*कथा क्रमांक-९४० दिन-१*
*स्थान-युनाइटेड नेशन्स-युनो हेडक्वार्टर,*
*न्यूयोर्क-अमरीका*
*दिनांक-२७ जूलाइ*
*संयुक्त राष्ट्र महामथक(यूएनओ)के मंच से गूंजी मानस की चौपाईयॉं।।*
*बापू की चौपाइयों बापू के मुख से एआई के माध्यम से पूरी दुनिया में इंग्लिश में प्रसारित की गई।।*
*विश्व बंधुत्व की भावना को लेकर त्रिभुवनीय ग्रंथ से विश्व शांति,सत्य प्रेम और करुणा के वाहक मोरारि बापू ने रामकथा का आरंभ किया।।*
*”युद्ध से निकलकर बुद्ध तक जाएंगे तो शुद्ध बनने में देर नहीं।।”*
*”यह हिस्टोरिकल नहीं स्पिरिचुअल कथा है।।”*
*”इतिहास कभी मिट जाए,अध्यात्म कभी मिटता नहीं।”*
*”इतिहास पुरातन है अध्यात्म सनातन है।।”*
*”मान्यता मिले उसका कोई मूल्य नहीं,धन्यता मिलनी चाहिए।।”*
*”जहां-जहां युद्ध चल रहे हैं,मुझे सरहद पर मंजूरी मिले तो पोथी लेकर जाना है।”*
*अखिल बिश्व यह मोर उपाया।*
*सब पर मोहि बराबरि दाया।।*
*उत्तरकॉंड दोहा-८७*
*सब मम प्रिय सब मम उपजाए।*
*सबते अधिक मनुज मोहि भाए।।*
*-उत्तरकॉंड दोहा-८६*
समस्त जगत,धर्म जगत और विशेषत: भारतीय कथा जगत के लिए अविस्मरणीय पल आया जब बापू ने यूनाइटेड नेशंस के हेडक्वार्टर से कथा गान शुरू किया।
राम कथा आरंभ से पहले मनोरथी सभी परिवार रमाबहन परिवार द्वारा स्वागत और बाद में यूनाइटेड नेशन्स की ऑफिस के मिस्टर ली हेडन और पूरी टीम को और युगांडा मिशन सभी के प्रति आभार दर्शन हुआ।।
बताया गया कि यह किसी भी तरह शक्य नहीं था केवल, केवल बापू की कृपा से ही यह शक्य बना है। बीज पंक्ति के गान के बाद बापू ने कहा कि:”पोथीना परतापे क्यां क्यां पबोंच्या!”कहां-कहां पहुंचे! विश्व संस्था यूनो की इस बिल्डिंग में, इस भाग में परमात्मा की कृपा से रामकथा का नव दिन का अनुष्ठान करने का अवसर मिला यह केवल,केवल,केवल परम की कृपा का परिणाम है। बापू ने कहा कि स्मरण है सालों पहले शुरू शुरू में अमेरिका यात्रा पर आया। स्वाभाविक मन में मनोरथ उठा था कि यूनो की बिल्डिंग में माला घूमाते एक परिक्रमा करुं और इजाजत मिली थी। हरिनाम जपते हुए एक परिक्रमा की थी। फिर रशिया गए वहां भी एक शिवप्रेरित विचार आया: क्रेमलिन की परिक्रमा करुं, वह भी परमात्मा ने करवाई।फिर वाशिंगटन में चंद्रकांत भाई पटेल थे, वहां व्हाइट हाउस की परिक्रमा की इच्छा, वह भी मंजूरी मिली।।
लेकिन यहां जो परिक्रमा की तब कोई विचार नहीं था। दुनिया भर के नेता मिलकर चर्चा करते हैं। बापू ने कहा कि यहां प्रधान चार सूत्र और विस्तार करें तो १७ सूत्र है।।मुझे मालूम नहीं था कि यहां आएंगे। लेकिन कथा को मालूम था कि मुझे यहां आना है! मेरे सभी फ्लावर, भारतवर्ष और देश के अध्यात्म जगत के आशीर्वाद लेकर आज यहां उपस्थित है।। यह कथा कोई विक्रम स्थापित करने के लिए नहीं। कोई विशेष लक्ष्य नहीं। कोई रिकॉर्ड बनाने के या कोई रिकॉर्ड बुक में नाम दर्जित करने के लिए नहीं है।। क्योंकि सबसे बड़ी कथा कैलाश में हुई, मानसरोवर में हुई,राक्षस ताल में हुई,भूसुंडी सरोवर में हुई और द्वादश ज्योतिर्लिंग में हुई।। यह हिस्टोरिकल नहीं स्पिरिचुअल कथा है।।
बापू ने कहा इतिहास कभी मिट जाए,अध्यात्म कभी मिटता नहीं। इतिहास पुरातन है अध्यात्म सनातन है।। इसलिए हेतु यह नहीं है और मेरी यात्रा किनारे तक जाने पर है तब झूठी नम्रता भी नहीं दिखाऊंगा।।
यहां मनोरथी आशीष ने कहा था यूएनओ में कथा हो सकती है? मैंने कहा कि स्वयं कथा चाहे तो क्या नहीं हो सकता! संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और पूरी टीम को बापू ने धन्यवाद और विनय नमन किया।।बापु ने कहा कि विमान के पायलट कहते हैं टेइल विंड होती है तो विमान जल्दी पहुंचता है। हमारे पीछे पवन तनय सिरूनावा- उसी की यह कृपा है यह अस्तित्व की कृपा है।।
बापू ने कहा मेरा बस चले तो यूनो की बिल्डिंग पर प्रेम देवो भव लिखवा दूं(और यह लिखवा भी दिया!)
