गुजरात, अहमदाबाद 09 जनवरी 2025: पुणे, रायगढ़ और रत्नागिरी ज़िलों में उल्लेखनीय बदलाव हो रहा हैं। भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान के नेतृत्व में टाटा कम्युनिकेशन्स लिमिटेड द्वारा समर्थित प्रोजेक्ट उदया समाज के हाशिए पर रहने वाली महिलाओं, दिव्यागों और समाज के कमज़ोर वर्गों को स्वतन्त्र उद्यमी बनने के लिए ज़रूरी सहयोग प्रदान कर रहा रहा है।
प्रोजेक्ट उदया की शुरूआत एक बुनियादी सिद्धान्त के साथ की गई थी। उद्यमिता कोई विशेषाधिकार नहीं बल्कि मौलिक अधिकार है। सशक्तीकरण का दायरा प्रशिक्षण से बढ़कर है- इसी सोच के साथ पेश किया गया यह प्रोजेक्ट व्यक्तिगत क्षमता को बढ़ावा देते हुए चुनौतियों को हल करता है।
इस यात्रा की शुरूआत एंटरेप्रेन्योरशिप अवेयरनैस कैम्प के साथ होती है- एक दिवसीय अनुभव जो केवल जानकारी प्रदान नहीं करते,बल्कि प्रेरित भी करते हैं। ये कैम्प युवाओं के सपनों को जाग्रत करने के हेतु से डिजाइन किया गया हैं। प्रतिभागियों को कारोबार के अवसरों, सरकार की समर्थन योजनाओं के बारे में जानकारी देकर प्रोजेक्ट उदया उनके लिए संभावनाओं के मार्ग प्रशस्त करता हैं। शुरुआत से लेकर अब तक, इन शिविरों ने 5,915 महिलाओं और दिव्यांगों तक पहुंच बनाई है, हर सत्र मौजूदा सीमाओं को दूर कर संभावनाओं का विस्तार करता है।, जिससे पुणे, रायगढ़ और रत्नागिरी जिलों में 10,000 से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित कर चुके हैं।
इस बुनियाद पर निर्माण प्रोजेक्ट उदया प्रतिभागियों को महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रमों (WEDPs) के साथ जोड़ता है —विशिष्ट प्रशिक्षण सत्र जो उद्यमिता की आकांक्षाओं को व्यावहारिक कौशल में बदलने के लिए तैयार किए गए हैं। डब्ल्यूईडीपी के तहत 1,400 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उन्हें व्यापारिक माहौल को समझने, अवसरों का मूल्यांकन करने और सफल उद्यम स्थापित करने का ज्ञान प्राप्त हुआ है। ये कार्यक्रम व्यावहारिक शिक्षा पर जोर देते हैं, अवसर की पहचान, वित्तीय प्रबंधन, मार्केटिंग की रणनीतियों और उद्यमिता से जुडे क्षेत्रों को कवर करता है।
प्रोजेक्ट उदया के प्रभाव को सही मायने में समझने के लिए, हमें आंकड़ों से परे जाकर व्यक्तिगत कहानियों पर ध्यान देना होगा। तो आइए बात करते हैं, उमा—हाई स्कूल स्नातक, जिनके उद्यमिता के सपनों को बार-बार बाधाओं का सामना करना पड़ा।
जब उमा ने रायगढ़ के करंजड़े में महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रम (WEDP) में शामिल हुई, तो यह उनके लिए सिर्फ एक प्रशिक्षण सत्र ही नहीं था। वह एक ऐसे परिवर्तनकारी स्थान में कदम रख रही थीं, जिसने उनके सपनों को सक्रिय योजनाओं में बदल कर रख दिया।
उचित मार्गदर्शन और व्यवहारिक प्रशिक्षण के साथ, उमा ने सिर्फ कौशल ही नहीं पाया—उन्होंने आत्मविश्वास भी हासिल किया। उनका उद्यम ‘न्युटिलॉक प्रीमिक्स’ जो डीहाइड्रेटेड सब्ज़ियों और फलों के प्रोडक्ट्स में काम करता है। 13 लाख
