Homeगुजरात"व्यासपीठ इझ ऑलवेज विथ योर प्रोग्राम"

“व्यासपीठ इझ ऑलवेज विथ योर प्रोग्राम”

व्यासपीठ का यही काम है: दिल तक जाना।

मानस की प्रत्येक चौपाई मेरे लिए मंत्र है:मोरारिबापु।।

मंत्र तीन प्रकार का परिणाम देता है:व्याधि की मात्रा कम करता है, विपत्ति की मात्रा कम कर देता है और मंत्र अपमृत्यु नहीं होने देता।।

विश्व महासंस्था-युनो हेडक्वार्टर से बहती रामकथा धारा आज छठ्ठे दिन में प्रेवश कर रही तब बताया कल निवेदन किया गया कि:विश्व की संस्था के जो १७ कार्यक्रम-हेतु है, गुरु कृपा से,भगवत कृपा से, भारत वासियों की शुभकामना से इनमें से १६ कथा हो चुकी हैं। और यह १७वीं कथा है।।

बापु ने यह भी कहा कि जनरल सेक्रेटरी साहब यूएनओ के जो किसी काम सबब बाहर है, अमेरिका में नहीं है।। मगर डिप्टी जनरल सेक्रेटरी बहन है- अमीना मोहम्मद जी से मुलाकात हुई।। उसने एक बात अच्छी कही। बताया कि बापू हमने सुना है हम जानते हैं अपने इस विश्व संस्था की परिक्रमा की थी।। लेकिन वह तो बाहर बाहर की परिक्रमा थी,अब आप हमारे हृदय में आ गए हैं।।

बापू ने कहा व्यासपीठ का यही काम है: दिल तक जाना।। बापू ने बताया कि मैं भी टूटी-फूटी अंग्रेजी में लिखकर दिया, मेरा मौन था, मैंने लिखा:माय व्यासपीठ इझ ऑलवेज विथ योर प्रोग्राम।। यह कोई पहला प्रयास नहीं है।।

कथा के रूप में जरूर निमित्त बन गए। बापू ने उमाशंकर जोशी ने जो विश्व मानव के लिए कहा वह भी बताया।।

बापू ने कहा कि डिप्टी सेक्रेटरी जीने कहा कि हम विश्व शांति के लिए कार्यक्रम लेकर जाते हैं। फिर भी कुछ लोग स्वीकार नहीं करते! अच्छा हुआ आपकी कथा हुई। हमें बल मिलेगा।।

यह विश्व संस्था के १७ कार्यक्रम है।। १६ कथा प्रकट रूप से हुई वह पूरा लिस्ट बापू ने पढ़ कर सुनाया।।

बापू ने कहा कि मानस की प्रत्येक चौपाई मेरे लिए मंत्र है।।मंत्र तीन प्रकार का परिणाम देता है: व्याधि की मात्रा कम करता है। विपत्ति की मात्रा कम कर देता है। और मंत्र अपमृत्यु नहीं होने देता। बात है भरोसे की।।

बापू ने कहा की मंत्र आदमी के खराब लेख को भी बदल देता है।।

रामचरितमानस की चौपाइयां मंत्रात्मक,सूत्रात्मक, सत्यात्मक और स्नेहात्मक है।। बार-बार घनपाठ करने से गुणवत्ता बढ़ जाती है।।

राम जन्म के बाद सूरज एक मास का हुआ और महादेव एक मास तक अयोध्या में बैठे।। और बापू ने एक रहस्य उद्घाटित करते हुए कहा कि महादेव एक महीने तक गए। पार्वती ने गण आदि को पूछा कि वह कहां गए? बताया गया कि अयोध्या जाने की बात कर रहे थे।।नंदी को भी नहीं ले गये। पार्वती ने तीन देवियां तैयार की। एक हिमालय से, एक छीर सागर से और एक ब्रह्मलोक से आई।। और फिर अयोध्या में शिव से पहले पहुंच गई। शिव और पार्वती ने रामलीला देखने के लिए अलग-अलग वेश धारण किया वह बात बापु ने विस्तार से बताया।।

नामकरण संस्कार और चारों भाइओं का नाम गुरु वशिष्ठ ने रखें।।बाद में विश्वामित्र के साथ राम,लक्षमण का वनगमन और रास्ते में ताडका निर्वाण और अहल्या उध्धार का मार्मिक प्रसंग का गान करके राम,लक्षमण का जनकपुर में सुंदर सदन में निवास हुआ वहां कथा को विराम दिया गया।।

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