मान्यता मिले उसका कोई मूल्य नहीं,धन्यता मिलनी चाहिए।। क्योंकि मान्यता दो कौड़ी की है दो मिनट में लोग छीन लेंगे।। त्रिभुवन कृपा के कारण त्रिभुवानिय ग्रंथ लेकर आए हैं।। दो दिन से इंटरव्यू चल रहे हैं। बहुत पूछ रहे हैं कि आपका इरादा क्या है?
बापू ने कहा कि यदि कोई मंजूरी दे तो जहां-जहां युद्ध चल रहे हैं,मुझे सरहद पर मंजूरी मिले तो पोथी लेकर जाना है। एक बार मरना तो है, वहां मरेंगे। वह दोनों ओर से शस्त्र फेकें मैं शास्त्र रखूं।। जहां जरूरत है वहां जाना है।।
बापू ने कहा कि यूएनओ के बंधारण के चार मुख्य सूत्र है: दुनिया में शांति की स्थापना हो। रामचरितमानस ने वैश्विक शांति का संदेश हजारों वर्ष से दिया है। दूसरा है जहां से सत्य मिले स्वीकार करें।दुनिया में भूख ना रहे, बीमारी ना रहे और निरक्षरता ना रहे।। यह हेतु है। हम कितने सफल हुए वह मूल्यांकन समय पर होना चाहिए। तीसरा हेतु है परस्पर मैत्री हो। राष्ट्र और राष्ट्र के बीच में।। हमारे राम राज्य में गरीबी निरक्षरता और बीमारी नहीं थी यह वर्णन तुलसी जी ने किया है।। किसी की स्वतंत्रता और अधिकार छीना ना जाए और फिर १७ पेटा सिद्धांत भी बनाए हैं।। वह सभी प्रमाण के साथ हम बातें करेंगे।। यूनो का बंधारण बना वह भारत के ऋषियों ने हजारों साल पहले बनाया हुआ है।। वेद में शब्द है विश्व निडम- पूरा विश्व एक आशियाना है, घोंसला है,नीड है।
पंखियों का मेला है।विषय चुनने में बहुत शब्द आए और फिर आज लगता है कि यह कथा का विषय मानस वसुधैव कुटुंबकम् है।। वह हमारे ऋषि मुनियों का उद्घोष था।।
बापू ने कहा कि पांच कृपा काम कर गई: शिव ने रचना की-शिवकृपा। हनुमान जी गायक और श्रोता बने।स्वयं मानस ने कृपा की। त्रिभुवन कृपा और पूरे अस्तित्व की कृपा मैं कभी व्योम वाटिका के फ्लावर कभी व्यास वाटिका के फूल कहता हूं। यह संस्था अपने ढंग से शांति का संदेश देती है। तो कबूतर भी शांति का वाहक है,शांति का विस्तार कर देंगे।।
बापू ने कहा कि चार उद्देश्य और पांच मुझे डालने हैं पांचवा उद्देश्य है:विश्व में संवाद हो। हर बात पर विवाद क्यों? छठा है: सबका स्वीकार हो।।यात आॉंठ और नवजो आप सब जानते हैं: सत्य, प्रेम और करुणा का स्थापन हो।।
यह दोनों पंक्तियां उत्तर कांड से हमने ली है। बापू ने कहा कि बडा वह है जो समय पर पीछे जाना सीखे यहां राम कहते हैं कि अखिल विश्व मैंने निर्मित किया है सब पर बराबर मेरी दया है और दया के साथ प्रेम भी करता है। सब में अधिक मनुष्य मुझे प्रिय है।मनुष्य केंद्र में है इसीलिए ब्रह्मत्व को छोड़कर राम मनुष्य रूप धारण करते हैं।।
फिर बापू ने कथा माहात्म्यमें मंगलाचरण और वंदना प्रकरण में कहा कि तुलसी जी ने गणपति वंदना से हटकर शांति में क्रांति लाकर मातृ वंदना का आरंभ किया।। पहले ही मंत्र में विश्व मंगल की कामना की है।।सिद्धि प्राप्त होगी लेकिन मुझे शुद्धि की सिद्धि देना। सिद्धि का कोई अंत नहीं लेकिन हमें अनंत शुद्ध चाहिए।।
बापू ने यह भी कहा कि युद्ध से निकलकर बुद्ध तक जाएंगे तो शुद्ध बनने में देर नहीं।।
और गुरु वंदना प्रकरण में बहुत गहराई में जाकर एक-एक शब्द को खोलकर बापू ने वंदना प्रकरण समझाया और फिर सभी को वंदन करते हुए हनुमंत वंदना तक आज की कथा को विराम दिया गया