस्थान ने नए आयकर विधेयक के प्रस्तुतीकरण का स्वागत किया तथा इसे भारत के प्रत्यक्ष कराधान ढांचे को सरल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया।

लोकसभा की प्रवर समिति को प्रस्तुत ज्ञापन में कराधान, अनुपालन और वित्तीय विश्लेषण में लागत लेखाकारों के विशेष कौशल और विशेषज्ञता पर जोर दिया गया। इसमें तर्क दिया गया है कि, CAMs को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत आंतरिक लेखा परीक्षक के रूप में मान्यता प्राप्त है और उन्हें विभिन्न राज्य कानूनों के तहत वैधानिक वित्तीय लेखा परीक्षा करने के लिए अधिकृत किया गया है।

CMA नीरज जोशी – CCM और CMA मिहिर व्यास (ICMAI-WIRC के उपाध्यक्ष) ने कहा कि, “CMAs को कर कानून, जीएसटी, बैंकिंग, वित्त, लागत एवं प्रबंधन लेखांकन, लेखा परीक्षा, कॉर्पोरेट कानून और रणनीतिक जोखिम प्रबंधन का व्यापक ज्ञान होता है, जो उन्हें कर-संबंधी गतिविधियों में प्रभावी रूप से योगदान करने के लिए सक्षम बनाता है। आयकर विधेयक में इनके शामिल होने से वित्तीय मूल्यांकन एवं कर अनुपालन में सुधार होगा तथा व्यावसायिक निर्णय लेने में व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।”

इस ज्ञापन में कहा गया है कि, ICMAI का पाठ्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय परीक्षा मानकों के अनुरूप है और सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों को व्यापक रूप से कवर करता है। जिससे CMAs, कर प्रशासन और वित्तीय शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हो जाते हैं।

भारत अपनी शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में CMAs इसके भाग्य को आकार देने में एक उल्लेखनीय और आवश्यक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। लागत दक्षता, नवाचार और स्थिरता में उनकी विशेषज्ञता “विकसित भारत 2047” के विजन को प्राप्त करने में बहुत सहायक साबित होगी।

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