रुपये के शुरूआती निवेश के बाद वह 50,000 रुपये मासिक आय कमा लेती हैं, और भविष्य में विस्तार की योजनाएं बना रही है।
उमा की कहानी अद्वितीय नहीं है, बल्कि प्रतीकात्मक है—यह प्रोजेक्ट उदया के सिद्धांत का प्रमाण है कि सही समर्थन के साथ, कोई भी सपना हासिल किया जा सकता है।
प्रोजेक्ट उदया की खासियत इसके व्यापक दृष्टिकोण में निहित है। प्रशिक्षण तो मात्र एक शुरूआत है। यह परियोजना प्रतिभागियों को ज़रूरी सहयोग उपलब्ध कराती है, जिसमें शामिल हैः मेंटरशिप प्रोग्राम, सरकारी वित्तिय योजनाओ का एक्सेस (पीएमईजीपी और सीएमईजीपी), B2B वर्कशोप के अवसर, प्रदर्शनी प्लेटफॉर्म जैसे ‘स्वयंसिद्ध’।
रायगढ़ में स्वयंसिद्ध प्रदर्शनी इसी दृष्टिकोण पर आधारित है। इस प्रदर्शनी में 96 महिला उद्यमियों के उत्पादों को दर्शाया गया, 100,000 से अधिक विजिटर पहुंचे और हर प्रतिभागी ने औसतन रु 20,500 की आय उपार्जित की।
परियोजना की उपलब्धियों में शामिल हैं: 600 से अधिक लघु उद्यम स्थापित किए गए, जिन्होंने आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया; 800 से अधिक नौकरियां उत्पन्न हुईं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिला; 86 फीसदी लाभार्थियों के जीवनस्तर में सुधार आया, जो परियोजना के बदलावकारी परिणाम को दर्शाता है; उद्यमियों की औसत मासिक आय रु. 10,000 से अधिक पहुंच गई और प्रति युनिट औसत निवेश रु 1 लाख को पार कर गया; 100 से अधिक सदस्य जो पहले नहीं कमाते थे, वे आज परिवार की आय में योगदान दे रहे हैं। अफरमेटिव एक्शन कम्युनिटीज़ (एससी/एसटी महिलाओं) से तकरीबन 70 फीसदी लाभार्थियों की आर्थिक समस्याएं हल हुई हैं।
अंबेसडर प्रोग्राम आधुनिक गुणात्मक रणनीति को दर्शाता है। 65 महिला उद्यमियों को आधुनिक प्रशिक्षण प्रदान करके, प्रोजेक्ट उदया ने एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया है, जो अपने समुदायों में 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रेरित करने और संगठित करने में सक्षम है।
प्रोजेक्ट उदया अपने तीसरे चरण में प्रवेश कर रहा है, यह पहल अन्य प्राथमिकताओं के साथ विस्तारित हो रही हैः जिसमे भौगोलिक विस्तारः असम और मेघालय के उत्तर-पूर्वी राज्य, ग्रामीण इन्क्युबेशन सेंटर जो महाराष्ट्र और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हरित उद्यमों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, प्रोजेक्ट उदया के लाभार्थियों के लिए समर्पित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, दिव्यांगों के समावेशन पर ज़्यादा फोकस शामिल है।
प्रोजेक्ट उदया विकास के पाम्परिक मॉडलों से परे है। यह आर्थिक स्वतन्त्रता के माध्यम से सामाजिक स्तर पर समानता को प्रोत्साहित करता है। उद्यमियों का निर्माण कर यह परियोजना सामाजिक संरचना में नया बदलाव ला रही है।
यह एक ऐसा आंदोलन है, जहां हाशिए पर मौजूद लोगों की समस्याएं को अवसरों में बदल देता हैं, और व्यक्तिगत क्षमता सामुहिक प्रगति के रूप में उभरती है।