नए भारत की तस्वीर बदल रही है जनरेशन Z, कई क्षेत्रों में दिखा रही है प्रभावशाली खर्च करने की शक्ति। Gen Z पर केंद्रित भारत की पहली रिपोर्ट जारी
भारत में जेनरेशन Z, यानी जेन Z, 377 मिलियन की विशाल आबादी के साथ सबसे बड़ी जनसंख्या समूह है। इन्हें अक्सर सिर्फ टीनएजर्स के रूप में देखा जाता है, लेकिन यह एक समान समूह नहीं है। इनकी अनोखी सोच और खरीदारी की शक्ति बिज़नेस और मार्केटिंग की दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच रही है।
स्नैप इंक. ने इस जनरेशन की गहरी समझ हासिल करने के लिए “द $2 ट्रिलियन अपॉर्च्युनिटी: हाउ जेन जेड इज़ शेपिंग द न्यू इंडिया” नामक एक रिपोर्ट को जारी किया है। इस रिपोर्ट को बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) के साथ मिलकर तैयार किया गया है।
यह रिपोर्ट जेन जेड की खरीदारी और खर्च करने की आदतों पर नया दृष्टिकोण देती है और यह बताती है कि कैसे यह पीढ़ी भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को प्रभावित कर रही है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
- जेनरेशन Z की खर्च करने की क्षमता: जेन Z की सामूहिक खर्च क्षमता 860 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, और 2035 तक यह 2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
- प्रत्यक्ष खर्च: 2025 तक, जेन Z का प्रत्यक्ष खर्च 250 बिलियन डॉलर होगा।
- वर्कफोर्स में हिस्सेदारी: हर चार में से एक जेन Z पहले से ही काम कर रहा है। 2025 तक हर दूसरा जेन जेड कमाई करने लगेगा।
- खरीदारी की आदतें: जेन Z मिलेनियल्स जितनी बार खरीदारी करते हैं, लेकिन वे मिलेनियल्स की तुलना में 1.5 गुना ज्यादा खरीदारी पर रिसर्च करते हैं।
- बिजनेस की तैयारियां: 45% व्यवसाय जेन Z की शक्ति को पहचानते हैं, लेकिन सिर्फ 15% ही उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। यह इस जनरेशन से जुड़े अवसरों को दिखाता है।
स्नैपचैट 90% डेली एक्टिव यूजर्स के साथ, खासकर 13-34 उम्र के बीच, भारत के युवाओं का सबसे पसंदीदा प्लेटफॉर्म बना हुआ है।
रिपोर्ट के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए, स्नैप इंक इंडिया के प्रबंध निदेशक, पुलकित त्रिवेदी ने कहा, “भारत एक युवा देश है, जिसकी 377मिलियन की जेन Z आबादी आने वाले दो दशकों में भारत के विकास को आकार देगी। जेन जेड खपत वृद्धि में सबसे बड़ी भूमिका निभाएगी, जो 2035तक 1.8ट्रिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष खर्च लाएगी। बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ मिलकर, हम जेन Z की आर्थिक क्षमता, उनके मूल्यों और खरीदारी के अनूठे तरीकों को उजागर करने के लिए उत्साहित हैं। हम इस विकास का हिस्सा बनने और ब्रांड्स व व्यवसायों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।”
बीसीजी इंडिया की सीनियर पार्टनर और मैनेजिंग डायरेक्टर निमिषा जैन ने कहा, “हमारा शोध भारत में खपत पर जेन Z के बड़े प्रभाव को दिखाता है। भारतीय उपभोक्ता खर्च में जेन Z की हिस्सेदारी 43% है। यह पीढ़ी फैशन, खाने-पीने से लेकर ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स तक विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय है। मार्केटर्स के लिए यह समझना जरूरी है कि यह पीढ़ी खास मूल्यों और विश्वासों से प्रेरित होती है, इसलिए उनका खरीदारी का तरीका भी अलग होता है। हालांकि, अभी सिर्फ 15% ब्रांड्स ही इस मौके का फायदा उठाने के लिए कदम उठा रहे हैं। व्यवसायों के लिए जेन Z के साथ जुड़ना आज की सफलता और भविष्य के लिए जरूरी है।”
भारत की खपत का लगभग आधा हिस्सा प्रभावित करने वाली पीढ़ी
जेन Z सिर्फ बाजार को प्रभावित नहीं कर रही है, बल्कि इसे नए तरीके से परिभाषित भी कर रही है। उनकी कुल खर्च करने की क्षमता 860 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुकी है, जो देश की कुल खपत का 43% है। जेन Z अलग-अलग श्रेणियों में महत्वपूर्ण खर्च कर रही है, जैसे जूते पर कुल खर्च का 50%, भोजन पर 48%, बाहर मनोरंजन पर 48%, और फैशन और लाइफस्टाइल पर 47%। यह पीढ़ी लगातार बढ़ रही है, और 2035 तक उनकी खर्च करने की क्षमता 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो बाजार में बड़ी भूमिका निभाएगा।
जेन Z की प्रत्यक्ष खर्च करने की क्षमता
