Homeगुजरातप्राचिन एवं ऐतिहासिक स्पेन की मार्वेलस नगरी मार्बेला की रामकथा का समापन...

प्राचिन एवं ऐतिहासिक स्पेन की मार्वेलस नगरी मार्बेला की रामकथा का समापन हुआ।।

अगली-९४४वीं रामकथा नवरात्र के पावन दिनों में ५ अक्टूबर से महाबलेश्वर(कर्णाटक) की भूमि से प्रवाहित होगी।।

सत्वगुन बांधता है,गुणातित हमें मुक्त रखता है।।

“आज की युवा पीढी में दंभ नहीं है,जिनके लिए में लगातार घूम रहा हूं”

भगवान राम दो जगह अतिथि के रूप में गये

अतिथि के रूप में विदेह नगर-जनकपुर में और देह नगर-लंका में गए।।

गुणातित का यह लक्षण है:वहदेहनगर में और विदेहनगर में भी बिना निमंत्रण जाता है।।

इष्ट की स्मृति के चार आधार:नाम,रूप,लीला और धाम है।।

 

करी नृप क्रिया संग पुरबासी।

भरत गये जंह प्रभु सुखरासी।।

उत्तरकॉंड दोहा-६५

पुनि प्रभु गीध क्रिया जिमिकिन्हि।

बधि कबंध सबरिही गति दिन्हि।।

-उत्तरकॉंड दोहा-६६

इन्ही बीज पंक्तियों पर घूमती रामकथा के आज आखीरी विराम के दिन पर उपसंहारक संवाद करते हूएबापु ने कहा इन दिनों में पांच स्मृति को श्रद्धा से श्राद्ध कर रहे हैं।।कल हमने अतिथि का सूत्र उठाया था।। मन का अतिथि,नयन का अतिथि और भवन का अतिथि।।

बापू ने कहा कुछ अतिथि सत्व गुनी होते हैं।। सत्यगुण संपन्न हमारे यहां आए वह अच्छा लगता है और ऐसा होता है कि कभी यहां से न जाए। क्योंकि वह जाते हैं तो कसक,पीड़ा, विरह,झूरापा देकर जाते हैं।।सत्व गुण के अपने लक्षण होते हैं। कुछ अतिथि रजोगुणी होते हैं।उन्हें व्यवस्था बहुत चाहिए कुछ मांग रहती है। वह ज्यादा रुके नहीं ऐसी इच्छा हमें होती है।। तीसरा तमोगुणी अतिथि बोलने,उठने, बैठने,बात करने का विवेक नहीं।।लोग प्रार्थना करते हैं कि हमारे यहां ना आए वही अच्छा है।। गीताकर कहते हैं गूनगून में यह घूम रहे हैं।।भगवान से प्रार्थना करना कि तीनों गुना से मुक्त कोई गुणातित  साधु मिल जाए।। क्योंकि सत्वगुन बांधता है।। गुणातित हमें मुक्त रखता है।।

भागवत में बलि राजा ने यज्ञ किया तब वामन आए वामन को गुणातित अतिथि कहा है।। कम से कम दोष हो और दंभ बिल्कुल ना हो ऐसा अतिथि हमें चाहिए।।

बापू ने आज यहां कथा की छह मनोरती बहन और एक भाई सातों युवा के प्रति अपना प्रसन्नता का भाव रखते हुए कहा कि आज की युवा पीढी में दंभ नहीं है,जिनके लिए में लगातार घूम रहा हूं।। मंथरा रजोगुणी अतिथि है। रजोगुणी कभी बैठता नहीं तमोगुणी कभी उठता नहीं।। गुणातित अतिथि के रूप में राम भी है।।भगवान राम गुणातित भी है। सब गुण से संपन्न भी है।।गुन का सागर और आगार भी है और एक भी गुण नहीं,गुण से मुक्त भी है।। भगवान राम दो जगह अतिथि के रूप में गए।अतिथि के रूप में विदेह नगर जनकपुर में और देह नगर लंका में गए।।गुणातित का यह लक्षण है वह देहनगर में और विदेहनगर में भी बिना निमंत्रण जाता है।।

