रावण को सर से नहीं सूर से मारना है। सर से जितनी बार मारा फिर खड़ा हुआ है,सूर से मारे तो निर्वाण हो जाएगा।।
सावधानी से जिए वह संन्यासी,असावधानी में जिए वह संसारी है।।
असंगता सबसे बड़ा शस्त्र है।।
विश्वास रूपी पात्र को रामकथा रूपी कामदुर्गा भर देगी।।
कल रामकथा का विराम दिन।।
रमणीय कर्णाटक की पवित्र गोकर्ण भूमि से प्रवाहित रामकथा के आंठवे दिन पर आरंभ में पूरे जगत को दशहरे की बधाई के साथ बापू ने कहा कि जगत का अर्थ है त्रिभुवन।।त्रिभुवन में स्वर्ग,पृथ्वी और पाताल है।जगत का मतलब: ज-जमीन,ग- गगन और त-तल पाताल है।।जगत त्रिभुवन का पर्याय है।।
कथा का आरंभ बापू ने मालकौंस राग से किया और बताया कि रावण को सर से नहीं सूर से मारना है। सर से जितनी बार मारा फिर खड़ा हुआ है,सूर से मारे तो निर्वाण हो जाएगा।।
भगवान व्यास महाभारत में सपतलक्ष्णाभिख्खुओं चर्चा करते हैं।।यद्यपि भगवान बुद्ध ने भिख्खुओं की बहुत व्याख्या की। है गीता में,भागवत में,मानस में अन्य ग्रंथो में समान सूत्र भी दिखते हैं।।लेकिन महाभारत में यह मंत्र के रूप में है।। हम संसार में रहकर भिख्खू हो सकते हैं।।संसार छोड़ना एक जबरदस्त त्याग है।। बापू ने कहा मैं ऐसा कहूं सावधानी से जिए वह संन्यासी,असावधानी में जिए वह संसारी है।। बार-बार असावधानी में है हो भिख्खु होते हुए भी संसारी है।।व्यास रचित यह श्लोक:अरोषेणौ….का पठन कर कर बापू ने कहा कि किसी भी स्थिति में जिनके चेहरे पर क्रोध न आए वह भिख्खु है।। क्रोध आते ही एक बात तत्क्षण घटती है:बोध चला जाता है।। लोहा मिट्टी और सोना तीनों जिसे सम दिखे वह भिख्खु है।। क्योंकि तीनों निकले जमीन से है इसलिए सगोत्री है। जो बात चली गई उसी पर शोक ना करें वह भिख्खुहै।अतीत अनुसंधान छोड़ दे।।बापु ने कहा मेरे जीवन में कितनी खबर व्यास पीठ पर मिली है लेकिन मैंने दुनिया को पता नहीं लगने दिया। बाद में आयोजको और दुनिया को पता लगा। फिर सबका एक साथ रोना पड़ता है।।किसी को मालूम ना पड़े किसी से दोस्ती और बैर नहीं वह भिख्खु है।। उदासीन है।बोलने में अच्छा लगता है, मगर मुश्किल है।।निंदा और प्रशंसा से जो पर हो गया। प्रिय अप्रिय से जो पर हो गया-ऐसे द्वंदों से जो उदासीन रह सकता है वह भिख्खु है।। लाओत्से ने पूरे जीवन दर्शन में तीन खजाने बताएं: एक खजाना-प्रेम दूसरा अति से मुक्ति।ना अति भोग ना अति त्याग।। हरि से हरि कथा से हरि नाम से संबंध जुड़ जाए तो यह भिख्खुपनां साधक में आ सकता है।।
राम कथा कालिका है।। आज दशहरे के दिन महिषासुर का वध हुआ था। मोह और महामोह आज मारा गया।।मानस में कालिका शब्द कहां-कहां है वह पंक्ति और तुलसी के अन्य साहित्य में भी कालिका शब्द कहां आया है वह बापू ने बताया।।
