ऑटोमोटिव की दुनिया में उज्जवल भविष्य बनाने के लिये वंचित समुदायों के युवाओं का सशक्तिकरण लड़कियों का 30% एनरोलमेंट सभी को शामिल करने के नजरिये को दर्शाता है
मुंबई, 15 जुलाई, 2024: टाटा मोटर्स ने प्रतिभा को बढ़ावा देने और ऑटोमोटिव उद्योग के लिये कुशल कार्यबल बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है। कंपनी ने नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) के साथ मिलकर जवाहर नवोदय विद्यालयों (जेएनवी) में ‘ऑटोमोटिव स्किल लैब्स’ स्थापित किये हैं। अब तक महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के चुनिंदा जेएनवी में ऐसे 25 लैब्स स्थापित किये जा चुके हैं। यह लैब आवश्यक साधनों से पूरी तरह सुसज्जित हैं। उद्योग एवं शिक्षा जगत के बीच यह अनोखी पहल हर साल करीब 4000 विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल ऑटोमोटिव स्किल्स देती है। अच्छी बात यह है कि इसमें एनरोल होने वाले विद्यार्थियों में से 30% लड़कियाँ हैं।
टाटा मोटर्स की ‘ऑटोमोटिव स्किल लैब्स’ ‘नेशनल एज्युकेशन पॉलिसी 2020’ में दिये गये पेशेवर कोर्सेस के अनुरूपहै। यहसेकंडरी और सीनियर सेकंडरी के विद्यार्थियों (कक्षा 9 से 12 तक) को विषय का आवश्यक ज्ञान, प्रत्यक्ष कौशल और उद्योग में महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करने पर केन्द्रित हैं और यह सब स्कूल परिसर में ही होता है। इसके अलावा, विद्यार्थी टाटा मोटर्स के संयंत्रों में जाकर सर्विस और डीलरशिप के पेशेवर लोगों से मिल सकते हैं। विद्यार्थी उद्योग के विशेषज्ञों से लेक्चर भी ले सकते हैं, ताकि उन्हें असली दुनिया का अनुभव मिले और उनकी जानकारी बढ़े। और तो और, इन लैब्स में पढ़ाने वाले इंस्ट्रक्टर्स को कंपनी के प्लांट लोकेशंस में जरूरी प्रशिक्षण दिया जाता है। सीखने के इस बेहतरीन अनुभव का सबूत पुणे की स्किल लैब में विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया एक ई-रिक्शा है।
प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद विद्यार्थियों को टाटा मोटर्स और एनवीएस के प्रमाणपत्र मिलते हैं। स्कूलिंग के बाद विद्यार्थी मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा भी कर सकते हैं। इसके तहत टाटा मोटर्स की विनिर्माण सुविधाओं में पूरा स्टाइपेंड और रोजगार का प्रशिक्षण मिलता है। टाटा मोटर्स के साथ काम जारी रखने के इच्छुक विद्यार्थी इंजीनियरिंग में बी.टेक कर सकते हैं। यह 3.5 साल का एक्जीक्यूटिव एज्युकेशन प्रोग्राम है, जो चुनिंदा इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ मिलकर चलाया जाता है। इस प्रकार पाँच साल के बाद विद्यार्थी स्थायी रोजगार पा सकते हैं।
ऑटोमोटिव उद्योग में युवाओं के जीवन को समृद्ध बनाने और कौशल की कमी दूर करने के लिये प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड विनोद कुलकर्णी ने कहा, ‘‘हमारे ऑटोमोटिव स्किल लैब्स वंचित समुदायों के युवाओं को रोजगार के योग्य कुशलताओं से सशक्त करते हैं। यह कौशल भारत में विकसित हो रहे ऑटोमोटिव सेक्टर के लिये प्रासंगिक हैं। इस तरह, कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा पाने का रास्ता मिलता है और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। ‘स्किल इंडिया मिशन’ के अनुसार, यह प्रोग्राम विद्यार्थियों को अभिनव चिंतन, उद्यमिता का उत्साह, विश्लेषण करने की सोच और महत्वपूर्ण संवाद कौशल देता है। छात्राओं की प्रतिक्रिया ने भविष्य के उन लीडरों को सशक्त करने के लिये हमारी प्रतिबद्धता मजबूत की है, जो वैश्विक मंच पर भारत की प्रमुखता में योगदान देंगे। यह विकसित भारत @2047 की सोच से मेल खाता है।’’
2023 में, इस प्रोग्राम के 1600 से अधिक विद्यार्थियों ने ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (एएसडीसी) द्वारा आयोजित नेशनल ऑटोमोबाइल ओलम्पियाड में भाग लिया था। इनमें से 17 विद्यार्थियों को प्रतियोगिता के दूसरे चरण में पहुँचने की सफलता मिली थी।