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2024-25 में रियल एस्टेट और ऑफशोर बेटिंग के विज्ञापनों की भरमार रही : एएससीआई की अर्ध-वार्षिक शिकायत रिपोर्ट से खुलासा

  • प्रमुख सरकारी साझेदारियों के कारण प्रभाव बढ़ा
  • शिकायत समाधान का औसत समय 30 से घटकर 18 दिन हुआ
  • अग्रसक्रिय निगरानी के कारण 90% मामलों का निपटारा
  • एएससीआई ने 4.016 शिकायतों और 3,031 विज्ञापनों की जाँच की
  • विज्ञापनदाताओं ने 53% गैर-अनुपालक विज्ञापनों को विरोध किए बिना वापस लिया 

मुंबई 26 नवंबर 2024: ऐड्वर्टाइज़िंग स्टैंडर्ड्स कौंसिल ऑफ़ इंडिया (एएससीआई) ने अपनी अर्ध-वार्षिक शिकायत रिपोर्ट 2024-25 जारी की है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि रियल एस्टेट और ऑफशोर बेटिंग के क्षेत्र में भ्रामक और अवैध विज्ञापनों की महत्वपूर्ण मौजूदगी है।

एएससीआई ने अप्रैल और सितंबर 2024 के बीच 4016 शिकायतों की समीक्षा और 3031 विज्ञापनों की जाँच की। इन समीक्षित विज्ञापनों में से 98% विज्ञापनों में कुछ संशोधन की आवश्यकता पाई गई। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर एएससीआई की निरंतर निगरानी में कुल विज्ञापनों के 93%, यानी 2830 विज्ञापनों पर कार्रवाई की गई।

जिन विज्ञापनों की जाँच की गई, उनमें से 2087 विज्ञापनों में कानून का उल्लंघन पाया गया, जिनमें से 1027 विज्ञापनों के बारे में एएससीआई और महारेरा के संपन्न समझौता ज्ञापन के तहत महाराष्ट्र रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (महारेरा) को रिपोर्ट किया गया। अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले 890 विज्ञापनों की जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) को दी गई। वहीं, 156 विज्ञापनों को ड्रग्‍स एंड मैजिक रेमेडीज (डीएमआर) एक्‍ट के उल्लंघन के कारण आयुष मंत्रालय को भेजा गया, शराब को सीधे बढ़ावा देने वाले 10 विज्ञापनों और डीपफेक से संबंधित चार अन्य विज्ञापनों को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास भेजा गया।

औपचारिक रूप से जाँचे गए मामलों में बाकी बचे 944 विज्ञापनों में से 53% पर विज्ञापनकर्ताओं द्वारा ईएससीआई से शिकायत की सूचना मिलने पद कोई प्रतिवाद नहीं किया गया।

