मानस वसुधैव कुटुम्बकम।। दिन-५ दिनांक-३१ जूलाइ
पूरी दुनिया अवध हो जाए तो घर-घर में राम प्रकट होंगे।।
विश्व संस्था जो करना चाहती है वही बात ऋग्वेद के दसवें मंडल में १९१ का सूक्त में है।।
विश्वशांति के लिये पूरी दुनिया को एक ही सूर में गाना होगा: मिले सुर मेरा तुम्हारा….
क्रोध जहर है। क्षमा अमृत है।।
कठोरता जहर है। सरलता अमृत है।।
शाप जहर है दया अमृत है।
असंतोष जहर है संतोष अमृत है।।
संयुक्त राष्ट्र महामथक-युनो से चल रही रामकथा के पांचवें दिन शुरू में एक प्रश्न पूछा गया यह कथा चल रही है उसमें सबसे ज्यादा खुशी किसे मिली होगी? बापू ने कहा वैसे तो सब खुश है।जिसके भाग्य में खुशी ना लिखी हो वह नाखुश है तो क्या कर सकते हैं! लेकिन १० साल पहले(स्व.)नगीनदास संघवी और हम बैठे थे और उसने कहा कि आप कई बार कह चुके हैं युनो भवन की अपने परिक्रमा की।युनो भवन में कथा नहीं हो सकती? मैंने कहा कथा मुझे कहां ले जाए कोई पता नहीं। वह बात ऐसे ही छोड़ दी थी।।शायद सबसे ज्यादा खुशी नगीन दास बापा की चेतना को होगी।। हम पूर्व जन्म और पुन: जन्म में मानते हैं।। नगीन बापा मोक्षवादी नहीं होंगे। नरसिंह मेहता वादी होंगे!
बापू ने ऋग्वेद में सामंजस्य सूक्त आया। पांच ही श्लोक है। पूरी दुनिया में समानता कैसे आए वह सूक्त कहता है।। युनो के जो कार्यक्रम है वहां यह सूक्त उपयोगी होगा।। बापू ने कहा कि युनो के १७ सूत्र है और इसे पहले १६ सूत्रों की कथा मैं कहीं ना कहीं गाई है, और यह १७ वीं कथा है,यह भी एक योग है!!
विश्व में सबसे श्रेष्ठ श्रोता कौन? परीक्षित है।।
राम अयोध्या में क्यों प्रगटे? जहां युद्ध नहीं है- अवध जहां किसी का वध नहीं होता वहीं राम प्रकट होंगे।। पूरी दुनिया अवध हो जाए तो घर-घर में राम प्रकट होंगे।। ऋग्वेद के मंत्र में चार प्रकार की बानी बताइ वह मंत्र भी बापू ने गाकर बताया।।
बापु ने कहा कि विश्व शांति के लिए जगत में पांच अमृत और तीन विष है।। उसे छूना चाहिए।
यज्ञ के पांच अंग:मंत्र, द्रव्य, विधि, सद्भाव और विवेक है।।
इस कथा का मंत्र जो हमने पंक्ति उठाई है। द्रव्य यह है कथा सुनाते वक्त वक्ता श्रोता के आंख में आंसू आ जाए। विश्वास ही विधि है और सद्भाव का भाव होना चाहिए।।
बापू ने कहा विश्व संस्था जो करना चाहती है वही बात ऋग्वेद के दसवें मंडल में १९१ का सूक्त में है।। जिसे सामन्जस्य सूत्र बोलते हैं। जहां लिखा है संगगच्छध्वम संवदध्वं…
बापु ने यह भी कहा कि पूरी दुनिया को एक ही सूर में गाना होगा: मिले सुर मेरा तुम्हारा….
तीन प्रकार के जहर:विषम परिस्थिति,भेद और विषय।। अष्टावक्र ने जनक से कहा इसका त्याग करो। और पांच अमृत:क्षमा,आर्जव(विनम्रता),तोष (संतोष),दया और सत्य यह पांच अमृत का सेवन करो।।
क्रोध जहर है। क्षमा अमृत है।। कठोरता जहर है। सरलता अमृत है।।शाप जहर है दया अमृत है। असंतोष जहर है संतोष अमृत है।।
कथा प्रवाह में सती शिव से राम क्या है और क्यों अवतार लेते है वो पूछा।।परमात्मा निराकार से साकार कब बनता है इसके इदमित्थ कारण नहिं फिर भी पांच कारण भी है,वो बताये।।शब्द,स्पर्श,रूप,रस और गंध कैसे रावणत्व और राम प्रागट्य के कारण बन सकते है वो बताया।।