Homeगुजरातरामकथा के आश्रय से तांत्रिक बलि प्रथा बंध हूइ

रामकथा के आश्रय से तांत्रिक बलि प्रथा बंध हूइ

मानस कालिका का का एक हाथ है-कनक भुधराकार-हनुमानजी।।

रामायण ने हमें अधिकार और बिन अधिकार कुछ देखे बिना स्वीकार किया वह उदारता है।।

कथा प्रवाह में राम जन्म की त्रिभुवन को बधाइ दी गइ।।

गोकर्ण की पवित्र भूमि से प्रवाहित रामकथा के छठ्ठे दिन आरंभ में रामकथा पुस्तिका के संपादक नितिन वड़गामा द्वारा दो पुस्तक-मानस गुरु पूर्णिमा(कानपुर कथा)और मानस गंगोत्री(गंगोत्री धाम कथा)व्यास पीठ को और ब्रह्मार्पण हुआ।। कथा संवाद के आरंभ पर विविध पत्र बापू को मिले। कथा मनोरथी राजू भाई और पूरा परिवार ने एक संकल्प किया कि यहां भोजन के लिए तो लोग आते हैं।लेकिनकइं लोग भोजन के लिए नहीं पहुंच पाए तो वहां एक किट बनाकर, राशन और सब कुछ डालकर प्रसाद के रूप में किट वितरित की जाए।। बापू ने अपना प्रसन्नता का भाव रखा।।

एक तांत्रिक ने पूछा था बताया गया कि मैं तांत्रिक परिवार से हूं १०० से ज्यादा मात्रा में बलि चढ़ाई जाती थी। लेकिन पिछले १६ सालों से व्यास पीठ से जुड़ा हूं। बलि बंद हो गई है।।सात्विक पूजा होती है उड़ीसा का यह तांत्रिक के पत्र पर बापू ने अपना प्रसन्नता का भाव व्यक्त किया।। बापू ने कहा रावण ने वेदों का भाष्य किया।लेकिन उपलब्ध नहीं है  अप्राप्य है। इसके अतिरिक्त रावण के तीन ग्रंथ है एक कुमार तंत्र, दूसरा दत्तात्रेय नामक स्वतंत्र ग्रंथ है लेकिन मुझे जो चाहिए वह रावण संहिता, जो कहीं उपलब्ध है तो मैं अवलोकन करना भी चाहता हूं।। रावण तंत्र प्रयोग भी करता रहा। बापू ने कहा तंत्र विद्या में मत जाना क्योंकि बहुत तांत्रिको उनकी अंतिम अवस्था अच्छी नहीं देखी।। इस कली काल में कोई सिद्ध पुरुष मिलना मुश्किल है।।महिषासुर का आतंक फैला। फिर ब्रह्मा विष्णु और महेश की अंदर से एक ज्वाला उत्पन्न हुई जिसे हम महाकाली कहते हैं।।

कल हमने महाकाली के अष्टभुजा के बारे में बताया था मानस भी कालिका है। और मानस के अंदर भी आठ भुजाएं इस अष्ट भुजा में एक खुशबू निकलती है। सद्गुरु के हाथ की खुशबू।फिर दूसरा हाथ मानस रूपी कालिका जहां धातु निकलती है। वह सोना-स्वर्ण है। महत्व का सोना कनकभूधराकार शरीर हनुमान जी निकलते हैं।। बापू ने लंका कांड की बात करते हुए बताया कि रावण और मेघनाथ और माल्यवंतका संवाद भी रसिक है। लेकिन तर्क नहीं सतर्क करना होगा। एक हाथ स्नेह भी है। लंका कांड में स्थूल रूप में लड़ाई है लेकिन बहुत गहराई है। यह युद्ध कांड नहीं बुद्ध कांड है। जो युद्ध सबको निर्वाण दे उसे बुद्ध कहे तो तकलीफ नहीं होनी चाहिए।। बापू ने कहा एक हाथ वनस्पति है और रामायण का एक हाथ औदार्य है। रामायण ने हमें अधिकार और बिन अधिकार कुछ देखे बिना स्वीकार किया वह उदारता है।।

रीण-कर्ज के बारे में चार वस्तु है: कुछ लोग कर्ज लेते है। कुछ लोग कर्ज देते हैं। कुछ लोग कर्ज चुकाते हैं। कुछ लोग कर्जा उतारते हैं।।कमजोर है वह कर्ज लेता है। जिनके पास अधिक होता है वह कर्ज़ा देता है।। ईमानदार कर्जा चुकाता है और कुछ है जो कर्जा उतारता है जिंदगी भर आभार मानता है रामायण में तीन लोगों ने हनुमान से कर्जा लिया है: सुंदरकांड में मां का संदेश देकर चूड़ामणि लेकर लंका को उलट-पुलट जलाकर हनुमान वापस आए और जामवंत ने सभी बात राम को बताई।। तो राम ने कहा कि तेरे कर्ज से हम कभी मुक्त नहीं हो पाऊंगा।। भरत जी के पास हनुमान लंका विजय की खबर लेकर आते हैं। भरत राम राम रटण कर रहे हैं तब कहते हैं मैं तेरे कर्ज से मुक्त नहीं हो पाऊंगा।। और युद्ध पूरा होने के बाद हनुमान लंका में जाते हैं। राक्षसियां हनुमान की पूजा करती है तब हनुमान से सीता जी कहती है कि तेरी वाणी से जो उपकार किया हम मुक्त नहीं हो पाएंगे।।

रामायण रूपी कालिका में धैर्य भी है।आज नहीं तो कल परिवर्तन होगा यह धीरज भी दिखाई देती है। राम कथा में स्थिरता भी है। मां कालिका की अनेक भुजा में एक आजान भुजा जो सबको अपने आश्लेष में ले सकती है।। एक दंड भुज है जो लाठी की तरह आधार देती है। एक बल भुजा है।।छांव भुज है। भगवत भुजा है।अभय भुज है। ऐसी अष्ट भुजा रामचरितमानस है।।

रामचरित पंचामृतहै।पंचगव्यहै।पांच सरिता भी है। पंच तीर्थ है।।पंचामृत इसलिए है यहां श्लोक रूपी घृत भी है।।छंद वह मधु है। सोरठा हो शक्कर है। चौपाई रूपी दूध और दोहा रूपी दहीं भी रामचरितमानस में है।।

कथा प्रवाह में शिव चरित्र के बाद राम कथा का आरंभ हुआ और राम जन्म के पांच विधविधहेतुओं की बात करते हुए शिव जी ने राम जन्म के पहले रावण जन्म की बात कही।।और रावण का आतंक बढा। फिर अयोध्या में राम के प्रागट्य से पहले पृथ्वी गाय का रूप लेकर भगवान को पुकारती है और भगवान ने कहा कि अयोध्या में में प्रकट होउंगा और दशरथ राजा अपने पिछले काल में पुत्र कामेष्टि  यज्ञ करवाते हैं। यज्ञ के प्रसाद से खीर सभी रानियां को यथा योग्य बांटी जाती है।।और दशरथ के भवन में राम प्रकटे हैं। मॉं राम को बालक बना सिखाती है और बाल राम का जन्म होता है।। बापू ने इस व्यास पीठ से पूरे त्रिभुवन को राम जन्म की बधाई के साथ आज कथा को विराम दिया।।

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