Homeगुजरातरामचरितमानस में और एक अष्टक है: प्रयागाष्टक।

रामचरितमानस में और एक अष्टक है: प्रयागाष्टक।

साधु समाज चलता फिरता प्रयाग है।।

सुख का केंद्र सुख का मूल साधु संग है।।

जिसके जीवन में सत्य हो,चरण-आचरण में सत्य हो,हृदय में प्रेम और आंखों में करुणा हो वह सत्पुरुष है।।

राज्य और राष्ट्र का मूल संविधान है।।

देश,काल और पात्र की स्थिति देखकर सत्ता का त्याग करना राज पुरुष का हित है।।

महाकुंभ प्रयाग में चल रही कुंभकथासांतवे दिन में प्रवेश कर रही है तब बापू ने बताया संस्कृत साहित्य में अष्टक का बहुत महत्व है।। रामचरितमानस में रुद्राष्टकहै।जगतगुरु शंकराचार्य ने भी अष्टक लिखे हैं। लेकिन रामचरितमानस में और एक अष्टक है: प्रयागाष्टक। प्रयाग एक अष्टक है।। बालकांड से लेकर उत्तरकॉंड तक आठ बार तुलसी ने प्रयाग का वर्णन किया है।। बालकांड में साधु समाज प्रयाग की चर्चा हुई है:

मुद मंगल मय संत समाजु।

जो जग जंगम तीरथ राजू।।

साधु समाज चलता फिरता प्रयाग है। जहां भक्ति की गंगा, ब्रह्म विचार की सरस्वती और विधि निषेध की कर्म कथा की यमुनाजी है।।विश्वास रूपी अक्षय बट भी है।। यह प्रयाग माघ मास में होता है। साधु कभी भी मिल सकता है।। साधु समाज के संग रूपी संगम में स्नान करने से तुरंत फल प्राप्त होता है।। कौन सा संग हमारे लिए शाश्वत है? सत्ता का संग या संत का संग महत्व का?वो हमें निर्णय कर लेना चाहिए।। सत्ता आज है कल न भी हो। साधु कायम है। सत्ता में रजोगुण तमोगुण है सत्य का संग गुणातीत है। इसलिए महादेव शाश्वत संग मांगते हैं संग किसका करें वह गंभीरता से संगम में विचार होना चाहिए।।

जीवन में सुख का मूल क्या है? सुख का केंद्र सुख का मूल साधु संग है।। साधु को सुनने बड़ी बात है साधु के संग बैठना भी बड़ी बात है।।साधु का होना सुख की जड़ है। ग्रंथ से इतना सुख नहीं पा सकेंगे जितना साधु संग से मिलता है।कबीर साहेब कबीरपंथी ने 16 प्रश्न पूछे बापू ने बड़ी शालीनता से,गंभीरता से जवाब दीये:

सबसे बड़ा सुख का मूल्य क्या है? साधु संग।।

मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन?अहंकार। वैसे कई दुश्मन है।मोह,लोभ,काम,क्रोध लेकिन किसी के प्रसाद से पद प्रसिद्धि प्रतिष्ठा प्रसिद्ध मिलने के बाद प्रसाद तत्व को भूल जाए वह अहंकार सबसे बड़ा शत्रु है।। कभी सोचा ना हो इतनी प्रसिद्धि बहुत छोटे काल में मिल जाए तो सोचाटना किसी के प्रसाद का परिणाम है।।

निर्धन का धन क्या है? भरोसा।।

सत्पुरुष कौन है?जिसके जीवन में सत्य हो। चरण आचरण में सत्य हो, हृदय में प्रेम और आंखों में करुणा हो वह सत्पुरुष है।।

स्त्री का आभूषण क्या है?लज्जा।।

सबसे बड़ा वीर कौन?जिसने अपने को जीत लिया है।।

धर्म का मूल क्या है? सत्य।

सुख का मूल क्या है? त्याग।

अर्थ का मूल क्या है?उदारता।।

राज्य का मूल?अपना संविधान।। राज्य और राष्ट्र का मूल संविधान है।।

इंद्रियों की विजय करने के लिए क्या चाहिए? सम्यक संयम।।

विनय का मूल क्या है?विद्या।।

बूजूर्गों की सही श्रेष्ठ सेवा क्या है?वृद्धाश्रम में ना भेजना और आज्ञा का पालन करना।।

राज पुरुष का  हित क्या है?देश काल और पात्र की स्थिति देखकर सत्ता का त्याग करना राज पुरुष का हित है।। लगे कि अब अपना समय नहीं है प्रसन्नता पूर्वक सत्ता छोड़ देना।।

साधु का मार्गदर्शन से राष्ट्र कैसे चलेगा? विश्व का अतिशय मंगल होगा।।

त्याग वैराग्य सन्यास में श्रेष्ठ क्या है? वैराग्य श्रेष्ठ है और वैराग्य को मध्य में रखकर त्याग और सन्यास आसपास रखना।।

दूसरा प्रयाग भारद्वाज और याज्ञवल्क्य का मिलन है तीसरा प्रयाग राम लक्ष्मण जानकी प्रयाग आते हैं। चौथ भरत जी मिलते हैं वह है।। पांचवा चित्रकूट में जनक राज आते हैं। छठ्ठा प्रयाग जानकी और जनक मिलते हैं।। सातवां प्रयाग उत्तरकॉंड में दिखाया है।। और वशिष्ठ और विश्वामित्र एक प्रारब्धवादी एक पुरुषार्थवादी विश्वामित्र को राम के माध्यम से दो धाराओं का संगम हुआ है।।

राम लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ शुभ आश्रम में जाते हैं। वहां राम ने संकेत कर दिया ईश्वर के मिलने के बाद भी यज्ञ दान तप छोड़ने नहीं चाहिए। कारण बिना ताड़न करें वो ताड़का का वध करके मारीच को शत-योजन दूर फेंक दिया सुबाहु को निर्वाण दिया।। विश्वामित्र के पास मंत्र सूत्र शास्त्र शस्त्र,साधन साधना 6 वस्तु है। जब तक राम रूपी सत्य और लक्ष्मण रूपी समर्पण ना आया तब तक यज्ञ अधूरा रहा।। जीवन यज्ञ को पूरा करने के लिए भी सत्य और समर्पण चाहिए।अहल्या का उद्धार का रसिक प्रसंग हुआ और बापू ने कहा कि यहां कुंभ में इतने महापुरुषों की चरण रज पड़ी है तो जब जाओ तब त्रिवेणी के पानी के साथ थोड़ी धूल मिट्टी भी लेते जाना।।

यहां उत्तर प्रदेश की पूरी कैबिनेट और विशिष्ट महानुभाव विशिष्ट दिन पर आते हैं। संविधान दिन, तिरंगा दिन यात्रा और बेटी दिन के लिए 3 दिन के लिए कानून मंत्री न्याय और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और उद्योग मंत्री भी आए। व्यास वंदना की और उन्होंने अपना भाव भी प्रकट किया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read