गुजरात, अहमदाबाद 07 जनवरी 2025: भारत के ग्रामीण परिदृश्य के मध्य जहां परम्परा और धैर्य का संयोजन देखने को मिलता है, वहां एक मौन क्रान्ति चल रही है। प्रोजेक्ट आरोहन सशक्तिकरण की किरण है, जो स्थानीय प्रतिभाओं को निखार कर और समुदायों को सीमाओं से परे सपने देखने के लिए सक्षम बनाकर उनके जीवन में परिवर्तन ला रहा है। है। यह परियोजना टाटा पावर के समर्थन से संचालित हो रही है और इसे भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (EDII), अहमदाबाद द्वारा लागू किया जा रहा है। इस परियोजना को कच्छ के मुंद्रा और मांडवी ब्लॉक के पिछड़े क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट आरोहन का दृष्टिकोण समग्र है, जो कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव को भी जोड़ता है। उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रमों (EAPs) ने 275 व्यक्तियों को जागरूक बनाकर उनमें उद्यमशीलता की सोच विकसित की है। इस बीच, 196 लाभार्थियों ने माइक्रो-स्किलप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (MSDPs) के माध्यम से उन्नत मछली पकड़ने की तकनीकों, मूल्य वर्धित उत्पादों और हस्तशिल्प में अपने कौशल को बढ़ाया है।
परियोजना की अनूठी कार्यप्रणाली में औद्योगिक मुलाकात, नेटवर्किंग के अवसर और व्यवहारिक प्रशिक्षण शामिल है। यह परियोजना उत्पाद निर्माण, स्थायी अभ्यास और बाजार सहभागिता पर जोर देते हुए मुंबई, दिल्ली और अहमदाबाद जैसे शहरों में प्रदर्शनियों के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देती है। हरित प्रथाओं और स्थानीय संसाधनों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए यह परियोजना सुनिश्चित करती कि उद्यम स्थायी बनें और साथ ही ‘वोकल फॉर लोकल’ सिद्धान्त का अनुपालन भी करें।
“प्रोजेक्ट आरोहन केवल एक पहल नहीं है; यह एक ऐसा आंदोलन है जो आशा की किरण देता है। टाटा पावर ने कौशल विकास और उद्यम निर्माण के ज्ञान के संयोजन के साथ कारीगरों, किसानों और मछुआरों को अपनी क्षमता प्रदर्शित करने के लिए मंच प्रदान किया है। यह परियोजना का मूल आत्मनिर्भर भारत के मूल्यो के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है, जो हर पहलू में आत्मनिर्भरता और स्थिरता को बढ़ावा देता है,” – डॉ. रमन गुजराल, प्रोफेसर एवं डायरेक्टर- डिपार्टमेन्ट ऑफ प्रोजेक्ट्स – कॉर्पोरेट, ईडीआईआई ने कहा।
मोती खाखर गाँव की प्रथम पीढ़ी की उद्यमी हीराबेन देवाधभाई गढवी दृढ़ संकल्प और मेहनत का प्रतीक हैं। प्रोजेक्ट आरोहन की मदद से, उन्होंने शिवाय हैंडवर्क की स्थापना की, जो 16 महिलाओं को रोजगार प्रदान करता है। एमएसडीपी (MSDP) ने हीराबेन को उनके ब्रांड को विकसित करने में मदद की और उन्हें आवश्यक मार्केटिंग के कौशल से भी सज्ज किया, ताकि वह अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित कर सकें।
मुंबई में उनकी पहली प्रदर्शनी उनके लिए सिर्फ एक उपलब्धि नहीं थी, बल्कि उनके सफर का उत्सव था—एक ऐसा क्षण जब उनके हस्तनिर्मित प्रोडक्ट्स को उनके गाँव से दूर प्रशंसा मिली। हीराबेन के अनुसार, शिवाय हैंडवर्क सिर्फ एक कंपनी नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि सही संसाधन और प्रोत्साहन के साथ महिलाएँ कुछ भी हासिल कर सकती हैं।
प्रोजेक्ट आरोहन के तहत, 190 से अधिक महिला कारीगर नई ऊँचाइयों को छू रही हैं, जिन्हें अपने व्यवसायों को बढाने और अपनी कलाओं को निखारने के लिए समर्थन दिया जा रहा है। छह नए सामुदायिक नेतृत्व के उद्यम स्थापित किए गए हैं, और विशेषज्ञ मार्गदर्शन में पाँच आधुनिक हस्तनिर्मित उत्पाद विकसित किए गए हैं, जो गुणवत्ता और नवीनता के प्रति परियोजना की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
यह परिवर्तन अस्थायी नहीं है—यह दीर्घकालिक सफलता के लिए तैयार किया गया है। एक कॉमन फेसिलिटी सेन्टर की योजना बनाई जा रही है, जो इन उद्यमों को निरंतर मार्गदर्शन प्रदान करेगा, जिससे वे प्रतिस्पर्धी बाजारों में सफलता प्राप्त कर सकें।
प्रोजेक्ट आरोहन लगातार लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है और यह इस बात का उदाहरण है कि जब समुदायों को अवसर मिलता है, तो वह कुछ भी हासिल कर सकते है—यह न केवल व्यक्तियों को सशक्त बनाता है, बल्कि एक ऐसा प्रभाव उत्पन्न करता है जो पूरे परिवारों, समुदायों, उद्योगों और अर्थव्यवस्थाओं को ऊंचा उठाता है। यह परियोजना आशा, और संभावनाओं का एक आंदोलन है, जो एक ऐसे भविष्य का निर्माण करने की दिशा में काम कर रहा है, जहां हर सपने को सच होने का मौका मिलेंगा।