संहिता के सबसे अधिक उल्लंघन वाले शीर्ष के पाँच वर्ग रियल्टी (34%), अवैध सट्टेबाजी (29%), स्वास्थ्य देखभाल (8%), निजी देखभाल (7%) और खाद्य एवं पेय (6%) हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रियल एस्टेट सबसे अधिक उल्लंघन करने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा और जाँच किए गए मामलों में से 34% मामले इसी क्षेत्र के थे।
    • रियल एस्टेट के 2115विज्ञापनों की समीक्षा की गई, जिनमें से 1027 को महारेरा अधिनियम के संभावित उल्लंघन के लिए प्रोसेस किया गया।
    • प्रोसेस किए गए 99% विज्ञापनों में महारेरा अधिनियम का उल्लंघन पाया गया। पहले की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एएससीआई द्वारा चिन्हित विज्ञापनों के परिणामस्वरूप महारेरा द्वारा 628 डेवलपर्स पर कुल ₹9 लाख का जुर्माना लगाया गया।
    • महारेरा के साथ एएससीआई की साझेदारी से रियल एस्टेट विज्ञापन पर प्रभाव उत्पन्न हो रहा है, जो स्व-नियामक और नियामक के संयुक्त प्रयासों की प्रभावशीलता दर्शाता है।
  • 2024-25 की पहली छमाही में अवैध ऑफशोर सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन एक बड़ी चिंता का विषय बने रहे और प्रोसेस किए गए विज्ञापनों में इनका अनुपात 29% था।
  • अवैध ऑफशोर सट्टेबाजी प्लैटफार्मों को बढ़ावा देने, टिकर और इन्फ्लुएंसरों के पन्नों जैसे डिजिटल स्थानों का शोषण करने के लिए 890 विज्ञापनों को सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) के संज्ञान में लाया गया। नियामक के हस्तक्षेप के बाद प्लेटफार्मों द्वारा कई पन्नों को हटा दिया गया, जिससे स्व-नियामक और सरकारी नियामकों के बीच प्रभावी समन्वय की पुनर्पुष्टि होती है।
  • अवैध सट्टेबाजी के लिए चिन्हित 890 विज्ञापनों में से 831 इंस्टाग्राम से पोस्ट किये गए थे, जो प्रशंसक और सामुदायिक पन्नों पर प्रदर्शित टिकर और टैग के रूप में थे। ये विज्ञापन उपयोगकर्ताओं को ऑफशोर सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म पर निर्देशित करते थे। इसके अलावा, एएससीआई ने अवैध सट्टेबाजी ऐप और प्लैटफ़ॉर्म को बढ़ावा देने वाली 50 वेबसाइट/सोशल मीडिया पन्नों और 9 इन्फ़्लुएन्केर पोस्ट की पहचान की।
  • ग्रीनवाशिंग के दावे करने वाले विज्ञापन:
  • कुल 100 विज्ञापनों की समीक्षा की गई, जिनमें से 99% की पहचान एएससीआई की अग्रसक्रिय निगरानी के माध्यम से की गई। इनमें से प्रत्येक विज्ञापन में भ्रामक ग्रीन दावों के कारण संशोधन की आवश्यकता पाई गई।
  • एएससीआई की संहिता का पालन नहीं करने के लिए 28% मामले सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भेजे गए। उल्लेखनीय है कि ऐसे विज्ञापन केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा हाल ही में जारी दिशा-निर्देशों का भी संभावित उल्लंघन करते हैं।
  • ज्यादातर विज्ञापनदाता शिकायतों को हल करने के लिए कोई विरोध किये बगैर स्वेच्छा से आगे आये और इस कारण से एएससीआईI इसने अपना औसत टर्नअराउंड समय 30 दिनों से घटाकर 18 दिन कर लिया। इससे दक्षता और गति में सुधार हुआ है, जिससे एएससीआई उच्च श्रेणी के उल्लंघनों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।

एएससीआई की सीईओ, मनीषा कपूर ने कहा कि, “सट्टेबाजी और रियल्टी जैसे क्षेत्रों में सरकारी नियामकों के साथ साझेदारी में हमारे कार्य का प्रभाव स्पष्ट दिख रहा है। हालाँकि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है,  तो भी इस तरह की साझेदारियाँ बेहतर निगरानी के लिए प्रेरणा पैदा करने में सक्षम हैं। ग्रीनवाशिंग एक और क्षेत्र है जहाँ हमने 2024 में आसान दिशा-निर्देश जारी किए हैं, क्योंकि इस क्षेत्र पर हमारा फोकस बना रहेगा। शिकायत प्रबंधन के लिए हमारे टर्न-अराउंड समय को कम करने में निरंतर प्रगति के साथ, एएससीआई का गहन अनुभव और तकनीक-समर्थित प्रयास भारत के उपभोक्ताओं को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए विकसित हो रहे हैं।”

विज्ञापनदाताओं के लिए, ये निष्कर्ष अनुपालन और पारदर्शिता को प्राथमिकता देने के लिए कार्रवाई करने का आह्वान करते हैं। उपभोक्ताओं के लिए, यह रिपोर्ट आपत्तिजनक विज्ञापन से लड़ने के लिए एक विश्वसनीय तंत्र प्रदान करने में एएससीआई की भूमिका को रेखांकित करती है।

पूरी रिपोर्ट यहाँ पढ़ें: Click Here to Read the Full Report

 

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