जेन Z की कुल खर्च करने की क्षमता 860 बिलियन डॉलर है, जिसमें से लगभग 200 बिलियन डॉलर वह रकम है, जिसे वे कमाते और खुद खर्च करते हैं। वहीं, 660 बिलियन डॉलर खर्च वह है जो वे दूसरों को प्रभावित कर के कराते हैं, यानी उनकी सिफारिशों से लोग खरीदारी करते हैं। 2035 तक इन आंकड़ों में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। उस समय तक जेन Z का प्रत्यक्ष खर्च 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जिससे हर दूसरा उपभोक्ता खर्च इस पीढ़ी से प्रभावित होगा।2035 तक, इनआंकड़ोंमेंनाटकीयरूपसेबदलावकीउम्मीदहै।प्रत्यक्षखर्च के 1.8 ट्रिलियनडॉलरतकपहुंचनेकाअनुमानहै, जिसकामतलबहैकि 2035 मेंउपभोक्ताखर्चकाहरदूसरारुपयाजेनजेडसे आएगा।
औसतन, 70% जेन Z अपने विचार, भावनाओं और पसंद-नापसंद को साझा करने के लिए अपने करीबी दोस्तों और इनर सर्कल पर भरोसा करते हैं, जो उनके खरीदारी के निर्णयों में बड़ा योगदान करता है।
अक्सर एक अलग समूह के रूप में देखा जाने वाला जेन Z गहरे और सार्थक संबंधों को बहुत महत्व देता है। लगभग 70% जेन Z अपने करीबी दोस्तों और परिवार को सबसे भरोसेमंद मार्गदर्शक मानते हैं। वे अपने इनर सर्कल के साथ अपने रोजमर्रा के जीवन, प्रमुख चिंताओं और विकल्पों को सक्रिय रूप से साझा करते हैं, जैसे कि क्या और कहां खरीदना है, कौन सा कंटेंट देखना है आदि। दस में से आठ जेन Z अपने दोस्तों से खरीदारी से जुड़े फैसलों पर विचार साझा करते हैं।
विजुअल कंटेंट के प्रति इनकी गहरी रुचि है। लगभग 80% जेन Z खुद को व्यक्त करने और अपने सर्कल से जुड़ने के लिए तस्वीरों, GIF और इमर्सिव विजुअल्स का इस्तेमाल करते हैं। यह पीढ़ी उन लोगों के सामने अपनी सच्ची पहचान जाहिर करने की परवाह करती है, जिन्हें वे प्यार करते हैं, और विजुअल शेयरिंग के जरिये खुद को व्यक्त करना पसंद करती है। यह उनकी मजबूत बॉन्डिंग की इच्छा और अपने करीबी लोगों से सलाह लेने की जरूरत को भी दर्शाता है।
77% जेन Z को शानदार विजुअल्स प्रेरित करते हैं, जिससे उनका “शॉपिंग” का तरीका बदल रहा है
यह पीढ़ी ऑगमेंटेड रियलिटी और इंटरैक्टिव विजुअल्स को ज्यादा पसंद करती है। इससे ब्रांड्स को यह समझने में मदद मिलती है कि उन्हें ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बेहतरीन विजुअल कंटेंट पर ध्यान देना चाहिए। जेनZ “शॉपसोशलाइजिंग” यानी शॉपिंग के अनुभवों को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करने को प्राथमिकता देती है, चाहे वो फोटो हो या वीडियो कॉल के जरिये हो।ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग का फ्यूजन, जिसे “फिजिटल” कहा जाता है, जेन Z के लिए सामान्य हो चुका है। दो में से एक जेन Z स्टोर में रहते हुए भी अपने फोन पर क्रिएटर्स के पेज या विशलिस्ट चेक करता है, जो मिलेनियल्स की तुलना में काफी अधिक है।
ब्रांड वफादारी की जगह अब जेन Z ट्रेंड्स पर ध्यान देती है। खरीदारी के दौरान स्टाइल और ट्रेंड्स को चुनने की संभावना ब्रांड्स की तुलना में 1.7 गुना ज्यादा होती है। 72% जेन Z खरीदार शॉपिंग के रुझानों के लिए सोशल मीडिया क्रिएटर्स का सहारा लेते हैं, जिससे यह साफ होता है कि क्रिएटर्स का प्रभाव इस पीढ़ी के शॉपिंग निर्णयों पर काफी गहरा है।
45% व्यवसाय जेन ज़ेड की क्षमता को पहचानते हैं, लेकिन केवल 15% ही इस दिशा में काम कर रहे हैं
हालांकि भारत में जेन Z की प्रभावशाली खरीदारी क्षमता को 45% व्यवसाय पहचानते हैं, केवल 15% ब्रांड्स ने इस पर सक्रिय रूप से काम करना शुरू किया है। इसका मतलब है कि एक बड़ा अवसर अभी भी बाकी है, जिसे ब्रांड्स और मार्केटर्स जेन Z के साथ गहरे संबंध बनाने के लिए भुना सकते हैं।
ब्रांड्स को इस पीढ़ी से जुड़ने के लिए पांच प्रमुख रणनीतियों पर ध्यान देना चाहिए:
- नवाचार:ट्रेंड में बने रहने के लिए हमेशा कुछ नया पेश करें।
- सोशल इंटरैक्शन:खरीदारी को सामाजिक अनुभव बनाएं, ताकि लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर कर सकें।
- विजुअल अनुभव:ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह विजुअली आकर्षक अनुभव प्रदान करें।
- ओमनीचैनल खरीदारी:ऑनलाइन और स्टोर दोनों में खरीदारी को आसान और सहज बनाएं।
- इंफ्लूएंशर्स से जुड़ना:सही इंफ्लूएंशर्स के साथ मिलकर जेन ज़ेड तक सही तरीके से पहुंचें।
विधि: इस रिपोर्ट के नतीजे 1000 अभिभावकों और 1200 जेन Z और मिलेनियल्स के साथ किए गए प्राथमिक शोध पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य उनके मूल्यों और खरीदारी व्यवहार को समझना है। यह अध्ययन बीसीजी और स्नैप के इस क्षेत्र में संयुक्त अनुभव पर आधारित है, जिससे प्रभाव का सही आकलन किया जा सके।