भारत के सबसे बड़े उपभोक्ता हित संगठनों ने एकजुट होकर सरकार से भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्मों पर नकेल कसने का आग्रह किया
- उपभोक्ता मामले मंत्रालय, प्रसारण मंत्रालय, वित्त मंत्रालय जैसे मंत्रालयों और सेबी में प्रतिनिधित्व के लिए सहमत हुए
- भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग को रेगुलेट करने की जरूरत पर इस वर्चुअल वर्कशॉप में अधिक उपभोक्ता हित समूहों को शामिल करने के लिए PEN मीडिया लिटरेसी के साथ साझेदारी की
नई दिल्ली 12 फरवरी 2025: न्यू इंडियन कंज्यूमर इनिशिएटिव (एनआईसीआई) ने पीईएन मीडिया लिटरेसी के साथ मिलकर “भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग के लिए उपभोक्ता हित और रेगुलेशन की जरूरत” शीर्षक से एक वर्चुअल वर्कशॉप आयोजित की। इस सत्र में तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे कई राज्यों के उपभोक्ता हित संगठनों ने भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग के तेजी से बढ़ते चलन, उपभोक्ताओं के लिए जोखिम और एक संरचित नियामक ढांचे (रेलुलेटरी फ्रेमवर्क) की आवश्यकता पर चर्चा की। ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में यूज़र चुनाव, शेयर बाजार की गतिविधियों और मौद्रिक दांव के साथ आर्थिक रुझानों जैसी वास्तविक दुनिया की घटनाओं पर दांव लगा सकते हैं। ये प्लेटफॉर्म खुद को गेमिंग प्लेटफॉर्म, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और यहां तक कि निवेश प्लेटफॉर्म के रूप में कई तरीकों से पेश करते हैं, लेकिन संबंधित नियामक निकायों के दायरे से बाहर हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए जोखिम बढ़ जाता है। सालाना ₹50,000 करोड़ रुपये से अधिक के लेन-देन की मात्रा और 5 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ, ये प्लेटफॉर्म विज्ञापनों के दम पर बढ़े हैं जो अक्सर बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जाने वाले जीत और दांव को आय के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में पेश करते हैं।
एनआईसीआई के संयोजक श्री अभिषेक कुमार ने कहा, “भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का तेजी से बढ़ना उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है, जहां गेमिंग, ट्रेडिंग और निवेश के बीच की रेखाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं। इन प्लेटफॉर्म को अक्सर आय के विश्वसनीय स्रोत के रूप में बेचा जाता है, जो महत्वपूर्ण तरीके से पैसे और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े जोखिमों को जन्म दे रहे हैं। उपभोक्ताओं की सुरक्षा, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य सावधानी बरतने और इन प्लेटफॉर्म के खिलाफ हस्तक्षेप का अनुरोध करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ना है।”
चर्चा के दौरान इन प्लेटफॉर्म से जुड़े महत्वपूर्ण वित्तीय और मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों पर भी चर्चा की गई, जिसमें ऋण चक्र और खासकर युवा उपयोगकर्ताओं के बीच लत की संभावना भी शामिल है। इसके अलावा, विशेषज्ञों ने सिंगापुर, यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे देशों में अंतरराष्ट्रीय नियामक ढाँचों के बारे में भी बताया जहां पर भारत के विपरीत सख्त कानूनी नियंत्रण हैं। उन्होंने उपभोक्ताओं की सुरक्षा और भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए सेबी, उपभोक्ता मामले मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद सहित कई हितधारकों को शामिल करते हुए एक समन्वित नियामक दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
इस चर्चा में सभी प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से ओपिनियन ट्रेडिंग में संभावना की अधिकता के बारे में चिंताओं को बढ़ाने की आवश्यकता बताई, जो इसे सट्टेबाजी और जुए के समान बनाती है। उपभोक्ताओं की सुरक्षा और जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक समन्वित नियामक दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, न्यू इंडियन कंज्यूमर इनिशिएटिव के संयोजक अभिषेक कुमार ने इन प्लेटफार्मों को पर्याप्त रूप से कानून बनाकर नियंत्रित नहीं किए जाने पर कुछ वास्तविक दुनिया की घटनाओं के हेरफेर की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।
सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस के सीईओ रिजित सेनगुप्ता ने ऐसे व्यवसायों और उनके निवेशकों के लिए जिम्मेदार व्यावसायिक व्यवहार का पालन करने और बड़े सामाजिक प्रभावों के बारे में सोचने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आरबीआई जैसे नियामक को भी चिंतित होना चाहिए क्योंकि ऐसे प्लेटफॉर्म पर लेन-देन की मात्रा बढ़ रही है।
PEN मीडिया लिटरेसी की संस्थापक और राजस्थान पत्रिका की पूर्व प्रमुख (कॉज एंड कैम्पेन) शिप्रा माथुर ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भारतीय नियामक संस्थाओं ने ओपिनियन ट्रेडिंग को कानून बनाकर नियंत्रित करने की आवश्यकता पर ध्यान क्यों नहीं दिया है, खासकर तब जब कई अन्य एशियाई और पश्चिमी देशों ने ऐसा किया है।
इन प्लेटफॉर्म पर बढ़ती भागीदारी के साथ, सत्र का समापन उपभोक्ताओं को होने वाले नुकसान को रोकने और इस क्षेत्र में जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत नीतिगत हस्तक्षेप के आह्वान के साथ हुआ। सभी भाग लेने वाले संगठनों ने संबंधित नियामकों के समक्ष संयुक्त प्रतिनिधित्व की आवश्यकता व्यक्त की। अगले कदम के रूप में, एनआईसीआई और PEN मीडिया लिटरेसी भारत में इन ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर नकेल कसने की आवश्यकता पर उपभोक्ता मामले मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, सेबी और एएससीआई के साथ एक संयुक्त प्रतिनिधित्व पेश करेंगे।