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अनादि तीर्थ भूमि की कथा ने विराम लिया, अब पहली बार बापु आर्जेन्टिना में ९५४ वीं कथागान के लिये २९ मार्च से मंगलाचरण करेंगे।।

यह भूमि भव्य,दिव्य और सेव्य है।।

मनोरथी की श्रद्धा और सत्य के मिलन से अहोभाव प्रकट होता है।।

“मैं आपको मिलने आया हूं किसी के तरफ विरोध लेकर नहीं,बोध लेकर आया हूं।।”

“विवाद नहीं संवाद के लिए आया हुं।।”

“कोई अपवाद दुर्वाद नहीं लेकिन हमारा गुणानुवाद है।।”

“सबकास्विकार करने के लिए आया हूं।।”

“लाभ लेने के लिए नहीं सबका शुभ करने के लिए आया हूं।।”

 

रामकथा कै मिति जग नाहि।

असि प्रतीतितिन के मन मांहि।।

नाना भांति राम अवतारा।

रामायन सत कोटि अपारा।।

-बालकॉंड दोहा-३३

इन बीज पंक्तियोंयों को लेकर शुरु हूइ,

अनादि तीर्थ क्षेत्र तापी-व्यारा-सोनगढ(गुजरात) से प्रवाहित रामकथा के आज नौवें विराम दिन पर आरंभ में बाकी कथा का सार कहकर उपसंहारक बात करते हुए बापु ने कथा के आरंभ पर आदिवासी सेवा सांस्कृतिक ट्रस्ट के द्वारा हमारी धार्मिक परंपरा पुस्तक का व्यास पीठ को ब्रह्मार्पण हुआ और मनोरथीजगुमामां के परिवार की ओर से महेश भाई ने अपना आभार भाव प्रकट किया।।

बापू ने इस भूमि को भव्य कहा क्योंकि यहां पहाड़ी है,जल वृक्ष है,अपनी परंपरा है और आप सब लोगों की श्रद्धा दिव्य है।।इसलिए यह भूमि भव्य,दिव्य और सेव्य है।।भूसुंडी के न्याय से संक्षिप्त कथा दर्शन में राम लक्ष्मण नगर दर्शन के लिए गए फिर सीता जी की स्तुति के बाद राम ने धनुष्य भंग किया और परशुराम जी आए।।

और भरत मिलाप का प्रसंग और अयोध्या कांड के बाद चित्रकूट में रामचंद्र जी की लीला को दर्शन करते हुए सभी कांड में आखिर में अंगद संधि का प्रस्ताव लेकर जाता है,विफल होता है।।

भयानक राम-रावण का युद्ध होता है और रावण का तेज राम में विलीन हुआ।।

सब पुष्पक विमान पर आरूढ़ होकर अयोध्या आए राम के भाल पर तिलक हुआ।।सभी पीठों पर कथा का विराम हुआ।उस वक्त बापू ने तैतरिय ब्राह्मण ग्रंथ का मंत्र बताया:

श्रध्धापत्नि: सत्यं यजमान: श्रध्धासत्यंतदितिउत्तमंमिथुनंश्रध्धयासत्येन।

स्वर्गातिलोकान्जयतिति।।

बापू ने कहा इसलिए कहता हूं कि वक्ता और श्रोता दोनों को कथा के विराम पर धन्यता का भाव होता है।मनोरथी की श्रद्धा और सत्य के मिलन से अहोभाव प्रकट होता है।।

बापू ने खास बताया कि मैं आपको मिलने आया हूं किसी के तरफ विरोध लेकर नहीं,बोध लेकर आया हूं।।विवाद नहीं संवाद के लिए आया हुं।। कोई अपवाद दुर्वाद नहीं लेकिन हमारा गुणानुवाद है।। सबकास्विकार करने के लिए आया हूं।।लाभ लेने के लिए नहीं सबका शुभ करने के लिए आया हूं।।मेरी जीभ पर सरस्वती नहीं त्रिभुवन दादा बैठे हैं।। और मानस और गीता शस्त्र नहीं शास्त्र है,स्वाध्याय में आलस मत करना।। कथा का शुभ फल आप सबको किसी भी नात जात देखे बगैर अर्पण करके कथा को विराम दिया गया।।

अगली-९५४ वीं रामकथा मनोरम और अद्भूतआर्जेन्टिना की भूमि के उशूवाया के लास हयासरीसोर्ट से २९ मार्च से ६ एप्रिल के दरमियान बहेगी।।

समय तफावत के कारण युरोपियन देशों में स्थानिक समय ९:३० बजे से कथा का जीवंत प्रसारण आस्था टीवी चैनल के माध्यम से देखा जा सकता है।।

भारत में आस्था टीवी चैनल पर डी-लाइव प्रसारण ३० मार्च से ७ एप्रिल तक सुबह ९:३० बजे से देखा जा सकता है।।

और चित्रकूटधामतलगाजरडा एवं संगीतनी दुनिया परिवार यु-ट्युब के माध्यम से पहले दिन २९ मार्च शनिवार रात १२:३० से और बाकी के दिनों में शाम ६:३० बजे से जीवंत रुप से कथा प्रसारित होगी

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