कालिका के हाथ में जो खड़क है वह क्या है? शब्दकोश में खड़क को कृपाण भी कहा है।असी तलवार भी कहा है,शक्ति भी कहा है,शूल भी कहा है।। मॉं के हाथ में जो अस्त्र-शस्त्र है वह भेद समझिए।।शस्त्रउसीको कहते हैं जो केवल निकट से प्रहार किया जाता है।।जैसे खड़क,तलवार, शमशेर, गदा आदि।। अस्त्र वह है जो दूर से फेंका जाता है। जैसे धनुष्याबान।।त्रिशूल अस्त्र भी है शस्त्र भी है।।रावण का प्रसिद्ध शस्त्र चंद्रहास तलवार है।। लंकाकांड में दान को फरसा कहा,बुद्धि को शक्ति कही और श्रेष्ठ विज्ञान को कठिन कोदंड कहा है।। असंगता सबसे बड़ा शस्त्र है।। मॉं के हाथ के शस्त्र तत्व ज्ञान और प्रेरणा प्रदान करते हैं।। मॉं के हाथ में खप्पर है वह अक्षय पात्र है।।रामचरितमानसकामदुर्गा है। कामधेनु है। साधु का संग सबसे बड़ा स्वर्ग है वहां कामदुर्गा रहती है।। वहां सब मनोकामना समाप्त हो जाएगी या तो साधु सब मनोकामना पूरी कर देगा।। कामदुर्गा कृष्ण की विभूति है।।कामदुर्गा को दोहनी नहीं पड़ती।परछांय भी नहीं होती। कभी उन्हें रोग नहीं होता।।जप,तप, यज्ञ का चारा चरती है और वसुकती नहीं।। विश्वास रूपी पात्र को रामकथा रूपी कामदुर्गा भर देगी।। तीन मंत्रों से अयोध्या कांड का मंगलाचरण हुआ। जब से राम विवाह के घर आए अयोध्या की समृद्धि बढ़ने लगी।। फिर राम वनवास का प्रसंग,केवट के अनुराग की कथा,प्रयाग से वाल्मीकि आश्रम में आए वहां से चित्रकूट में निवास किया।भरत मिलाप और पादुका को राज्य सिंहासन सौंप कर नंदीग्राम में भरत ने निवास किया तप किया वहां अयोध्या कांड का समापन हुआ।।
अरण्य कांड के आरंभ में चित्रकूट से स्थानांतर करके अत्री के पास आए।अनसूया गीता की बात और वन यात्रा में सरभंग और सुतीक्ष्णमिले।पंचवटी में आए।लक्ष्मण के पांच प्रश्न के बाद सूर्पनखा आई, ऐसी वृति है जो जागृति के बाद आती है।। फिर रावण को उकसाया, सीता का हरण हुआ,जटायु की शहीदी हुई और राम,सिता खोज करते शबरी के आश्रम में आए।।
और अरण्य कांड का समापन के बाद सुग्रीव और राम की हनुमान जी द्वारा मैत्री करवाई।। प्रवर्षण में चातुर्मास राम ने किया। सिता खोज की योजना के बाद दक्षिण में अंगद नायक और जामवंत के मार्गदर्शन में स्वयं प्रभा का प्रकरण,फिर संपात्ति से पता मिला की सीता अशोक वाटिका में है और हनुमान पर्वताकार बनाकर लंका में गए वहां किष्किंधा का समापन हुआ।।
सुंदरकांड के आरंभ में समुद्र लांघकर विभीषण से मिलकर, मॉं से चूड़ामणि लेकर वापस आए।युद्ध अनिवार्य हुआ। राम तीन दिन तक समुद्र तट पर बैठे सेतु बंध बनाया और सुंदरकांड का समापन हुआ।। लंका कांड में दिव्य ज्योतिर्लिंग सेतुबंध रामेश्वर की स्थापना की।। और राम और रावण के बीच में महा भयानक युद्ध हुआ।।इकत्तिसबान से रावण को निर्वाण देकर पुष्पक विमान में सिता जी को लेकर राम अयोध्या आए।। और राम का राजतिलक हुआ सभी भाइयों के घर दो पुत्रों की प्राप्ति हुई और लंका कांड का समापन हुआ।।
कल ये रामकथा का विराम दिन है।। कथा सुबह ८ बजे शुरु होगी और १० बजे के आसपास विराम दिया जायेगा।।