गुणातित शब्द सबको नहीं लगता।। कृष्ण गुणातित है।। सांदीपनि कहते हैं मेरे दो शिष्य कृष्ण और सुदामा दोनों गुणातित है।।

आज पांचवा स्मृति का श्राद्ध। ईष्ट के प्रति याद करते हुए।। इष्ट देवोभव: राम हो, कृष्ण हो। जो भी हो।।जिसमें आपका सहज अंत:करण झुक जाए।। बापू ने कहा आग्रह ही नहीं तो हठाग्रह तो मेरा होगा ही नहीं।। आपके जो भी इश्टहै।निराकार भी है, साकार भी है, शरीरधारी भी है,शरीर के बगैर भी है सगुन भी है,निर्गुण भी है।। इश्ट के प्रति स्मृति के लिए चार आधार हमें सगुन में स्मृति लेता है: नाम, रूप,लीला और धाम।।

नाम-नाम से हमें स्मृति आती है। रूप यादों में ध्यान में रूप आता है। लीला- उनके लीला कथा चरित्र का गान,श्रवण हमें स्मृति दिलाता है।। धाम- प्रभु का धाम जहां रहने से स्मृति ताजी होती है।।

फिर कथा प्रवाह में गरुड़ और कागभुशुंडी जी का संवाद विराम की ओर चला।। गरुड़ ने सात प्रश्न पूछे एक-एक प्रश्न एक-एक कांड का प्रतिनिधित्व करते हैं। और गरुड़ पंख फुलाकर वेकुंठ गये।। शिव पार्वती का संवाद भी रुका।। तुलसी ने विराम देते हुए राम कथा का निचोड़ रखा:

यही कली काल न साधन दूजा।

जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा।

राम ही सुमिरिअगाइअरामहि।

संतत सुनिअरामगुनग्रामहि।।

यही सत्य,प्रेम और करुणा है।। यही सार है राम कथा का।।

बापू ने विराम देते हुए कहा की सात सोपान से हमें क्या सीखना है? यह हम सबको संबल की तरह देते हैं।।

बालकांड से निर्दंभता-बिल्कुल दंभ नहीं। दोष हो तो चलेगा दंभ नहीं होना चाहिए।।

अयोध्या कांड से सम्यक्ता। सुख भोगे लेकिन कुछ सीमा रखें।।अरण्यकांड से साधु संग।कंपनी अच्छी रखें।। किष्किंधा कांड से मैत्री। सबसे फ्रेंडशिप रखें सुंदरकांड से संसार की बहुत खराबी में से भी अच्छाई को पकड़ना।।

लंका कांड में निर्वाण और निर्माण के लिए युद्ध की तरह खूब काम करें और उत्तर कांड में धीरे-धीरे विश्राम की और गति करें यही सीखना है।।

कथा का सुफल विश्व की सभी माता,सभी पिता अपने अपने अतिथि,गुरु और अपने इश्ट को और इस भूमि में हुए महानुभाव को समर्पित किया गया

अगली,क्रम में ९४४वीं रामकथा नवरात्र के पवित्र पावन दिनों में महाबलेश्वर मंदिर के सांनिध्य में गोकर्ण,कर्णाटक से ५ अक्टूबर से १३ अक्टूबर के दिनों में प्रवाहित हो रही है।।

ये रामकथा का जीवंत प्रसारण नियत समय पहले दिन शनिवार दोपहर ४ बजे से और बाकी के दिनों में सुबह १० बजे-नियमित समय पर आस्था टीवी चेनल तथा चित्रकूटधामतलगाजरडायु-ट्युबचेनल एवं संगीतनी दुनिया परिवार यु-ट्युब के माध्यम से होगाा।।

अन्य देशों में भी आस्था टीवी और नियत टीवी चेनल एवं संगीतनी दुनिया यु-ट्युबचेनल के माध्यम से समय तफावत से देखा जा सकता है।।

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